Skip to main content

Posts

''COP 28''

'' COP 28 '' SOURCE DAINIK BHASKAR  हाल ही में दुबई में जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव को रोकने के लिए कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टिज का 28वां संस्करण आयोजित किया गया।  ध्यातप्य है कि वर्ष 2023 पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म वर्ष रहा हैं। इसलिए यह जरुरी था कि इस बैठक में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पेरिस समझौते में तय किये गए मानक को प्राप्त करने का प्रयास किया जाए।  इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए  COP 28 में निम्न तथ्यों को तय किया गया हैं :- 1.  लाॅस  एण्ड डैमेज फण्ड :- इसके तहत ऐसे देशों के लिए एक फण्ड की स्थापना की जाएगी जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे हैं।   इस फण्ड की मेजबानी  ''विश्व बैंक'' के द्वारा अगले चार वर्षों तक की जाएगी। इस फंड में सभी देशों को अपना स्वैच्छिक योगदान देना होगा। इस फंड में से कुछ विशिष्ट प्रतिशत अल्प विकसित देशों तथा लघु द्वीपीय विकाशील देशों के लिए रखा जायेगा।  2. ग्लोबल स्टॉक टेक की स्थापना वर्ष 2015 में आयोजित पेरिस सम्मेलन में किया गया था। यह जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की देखरेख करता हैं। 

3200 स्टार्टअप्स का घटता वैल्यूएशन

3200 स्टार्टअप्स का घटता वैल्यूएशन  SOURCE DAINIK BHASKAR,AAJ TAK  स्टार्टअप्स के लिए 2023 बेहद ख़राब रहा। फंडिंग संकट के बीच स्टार्टअप्स के वैल्यूएशन में गिरावट आने के साथ कई दिग्गज स्टार्टअप्स दिवालिया भी हो गए। ग्लोबल स्तर पर 19 % स्टार्टअप्स ने बेहद कम वैल्यूएशन पर पैसे जुटाए। इस साल अमरीका में 3200 स्टार्टअप्स दिवालिया हो गए, जिससे इसमें निवेश करने वाले निवेशकों के 27.2 अरब डॉलर यानी 2.25 लाख करोड़ रुपए डूब गए। कई स्टार्टअप्स ने तो दिवालिया होने से कुछ दिन पहले ही निवेशकों से राशि जुटाई। थी वीवर्क, वीव और कॉन्वॉय जैसे कई स्टार्टअप्स इस साल दिवालिया हो गए।  उल्लेखनीय है कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. लेकिन 2022 में मंदी, महंगाई के असर से घटी फंडिंग का प्रकोप भारतीय स्टार्टअप्स सेक्टर को भी झेलना पड़ा। इससे 2021 में भारत के स्टार्टअप्स को मिली 41 अरब डॉलर की फंडिंग 2022 में घटकर 26 अरब डॉलर रह गई। साल की आखिरी तिमाही यानी अक्टूबर - दिसम्बर में ये फंडिंग 2021 की आखिरी तिमाही के मुकाबले घटकर आधी रह गई।  दिव

जम्मू - कश्मीर तथा अनुच्छेद 370 : -सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  जम्मू - कश्मीर तथा अनुच्छेद 370 : - सुप्रीम कोर्ट का  फैसला  source dainik bhaskr  जम्मू - कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को कहा -आर्टिकल 370  अस्थायी प्रावधान था। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहां लागू हो सकते हैं।  केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू -कश्मीर से 370 हटा दिया था। इसके 4 साल, 4 महीने और 6 दिन बाद आए फैसले में कोर्ट ने कहा, 'हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। हम लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखते हैं।' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितम्बर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए।  केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को 370 हटाया, इसके खिलाफ 23 याचिकाएं  मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 ख़त्म क्र दिया था। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू - कश्मीर और लद्दाख में बाँट दिया था। इसके खिल

नोबेल पुरस्कार 2023

 नोबेल पुरस्कार 2023   वर्ष 2023 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा 2-9 अक्टूबर, 2023 के दौरान की गई, यह पुरस्कार - शांति, साहित्य, शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिए जाते हैं।    अर्थशास्त्र के क्षेत्र का पुरस्कार मूलतः नोबेल पुरस्कारों में शामिल नहीं था. इसकी स्थापना स्वीडन के केंद्रीय बैंक द्वारा बाद में 1968 में की गई थी तथा नोबेल तुल्य इस  पुरस्कार को एल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार नाम से जाना जाता है.  नोबेल पुरस्कारों में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व अर्थशास्त्र क्र क्षेत्र के पुरस्कार हेतु विजेता का चयन जहां स्टॉक होम स्थित रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेस द्वारा किया जाता है.   साहित्य के क्षेत्र के पुरस्कार हेतु नोबेल स्वीडिश एकेडमी द्वारा, चिकित्सा विज्ञान के पुरस्कार हेतु कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेम्बली द्वारा तथा शांति के पुरस्कार हेतु ओस्लो स्थित नॉर्वे की नोबेल कमेटी द्वारा विजेता का चयन किया जाता है।  इन पुरस्कारों में च

तटीय पर्यटन

तटीय पर्यटन  SOURCE DAINIK BHASKAR गुजरात जल्द ही कोस्टल टूरिज्म का हब बन कर  उभरेगा। दरअसल ,राज्य में करीब 1600 किमी. लंबे तट क्षेत्र के समानांतर कोस्टल हाइवे बनेगा। 1630 किमी. कोस्टल हाइवे की यह अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना तीन चरण में आकार लेगी। दक्षिण  गुजरात में 45 किमी. की पट्टी पर निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जो कि परियोजना का लगभग 10 % हिस्सा है। उमरगाम (दक्षिण  गुजरात )-नारायण सरोवर (कच्छ) तक इस हाइवे का निर्माण कार्य लोकसभा चुनावों के बाद रफ्तार पकड़ेगा। इसके आकार लेने पर दक्षिण गुजरात से कच्छ-सौराष्ट्र अंचल की दुरी कम हो जाएगी-परिवहन सुगम। राज्य के 15 तटवर्ती जिलों से गुजरने वाले इस हाइवे की चौड़ाई 5 नहीं अपितु 10 मीटर होगी।  composed by - yachana sinha 

रैट माइनर्स कौन है और इस शब्द की शुरुआत कब हुई ?

 रैट माइनर्स कौन है और इस शब्द की शुरुआत कब हुई ?  source dainik bhaskar  नॉर्दन - ईस्टर्न हिल्स यूनिवर्सिटी, शिलांग में एनवायरन्मेंटल स्टडी विभाग के HOD रहे ओमप्रकाश सिंह बताते है कि रैट माइनर्स शब्द का मतलब छोटी-छोटी सुरंगों में घुसकर कोयला निकालने वालों से है।  सबसे ज्यादा मेघालय में रैट माइनिंग करने वाले लोग रहते है। जहां तक मुझे पता है कि भारत में रैट माइनर्स शब्द का चलन भी मेघालय से ही हुआ हैं।  दरअसल मेघालय की कोयला खदानों में छोटा होल बनाकर खुदाई की जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां कोयले की लेयर तीन से चार फीट यानी बेहद पतली होती है। कोल माइनर्स सीधे लेयर तक जाने के लिए छोटे-छोटे होल बनाते हैं।  ये होल इतने छोटे होते हैं कि इनमें सीधा बैठा भी नहीं जा सकता। इसमें घुटनों के बल पहुंचते हैं और कोयला खोदते हैं। खुदाई की यह प्रोसेस चूहे के बिल खोदने जैसी है। इस कारण से इन्हें रैट होल माइनर्स कहते हैं।  composed by - yachana sinha 

बिहार विशेष राज्य का दर्जा क्यों मांग रहा है ?

बिहार विशेष राज्य का दर्जा क्यों मांग रहा है ? Source THE HINDU  हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने की अपील केंद्र सरकार से की है I  इस लेख में हम चर्चा करेंगे की विशेष राज्य क्या होता है और बिहार इसकी मांग क्यों कर रहा है.  विशेष श्रेणी का दर्जा क्या है ? यह भौगोलिक या सामाजिक- आर्थिक नुकसान का सामना करने वाले राज्यों के विकास में सहायता के लिए केंद्र द्वारा दिया गया एक वर्गीकरण है। एससीएस को 1996   में पांचवें वित्त आयोग ( एफसी ) की सिफारिश पर पेश किया गया था।  पांच कारक जैसे :-(i) पहाड़ी और कठिन इलाका  (ii) कम जनसंख्या घनत्व और /या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा  (iii) अंतर्राष्टीय सीमाओं के साथ रणनीतिक स्थान  (iv) आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन और (v) एससीएस देने से पहले राज्य वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति पर विचार किया जाता है। 1969 में तीन राज्यों - जम्मू और कश्मीर, असम और नागालैंड को एससीएस प्रदान किया गया।  इसके बाद, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित आठ और राज्यों को पूर