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तटीय पर्यटन

तटीय पर्यटन  SOURCE DAINIK BHASKAR गुजरात जल्द ही कोस्टल टूरिज्म का हब बन कर  उभरेगा। दरअसल ,राज्य में करीब 1600 किमी. लंबे तट क्षेत्र के समानांतर कोस्टल हाइवे बनेगा। 1630 किमी. कोस्टल हाइवे की यह अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना तीन चरण में आकार लेगी। दक्षिण  गुजरात में 45 किमी. की पट्टी पर निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जो कि परियोजना का लगभग 10 % हिस्सा है। उमरगाम (दक्षिण  गुजरात )-नारायण सरोवर (कच्छ) तक इस हाइवे का निर्माण कार्य लोकसभा चुनावों के बाद रफ्तार पकड़ेगा। इसके आकार लेने पर दक्षिण गुजरात से कच्छ-सौराष्ट्र अंचल की दुरी कम हो जाएगी-परिवहन सुगम। राज्य के 15 तटवर्ती जिलों से गुजरने वाले इस हाइवे की चौड़ाई 5 नहीं अपितु 10 मीटर होगी।  composed by - yachana sinha 

रैट माइनर्स कौन है और इस शब्द की शुरुआत कब हुई ?

 रैट माइनर्स कौन है और इस शब्द की शुरुआत कब हुई ?  source dainik bhaskar  नॉर्दन - ईस्टर्न हिल्स यूनिवर्सिटी, शिलांग में एनवायरन्मेंटल स्टडी विभाग के HOD रहे ओमप्रकाश सिंह बताते है कि रैट माइनर्स शब्द का मतलब छोटी-छोटी सुरंगों में घुसकर कोयला निकालने वालों से है।  सबसे ज्यादा मेघालय में रैट माइनिंग करने वाले लोग रहते है। जहां तक मुझे पता है कि भारत में रैट माइनर्स शब्द का चलन भी मेघालय से ही हुआ हैं।  दरअसल मेघालय की कोयला खदानों में छोटा होल बनाकर खुदाई की जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां कोयले की लेयर तीन से चार फीट यानी बेहद पतली होती है। कोल माइनर्स सीधे लेयर तक जाने के लिए छोटे-छोटे होल बनाते हैं।  ये होल इतने छोटे होते हैं कि इनमें सीधा बैठा भी नहीं जा सकता। इसमें घुटनों के बल पहुंचते हैं और कोयला खोदते हैं। खुदाई की यह प्रोसेस चूहे के बिल खोदने जैसी है। इस कारण से इन्हें रैट होल माइनर्स कहते हैं।  composed by - yachana sinha 

बिहार विशेष राज्य का दर्जा क्यों मांग रहा है ?

बिहार विशेष राज्य का दर्जा क्यों मांग रहा है ? Source THE HINDU  हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने की अपील केंद्र सरकार से की है I  इस लेख में हम चर्चा करेंगे की विशेष राज्य क्या होता है और बिहार इसकी मांग क्यों कर रहा है.  विशेष श्रेणी का दर्जा क्या है ? यह भौगोलिक या सामाजिक- आर्थिक नुकसान का सामना करने वाले राज्यों के विकास में सहायता के लिए केंद्र द्वारा दिया गया एक वर्गीकरण है। एससीएस को 1996   में पांचवें वित्त आयोग ( एफसी ) की सिफारिश पर पेश किया गया था।  पांच कारक जैसे :-(i) पहाड़ी और कठिन इलाका  (ii) कम जनसंख्या घनत्व और /या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा  (iii) अंतर्राष्टीय सीमाओं के साथ रणनीतिक स्थान  (iv) आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन और (v) एससीएस देने से पहले राज्य वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति पर विचार किया जाता है। 1969 में तीन राज्यों - जम्मू और कश्मीर, असम और नागालैंड को एससीएस प्रदान किया गया।  इसके बाद, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित आठ और राज्यों को पूर

गुजरात मे शेरों का नया घर

  गुजरात मे शेरों का नया घर  Source India Today गुजरात मे एक और वन्यजीव सफारी पार्क की घोषणा के साथ वन्यजीवन पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है. नया सफारी पार्क गिर वन्यजीव अभ्यारण्य से करीब 50 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के तटीय गांव नलिया -मांडवी में होगा. उना केंद्र शासित प्रदेश दीव के करीब लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र है. कुल 674 से ज्यादा की आबादी में से कुछ शेरों के परिवारों ने उना के वन क्षेत्रों और अर्ध -वन क्षेत्रों को अपना घर बनाया है. उना का वन्यजीव पार्क करीब 475 एकड़ इलाके में होगा.  दक्षिण सौराष्ट्र हाल के दशकों में बंदरगाह की अगुआई में औद्योगिक विकास के दौर से गुजर रहा है. भावनगर और पोरबंदर के बीच सात बंदरगाह हैं, जिनमें से अमरेली जिले में स्थित पीपावाव और जाफराबाद सबसे बड़े हैं जबकि छोटे बंदरगाह और पतन भी विस्तार के लिए तैयार है. तेजी से फैलता रेल और सड़कों का जाल भी चुनौतियां पेश कर रहा है. बीते एक साल में 36 अलग -अलग घटनाओं में 106 शेर अमरेली और पीपावाव के बीच रेलवे लाइनों पर पाए गए. फील्ड स्टाफ ने उन्हें भगा दिया. तो भी पिछले आठ साल में दर्जन भर से ज्

भारत पर बढ़ता प्रदुषण का बोझ

  भारत पर बढ़ता प्रदुषण का बोझ  प्रति वर्ष की तरह इस बार भी दिल्ली तथा उत्तर भारत के बहुत सारे शहर प्रदूषण की चपेट में है। इस प्रदूषण की वजह से भारत को जान तथा माल का भारी नुकसान हो रहा है। वर्तमान में भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषित शहर है।  सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण भारत की जीडीपी के 5 .4 % के बराबर यानि 150 अरब डॉलर का आर्थिक बोझ देश पर पड़ रहा है। इसी तरह विश्व बैंक के अनुसार प्रदूषण की वजह से घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर से साल दर साल लगभग 0 .56 फीसदी की कमी आ सकती है।  प्रदूषण की वजह से भारत में प्रति वर्ष 16 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। आईसीएमआर के महानिदेशक  बलराम भार्गव ने बताया है कि इस अध्ययन के नतीजे बताते है कि वायु प्रदूषण फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियों के चालीस फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार है. वहीं ,इस्केमिक हार्ट डिजीज ,स्ट्रोक ,डायबिटीज और समय से पहले पैदा होने वाले नवजात बच्चों की मौत के लिए वायु प्रदूषण 60 फीसदी तक जिम्मेदार है।  भारत पर इस तरह होगा असर अगर जीडीपी की गणना में शामिल वस्तुओं एवं सेवाओं

तारीख पे तारीख -भारत में लंबित मुकदमों के संदर्भ में

 तारीख पे तारीख -भारत में लंबित मुकदमों के संदर्भ में   बहुत साल पहले भारत में एक फिल्म रिलीज हुई थी ''दामिनी ' ' इस फिल्म में एक प्रसिद्व संवाद 'तारीख पे तारीख' के माध्यम से कोर्ट में किसी मुकदमें के सुनवाई के दौरान वकीलों के द्वारा मुकदमों को लटकानें के प्रकिया को प्रदर्शित किया गया था ।  इस संवाद को हल ही में उच्चतम न्यायलय के  मुख्य न्यायधीश ने वकीलों के द्वारा मुकदमों की सुनवाई को लंबित किये जाने के संदर्भ में फिर से याद किया है तथा वकीलों से इस बात का अनुरोध किया है की वे अनावश्यक रूप से मुकदमें की सुनवाई को लंबित न करे। उन्होंने कहा की सितम्बर 23 से अक्टूबर 23 के बीच 3688 मामलों में सुनवाई टालने का आग्रह आ चुका है।  उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न अदालतों में अभी 4 .44  करोड़ से ज्यादा केस लंबित है। इनमें से आधे यानी 2,07,77,421  मामलें पुलिस वकील और अदालतों ने खुद ही अटका रखे है। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड से मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीमकोर्ट ने 1825 , हाईकोर्ट ने 1 लाख 4 हजार 346 और अन्य अदालतों ने 30 लाख 99 हजार   918 केसों पर स्टे लगा

भारतीयों का अमीर देशों में बसने का बढ़ता ट्रैंड

भारतीयों का अमीर देशों में बसने का बढ़ता ट्रैंड  पिछले कुछ वर्षो से भारतीयों का विदेशो में बसने का ट्रैंड लगातार बढ़ता जा रहा है। इस तथ्य की पुष्टि हाल में प्रकाशित ओईसीडी इंटरनेशनल माइग्रेशन २०२३ की रिपोर्ट से होता है। इसके अनुसार वर्ष २०२१ में 407000 भारतीयों ने दुनिया के ३८ सबसे अमीर देशों की और रुख किया है। यह संख्या इसके पिछले वर्ष अर्थात वर्ष 2020 की तुलना मे 86 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष(वर्ष 2020 ) लगभग 2.2 लाख भारतीयों ने अमीर देशों की और रुख किया था ।  वर्ष 2021 मे गए 407000 भारतीयों मे से लगभग 1.3 लाख भारतीयों को विभिन्न देशों की नागरिकता भी प्राप्त हो गयी है । सबसे अधिक लगभग 56000 लोगों को अमेरिका की नागरिकता ,लगभग 24000 हजार लोगों को Austrelia तथा 21000 लोगों को कनाडा की नागरिकता प्राप्त भी हो गयी है।  आखिर इतनी बड़ी संख्या मे लोग भारत को छोड़कर अमीर देशों की और रुख क्यों कर रहे है ? निम्न वजहों से अमीर लोग उपरोक्त देशों की नागरिकता ले रहे है - राजनीतिक स्थिरता ।  कम टैक्स ।  निवेश के अधिक मौके ।  शिक्षा तथा हेल्थ की सेक्टर का अधिक गुणवत्ता पूर्ण होना ।  व्यक्तिगत स्वतंत्रता को