Skip to main content

Posts

Chandrayaan-3

  Chandrayaan-3 सोर्स इंडियन एक्सप्रेस  आखिरकार भारत के इसरो द्वारा निर्मित चंद्रयान ३ चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंच गया। चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला यह पहला यान है। यह निम्न चरणों में चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव में पहुँचा - एक बार फिर से भारत का इसरो चन्द्रमा तक पहुंचने एवं वहां पहुँचकर अपनी तकनीकी क्षमता के प्रदर्शन के लिए तैयार है। हाल ही में इसरो ने यह घोषणा की है की वह 14 जुलाई को चंद्रयान 3 को  LVM3 के द्वारा श्रीहरिकोटा से छोड़ा जायेगा।  चंद्रयान 3 के साथ  Lander and Rover  को चन्द्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। इससे पहले इसरो के द्वारा(22 जुलाई 2019 ) चंद्रयान 2 को प्रक्षेपित किया गया था। परन्तु इसके साथ भेजे गए लैंडर विक्रम चन्द्रमा की सतह पर लैंड नहीं कर पाया था।  साभार दैनिक भास्कर  चंद्रयान की कहानी  चंद्रयान मिशन की पहली बार   घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपयी के द्वारा वर्ष 2003 में की गयी थी।  इस घोषणा के तहत २२ अक्टूबर २००८ को इसरो के द्वारा सतीश धवन स्पेस सेण्टर से चंद्रयान १ को लांच किया गया।  8 नवम्बर 2008 को ये स्पेसक्राफ्ट चाँद के ऑर्बिट म

टाइटन सबमरीन

  टाइटन सबमरीन  हाल ही में अंटालटिक महासागर में टाइटन सबमरीन में  विस्फोट हो गया तथा यह महासागर में समा गया। उल्लेखनीय है की इस सबमरीन में पर्यटक के रूप में 5 लोग गहरे समुद्र के भीतर प्रसिद्ध यात्री जहाज  RMS  टाइटैनिक के अवशेषों को देखने गए थे।     RMS  टाइटैनिक   दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज था। वह साउथम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी प्रथम यात्रा पर, 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ। चार दिन की यात्रा के बाद, 14 अप्रैल 1912 को वह एक हिमशिला से टकरा कर डूब गया जिसमें 1,517 लोगों की मृत्यु हुई जो इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक है।  टाइटन सबमरीन एक निजी कंपनी के द्वारा संचालित सबमरीन था। इसकी निम्न विशेषताएं थी - साभार दैनिक भास्कर  इसके संचालन कर्ता कंपनी का नाम ओसन गेट था।  यह 22 फ़ीट लम्बी और 9.2 फ़ीट चौड़ी थी।  इसका निर्माण कार्बन फाइबर से हुआ था। यह स्टील से हल्का एवं अत्यधिक मजबूत होता है।  यह पनडुब्बी गहरे समुद्र में दुबे हुए टाइटैनिक जहाज को दिखाने का कार्य करता है। इसके लिए यह प्रति यात्री 2 करोड़ का फीस लेते है।       इसके दुर्घटना ग्रस्त होने का सबसे प

रूस -यूक्रेन युद्ध के 500 दिन

  रूस -यूक्रेन युद्ध के 500 दिन  रूस तथा यूक्रेन के मध्य युद्ध के ५०० दिन पुरे हो गए। इतने दिनों में अभी तक रूस अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाया है और इस बीच यूक्रेन अपनी काफी सारी जमीन को रूस के हाथो जाने देने के लिए मजबूर हो गया है। युद्ध के इन दिन बीत जाने के पश्चात दुनिया में निम्न परिवर्तन हुए है।  चीन तथा रूस के सम्बन्ध काफी मजबूत हो गए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन और भारत ने रूस के ८० प्रतिशत उत्पादित तेल को खरीद लिया है।  नाटो का और अधिक विस्तार हो रहा है। फिनलैंड इसका नया सदस्य बन गया है और स्वीडन भी कतार में है। स्वीडन का विरोध तुर्किये कर रहा है।  नाटो का और अधिक विस्तार होने की वजह से दुनिया में एक नए कोल्ड वॉर की सम्भावना बढ़ रही है।  उक्रैन ने भी रूस के क्षेत्रो में हमला करना प्रारम्भ कर दिया है।  दुनिया में ड्रोन का बोलबाला बढ़ गया है.हाल ही में भारत ने अमेरिका से ३० ड्रोन की खरीदारी को लेकर समझौता किया है।     

बालासोर रेल दुर्घटना तथा भारत में रेल दुर्घटना : कारण एवं समाधान

 बालासोर रेल दुर्घटना तथा भारत में रेल दुर्घटना का इतिहास :कारण एवं समाधान  हाल ही में ओडिशा के बालासोर में भयानक रेल दुर्घटना हुयी। इस दुर्घटना में कई सौ लोगो की मृत्यु हो गयी तथा कई हजार लोग घायल हो गए। यह स्वंत्रत भारत में पिछले 20 वर्षो में हुयी सबसे भयानक रेल दुर्घटना में से एक है। अभी तक यह माना जा रहा है की इस दुर्घटना के पीछे सिग्नल प्रणाली से जुडी हुयी समस्या है। इस दुर्घटना की विस्तृत जाँच का दायित्व सीबीआई को सौपा गया है। पर यह भी उल्लेखनीय है की कैग के रिपोर्ट के अनुसार 63 परसेंट जाँच रिपोर्ट सही टाइम से कम्पीटेंट अथॉरिटी को सौपा नहीं जाता।  इस दुर्घटना ने भारतीय रेलवे से जुड़े कई सवालो को एक बार फिर से आम जनता के समक्ष खड़े कर दिया है।  कब हमारा रेल्वे पूरी तरह सुरक्षित हो पायेगा ? हमारे रेल्वे से जुड़ा बुनियादी ढाँचा कब विश्वस्तरीय बनेगा ? कब आम जनता के परिवहन का प्रमुख साधन रेल्वे लेट लतीफी से छुटकारा पा सकेगा ? अगर हमारे रेल्वे से जुड़े बुनियादी ढाँचे ही पर्याप्त नहीं है तो बुलेट ट्रेन चलाना कितना व्यावहारिक है ? बिजनेस स्टैण्डर्ड में प्रकाशित(05 June 2023) एक रिपोर्ट के प्

विश्व के देशो में घटती जन्म दर

 विश्व के देशो में घटती जन्म दर   एक तरफ भारत ने हाल ही में जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ कर विश्व में पहला स्थान प्राप्त कर लिया वही दूसरी तरफ प्रतिष्ठित पत्रिका THE ECONOMIST के एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में खासकर विकसित देशों में आबादी लगातार घट रही है।  आबादी में यह गिरावट किसी महामारी या आपदा के कारण नहीं अपितु जन्म दर में गिरावट की वजह से हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 में प्रति महिला प्रजनन दर 2.7 थी। वही आज घट कर यह 2.3 हो गया है। प्रति महिला प्रजनन दर में गिरावट के कारण दुनिया की आबादी अब घटने की ओर बढ़ चुकी है।  आबादी घटने का परिणाम यह हो रहा है की दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है। बुजुर्गो की आबादी में वृद्धि में पहले जापान तथा इटली का नाम आगे था पर इस लिस्ट में अब ब्राजील ,मेक्सिको तथा थाईलैंड का नाम भी शामिल हो गया है।  वर्ष 2030 तक पूर्व तथा दक्षिण पूर्वी एशिया की आधी आबादी 40 साल से अधिक होगी। अफ्रीका को छोड़कर दुनिया की आबादी 2050 के दशक में अपने सर्वोच्च स्तर पर होगी उसके पश्चात आबादी में गिरावट में बहुत तेजी से कमी होगी।  वर्ष 2010 में 98 देशो में प

Histroy of Indian Institute of Advance Studies , Shimla

History Of Indian Institute of Advance Studies , Shimla   यह भारत का उच्च शिक्षा का एक महत्वपूर्ण संस्थान है। इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1965 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा शिमला में की गयी थी। जिस भवन में यह संस्थान संचालित है वह पहले राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन अवकाश बिताने वाला भवन था। इसे राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता था। इस राष्ट्रपति भवन को अग्रेजो के दौर में वॉयसरीगल के नाम से जाना जाता था ।  यह भारत के उन प्राचीन भवनों में से एक है जिसका इतिहास अंग्रेजो के साथ जुड़ा हुआ है। यह भवन अंग्रेजो द्वारा भारत में निर्मित बड़े निर्माणों में से एक है। इस भवन को अंग्रेजो के शासन काल में वॉयसराय के ग्रीष्मकाल में शिमला में निवास करने के लिए बनाया गया था। उल्लेखनीय है की शिमला भारत की 1864 से लेकर 1947 तक ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। जब शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया तभी से यहाँ भारत के वॉयसराय के निवास करने योग्य एक भवन की कमी महसूस की जा रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए शिमला में "समर हिल "नामक स्थान पर वॉयसरीगल की आधारशिला

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (CBI)

 सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (CBI) 17 मई 2023 को सीबीआई के नए डायरेक्टर की नियुक्ति का आदेश केंद्र सरकार ने जारी किया है। इस आदेश के तहत श्री प्रवीण सूद सीबीआई के नए डायरेक्टर होंगे। वे इस पद पर दो साल तक रहेंगे। उल्लेखनीय है की वे 1986 बेंच के आईपीएस है।उनका सम्बन्ध कर्नाटक कैडर से है। वे इस पद पर दो साल तक रहेंगे।  सीबीआई के डायरेक्टर के चयन की प्रक्रिया  इनके चयन की प्रक्रिया एक चयन समिति के द्वारा होता है। इस चयन समिति में प्रधानमंत्री ,सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा लोकसभा के प्रमुक्ष विपक्षी दल के नेता होते है।    सीबीआई का इतिहास  इसकी स्थापना 1941 में स्पेशल एक्ट की तहत हुयी थी। इस एक्ट को दिल्ली स्पेशल पुलिस एक्ट के नाम से जाना जाता है। इसका प्रमुख कार्य सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को रोकना है। इसके अलावा यह केंद्र शासित प्रदेशों में अपराधों की जाँच करने में भी सक्षम है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस स्पेशल एक्ट 1946 के धारा 6 के अनुसार राज्यों की सहमति प्राप्त होने पर यह किसी राज्य में हुए अपराधों की जाँच भी कर सकने में सक्षम है। यह इंटरपोल की एक सहयोगी संस्था है।  प्रम