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Global carbon market & COP 29

  Global carbon market & COP 29 SOURCE THE HINDU Countries at COP29 in Baku voted to finalize a global carbon market, allowing trading of carbon credits among themselves. Prices are determined by emission caps. The market stems from the Paris Agreement's Article 6, facilitating bilateral carbon trading (Art 6.2) and global market participation (6.4). Optimism before COP 29 suggested a global carbon trading mechanism and UN-sanctioned carbon credits by 2025. Finalizing Article 6 negotiations could save $250 billion per year by enabling international cooperation. Focus on the New Collective Quantified Goal (NCQG) is crucial as carbon markets help achieve it. NCQG updates the $100 billion annual target for developing countries to adapt and mitigate emissions by 2025, a key outcome of Baku COP.

तटीय पर्यटन

तटीय पर्यटन  SOURCE DAINIK BHASKAR गुजरात जल्द ही कोस्टल टूरिज्म का हब बन कर  उभरेगा। दरअसल ,राज्य में करीब 1600 किमी. लंबे तट क्षेत्र के समानांतर कोस्टल हाइवे बनेगा। 1630 किमी. कोस्टल हाइवे की यह अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना तीन चरण में आकार लेगी। दक्षिण  गुजरात में 45 किमी. की पट्टी पर निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जो कि परियोजना का लगभग 10 % हिस्सा है। उमरगाम (दक्षिण  गुजरात )-नारायण सरोवर (कच्छ) तक इस हाइवे का निर्माण कार्य लोकसभा चुनावों के बाद रफ्तार पकड़ेगा। इसके आकार लेने पर दक्षिण गुजरात से कच्छ-सौराष्ट्र अंचल की दुरी कम हो जाएगी-परिवहन सुगम। राज्य के 15 तटवर्ती जिलों से गुजरने वाले इस हाइवे की चौड़ाई 5 नहीं अपितु 10 मीटर होगी।  composed by - yachana sinha 

रैट माइनर्स कौन है और इस शब्द की शुरुआत कब हुई ?

 रैट माइनर्स कौन है और इस शब्द की शुरुआत कब हुई ?  source dainik bhaskar  नॉर्दन - ईस्टर्न हिल्स यूनिवर्सिटी, शिलांग में एनवायरन्मेंटल स्टडी विभाग के HOD रहे ओमप्रकाश सिंह बताते है कि रैट माइनर्स शब्द का मतलब छोटी-छोटी सुरंगों में घुसकर कोयला निकालने वालों से है।  सबसे ज्यादा मेघालय में रैट माइनिंग करने वाले लोग रहते है। जहां तक मुझे पता है कि भारत में रैट माइनर्स शब्द का चलन भी मेघालय से ही हुआ हैं।  दरअसल मेघालय की कोयला खदानों में छोटा होल बनाकर खुदाई की जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां कोयले की लेयर तीन से चार फीट यानी बेहद पतली होती है। कोल माइनर्स सीधे लेयर तक जाने के लिए छोटे-छोटे होल बनाते हैं।  ये होल इतने छोटे होते हैं कि इनमें सीधा बैठा भी नहीं जा सकता। इसमें घुटनों के बल पहुंचते हैं और कोयला खोदते हैं। खुदाई की यह प्रोसेस चूहे के बिल खोदने जैसी है। इस कारण से इन्हें रैट होल माइनर्स कहते हैं।  composed by - yachana sinha 

गुजरात मे शेरों का नया घर

  गुजरात मे शेरों का नया घर  Source India Today गुजरात मे एक और वन्यजीव सफारी पार्क की घोषणा के साथ वन्यजीवन पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है. नया सफारी पार्क गिर वन्यजीव अभ्यारण्य से करीब 50 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के तटीय गांव नलिया -मांडवी में होगा. उना केंद्र शासित प्रदेश दीव के करीब लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र है. कुल 674 से ज्यादा की आबादी में से कुछ शेरों के परिवारों ने उना के वन क्षेत्रों और अर्ध -वन क्षेत्रों को अपना घर बनाया है. उना का वन्यजीव पार्क करीब 475 एकड़ इलाके में होगा.  दक्षिण सौराष्ट्र हाल के दशकों में बंदरगाह की अगुआई में औद्योगिक विकास के दौर से गुजर रहा है. भावनगर और पोरबंदर के बीच सात बंदरगाह हैं, जिनमें से अमरेली जिले में स्थित पीपावाव और जाफराबाद सबसे बड़े हैं जबकि छोटे बंदरगाह और पतन भी विस्तार के लिए तैयार है. तेजी से फैलता रेल और सड़कों का जाल भी चुनौतियां पेश कर रहा है. बीते एक साल में 36 अलग -अलग घटनाओं में 106 शेर अमरेली और पीपावाव के बीच रेलवे लाइनों पर पाए गए. फील्ड स्टाफ ने उन्हें भगा दिया. तो भी पिछले आठ साल में दर्जन भर से ज्

रूस -यूक्रेन युद्ध के 500 दिन

  रूस -यूक्रेन युद्ध के 500 दिन  रूस तथा यूक्रेन के मध्य युद्ध के ५०० दिन पुरे हो गए। इतने दिनों में अभी तक रूस अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाया है और इस बीच यूक्रेन अपनी काफी सारी जमीन को रूस के हाथो जाने देने के लिए मजबूर हो गया है। युद्ध के इन दिन बीत जाने के पश्चात दुनिया में निम्न परिवर्तन हुए है।  चीन तथा रूस के सम्बन्ध काफी मजबूत हो गए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन और भारत ने रूस के ८० प्रतिशत उत्पादित तेल को खरीद लिया है।  नाटो का और अधिक विस्तार हो रहा है। फिनलैंड इसका नया सदस्य बन गया है और स्वीडन भी कतार में है। स्वीडन का विरोध तुर्किये कर रहा है।  नाटो का और अधिक विस्तार होने की वजह से दुनिया में एक नए कोल्ड वॉर की सम्भावना बढ़ रही है।  उक्रैन ने भी रूस के क्षेत्रो में हमला करना प्रारम्भ कर दिया है।  दुनिया में ड्रोन का बोलबाला बढ़ गया है.हाल ही में भारत ने अमेरिका से ३० ड्रोन की खरीदारी को लेकर समझौता किया है।     

बालासोर रेल दुर्घटना तथा भारत में रेल दुर्घटना : कारण एवं समाधान

 बालासोर रेल दुर्घटना तथा भारत में रेल दुर्घटना का इतिहास :कारण एवं समाधान  हाल ही में ओडिशा के बालासोर में भयानक रेल दुर्घटना हुयी। इस दुर्घटना में कई सौ लोगो की मृत्यु हो गयी तथा कई हजार लोग घायल हो गए। यह स्वंत्रत भारत में पिछले 20 वर्षो में हुयी सबसे भयानक रेल दुर्घटना में से एक है। अभी तक यह माना जा रहा है की इस दुर्घटना के पीछे सिग्नल प्रणाली से जुडी हुयी समस्या है। इस दुर्घटना की विस्तृत जाँच का दायित्व सीबीआई को सौपा गया है। पर यह भी उल्लेखनीय है की कैग के रिपोर्ट के अनुसार 63 परसेंट जाँच रिपोर्ट सही टाइम से कम्पीटेंट अथॉरिटी को सौपा नहीं जाता।  इस दुर्घटना ने भारतीय रेलवे से जुड़े कई सवालो को एक बार फिर से आम जनता के समक्ष खड़े कर दिया है।  कब हमारा रेल्वे पूरी तरह सुरक्षित हो पायेगा ? हमारे रेल्वे से जुड़ा बुनियादी ढाँचा कब विश्वस्तरीय बनेगा ? कब आम जनता के परिवहन का प्रमुख साधन रेल्वे लेट लतीफी से छुटकारा पा सकेगा ? अगर हमारे रेल्वे से जुड़े बुनियादी ढाँचे ही पर्याप्त नहीं है तो बुलेट ट्रेन चलाना कितना व्यावहारिक है ? बिजनेस स्टैण्डर्ड में प्रकाशित(05 June 2023) एक रिपोर्ट के प्

पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि

  पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि  स सदी के आखिर तक यानी 2100 तक दुनिया के कई ऐसे इलाके इंसानों के रहने लायक नहीं रहेंगे। अभी जो महीना बीता यानी जुलाई का महीना, उसमें दुनिया का तापमान 16.72 डिग्री सेल्सियस रहा, जो औसत से 0.92 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। ये आंकड़ा विश्व मौसम संगठन(डब्ल्यूएमओ ) का है। इसके मुताबिक, जो 20 सबसे गर्म साल रहे हैं, वो पिछले 22 साल में रहे हैं। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि धरती का तापमान हर साल बढ़ ही रहा है। डब्ल्यूएमओ का अनुमान है कि अगर यही ट्रेंड चलता रहा, तो 2100 तक धरती का तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो धरती के कई इलाकों में इंसानों का रह पाना आसान नहीं होगा। 2015 में क्लाइमेट चेंज को लेकर पेरिस में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत 2100 तक धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के अंदर रोकने का लक्ष्य  है। हालांकि, अभी जो शोध हो रहा है उसके अनुसार आ रही हैं,  लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल लग रहा है। भारत पर इसका प्रभाव   इसी साल जून में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की जलवायु परिवर्तन पर एक रिपोर्ट आई थी।जलवायु परिवर्तन पर सरकार की ये पहली रिपोर

प्रोजेक्ट डॉल्फिन

  प्रोजेक्ट डॉल्फिन  प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट की कामयाबी के बाद भारत अब प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करेगा जिसका मकसद देश की नदियों और समुद्र में पाई जाने वाली डॉल्फिन की रक्षा करना है. डॉल्फिन पानी पर आधारित इकोसिस्टम के टॉप पर रहती है और यह नदियों और दूसरे जल में रहने वाले जंतुओं की सेहत के लिए बहुत जरूरी है. डॉल्फिन फिश जैसे ‘Susu’ की गिनती को पानी पर आधारित इकोसिस्टम की कुल सेहत का संकेतक भी माना जाता है. डॉल्फिन डॉल्फिन एक मछली नहीं है। वह तो एक स्तनधारी प्राणी है। जिस तरह व्हेल एक स्तनधारी प्राणी है वैसे ही डॉल्फिन भी इसी वर्ग में आती है, डॉल्फिन का रहने का ठिकाना संसार के समुद्र और नदियां हैं।  डॉल्फिन को अकेले रहना पसंद नहीं है यह सामान्यत: समूह में रहना पसंद करती है। इनके एक समूह में 10 से 12 सदस्य होते हैं। हमारे भारत में डॉल्फिन गंगा नदी में पाई जाती है लेकिन गंगा नदी में मौजूद डॉल्फिन अब विलुप्ति की कगार पर है। डॉल्फिन की एक बड़ी खासियत यह है कि यह कंपन वाली आवाज निकालती है जो किसी भी चीज से टकराकर वापस डॉल्फिन के पास आ जाती है। इससे डॉल्फिन को पता चल जाता है कि शिका

असम में बाढ़

असम में बाढ़  इस समय असम के कुल 33 में से 27 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हुए है.पिछले साल के मुकाबले इस साल बाढ़ की स्थिति ज्यादा भयानक है.बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में 76 जानवरों की मौत हो गई है. जबकि 121 अन्य जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान में बचाया गया है.  कारण  ब्रह्मपुत्र नदी पर अध्ययन करने वाले जानकार  बताते है कि बढ़ते प्रदूषण और तापमान से तिब्बत के पठार पर जमी बर्फ़ और हिमालय के ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं. इससे ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बांधों और नदी दोनों का जल-स्तर बढ़ेगा. दरअसल तिब्बत में नदी के उद्गम स्थल पर तलछट इकट्ठा होना शुरू हो जाता है, क्योंकि ग्लेशियर पिघलकर मिट्टी को नष्ट कर देते हैं. जैसे-जैसे पानी असम की ओर बढ़ता है, यह अधिक तलछट इकट्ठा करके अपने साथ लेकर आता है. जबकि ब्रह्मपुत्र की अन्य सहायक नदियाँ इस तलछट को नष्ट करने में अप्रभावी बताई जाती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आती है और मिट्टी का कटाव होता है. अपने साथ तलछट लाने वाली दुनिया की शीर्ष पांच नदियों में ब्रह्मपुत्र एक है. असम में ब्रह्मपुत्र और बराक, दो प्रमुख नदियां हैं। इन दो के अलावा इनकी 48 सहायक

भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट का महत्त्व

प्रश्न-  भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट के महत्व का उल्लेख करते हुए डिजिटल भारत के मार्ग में आने वाली चुनौतियों और अपेक्षित सुधारों का विश्लेषण कीजिए। सामान्य अध्ययन-III भारत में इंटरनेट के ग्राहकों की संख्या 56 करोड़ हो गई है और 2018 में यहां 12.3 अरब ऐप डाउनलोड किए गए. दुनिया में केवल चीन ही इस मामले में उससे आगे है. दूसरे देशों के लोगों के मुक़ाबले भारतीय लोग ही सबसे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर खर्च कर रहे हैं. इंडोनेशिया को छोड़कर तमाम दूसरे देशों के मुक़ाबले भारत ही सबसे ज्यादा तेजी से डिजिटलीकरण कर रहा है. इंडोनेशिया ने 2014 के बाद से इसमें 90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की है. भारत में अभी और वृद्धि की काफी गुंजाइश है.  डिजिटलीकरण में इंटरनेट का महत्व आधार, जियो, जन धन, और जीएसटी के कारण. जीएसटी के कारण 1.03 करोड़ व्यवसाय टैक्स भुगतान के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं. डिजिटल अर्थव्यवस्था 2025 तक 6 से लेकर 6.5 करोड़ तक रोज़गार पैदा कर सकती है. खेती में जानकारियों के कुशल उपयोग से लागत में 20 फीसदी की कमी आ सकती है, और ऑनलाइन नेटवर्क के जरिए फ़सलों आदि के बेहतर दाम मिलने से आमदनी में 15 प्रतिश