मलेरिया का नया टीका तीन दशकों तक चले वैज्ञानिक प्रयास उस समय फलीभूत हो गए, जब बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने किसी भी परजीवी रोग के खिलाफ, दुनिया के पहले टीके को अपनी मंज़ूरी दे दी . आरटीएसएस (ट्रेड नाम मॉक्विरिक्स), जिसे ग्लेक्सोस्मिथक्लीन (जीएसके) ने विकसित किया है, मलेरिया से ग्रसित बच्चों में गंभीर बीमारी के ख़तरे को काफी कम कर देता है. भारत के लिए, ये ख़बर दो मायनों में अच्छी है- देश में मलेरिया का भारी दबाव; और ये तथ्य कि 2029 तक भारतीय कंपनी भारत बायोटेक, इस वैक्सीन की एकमात्र ग्लोबल निर्माता बन जाएगी. इस साल जनवरी में, एक अंतर्राष्ट्रीय ग़ैर-मुनाफा संस्था पाथ, जो स्वास्थ्य समस्याओं पर देशों और संस्थाओं के साथ मिलकर काम करती है, जीएसके और भारत बायोटेक इंडिया लि. (बीबीआईएल) ने, मलेरिया वैक्सीन के लिए एक उत्पाद हस्तांतरण समझौते पर दस्तख़त किए जाने का ऐलान किया. हालांकि इस वैक्सीन को मच्छर नियंत्रण के मौजूदा उपायों के साथ ही इस्तेमाल किया जाना है जैसे नेट्स, रिपेलेंट्स आदि- काफी हद तक वैसे ही, जैसे कोविड का टीका लगे लोगों में मास्क का इस्तेमाल होता है.