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Showing posts with the label CHHATTISGARH GK

29th जिला मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी

जिला क्रमांक - 29वाँ  जिला स्थापना - 02 दिसंबर 2022 घोषणा तिथि - 15 अगस्त 2021 दावा आपत्ति अधिसूचना - 20 अक्टूबर 2021 सृजन अधिसूचना - 01सितंबर 2022  उद्घाटन समारोह  : मिनी स्टेडियम, मोहला  अध्यक्षता -  अमरजीत सिंह,    मुख्य अतिथि - मुख्य्मंत्री भूपेश बघेल प्रशासनिक विवरण -  जिला मुख्यालय - मोहला मातृ जिला - राजनांदगांव संभाग अंतर्गत - दुर्ग तहसील - 05 तहसील: मोहला, मानपुर, अंबागढ़ चौकी, औंधी, खड़गांव उपखंड  - 02 उपखंड: मानपुर - मोहला विधानसभा क्षेत्र - 01मानपुर - मोहला ST क्षेत्र भौगोलिक विवरण - पड़ोसी जिले - 03: राजनांदगांव, बालोद, कांकेर  सीमावर्ती राज्य - महाराष्ट्र भौगोलिक क्षेत्र - छत्तीसगढ़ का मैदान  स्थलाकृति बनावट - आर्कियंस एवम धारवाड़ खनिज -  लौह अयस्क : भंडारित क्षेत्र - बोरिया डिब्बू  यूरेनियम: भंडारित क्षेत्र -  बोदल, भण्डारी टोला, धूमतधाबी मिट्टी वितरण  -   काली मिट्टी नदी प्रवाह   महानदी- शिवनाथ प्रवाह तंत्र प्रवाहित नदियां -   शिवनाथ नदी , उद्गम -  पानाबरस पहाड़ी ( अंबागढ़ चौकी)  कोटरी नदी     उद्गम - मोहला तहसील   बाघ नदी    सीमा: बाघ नदी छत्तीसगढ व महाराष्

गुरु घासीदास नेशनल पार्क में मिले भित्ति चित्र

गुरु घासीदास नेशनल पार्क में मिले भित्ति चित्र क्षेत्र -             जनकपुर परिक्षेत्र भित्तिचित्र -     3 से 5 हजार वर्ष पुरानी साइट्स -       अभी तक 24 साईट्स खोजें जा चुके हैं। प्रमुख साक्ष्य -  शिकार के औजारऔर जानवरों को बड़े पत्थरों में रखकर काटने के साक्ष्य। अन्य साक्ष्य -    हिरण, हाथी, बायसन, मोर, सांप आदि। अन्य नाम -      स्थानीय ग्रामीण भित्तिचित्र वाले स्थल को लिखामड़ा के नाम से जानते हैं। विशेष - भित्तिचित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन की उत्पत्ति की शुरुवात के निशानों का वर्णन करती हैं। विशेष स्थल  -.  जनकपुर एरिया में खिरकी, चूयल, कमर्जी में मुनुकनार लामी पहाड़ी बड़गांव, कटवार मसर्रा, लवाहोरी और सोनहट एरिया में लमापनी, लामलामी पहाड़ी पर भित्तिचित्र मिले हैं।   प्राप्त भित्तिचित्र पर आधारित पुस्तक:   "शेड्स ऑफ द पास्ट"    लेखक-  रंगानाथ रामाकष्ण

देश की सबसे बड़ी चंद्रप्रभ की पद्मासन प्रतिमा

देश की सबसे बड़ी चंद्रप्रभ की पद्मासन प्रतिमा कहां है -  नसिया तीर्थ,दुर्ग  नदी तट - शिवनाथ नदी के तट पर मुख्य तीर्थंकर - 8वे जैन तीर्थंकर : चंद्रप्रभ (प्रतीक चिन्ह - चन्द्रमा) दुर्ग जिले के नगपुरा में 23वे जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की प्रतिमा है। प्रतिमा की ऊंचाई 21फीट 11इंच और 80 टन भारी निर्माण - बिजोरा, राजस्थान से लाए गए लाल एकाश्म पत्थर से। चर्चा में - हाल ही मे भगवान चंद्रप्रभ का महामस्तकाभिषेक एवं कलशरोहण हुआ । विशेष -  अभी तक देश की सबसे बड़ी भगवान चंद्रप्रभ की पद्मासन प्रतिमा।

छत्तीसगढ़ का 'द जुरासिक पार्क '

छत्तीसगढ़ का 'द जुरासिक पार्क  कहाँ  हैं - हरी घाटी , बैलाडीला पहाड़ी (दंतेवाड़ा) खोज   - टी फर्न पौधों का बगीचा और झरना (90 फीट) क्या हैं -  धरती का आदिम पौधा ( वैज्ञानिक नाम - क्याथेलस) कालक्रम   - जुरासिक कालीन ( 36 करोड़ साल पुराना पौधा)

छत्तीसगढ़ वेटलैंड्स

छत्तीसगढ़ वेटलैंड्स  क्या हैं वेटलैंड?   नम भूमि या आद्र भूमि। वह भूमि जो पानी से सराबोर हो । शामिल क्षेत्र - दलदल ,नदिया , झीले , डेल्टा , बाढ़ के मैदान , चावल के खेत ,  समुद्री क्षेत्र , तालाब और जलाशय से इत्यादि । चर्चा में क्यों         राज्य सरकार प्रदेश के कुछ प्रमुख वेटलैंड्स का चयन कर उन्हें रामसर साइट सूची में शामिल करने का प्रयास कर रही है । प्रमुख स्थल - अचानकमार( मुंगेली) , फुटहा मुड़ा जलाशय (धमतरी) , गिधवा -परसदा (बेमेतरा) ,नगधा (बेमेतरा), बेलौदी (दुर्ग) ,सांतरा (दुर्ग), अचनाकपुर (दुर्ग ), चीचा गांव (दुर्ग )   विशेष  - प्रदेश में अब तक 35000 से अधिक वेटलैंड ढूंढें जा चुके हैं। क्या हैं रामसर स्थल? उत्तर - रामसर साइट ऐसे वेटलैंड है , जिन्हें  अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त है । 1971 में ईरान के रामसर शहर में दुनिया भर के वेटलैंड के स्थाई उपयोग और संरक्षण के लिए यूनेस्को के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय संधि की गई ।दुनिया भर में करीब 24 रामसर साइट घोषित किए गए हैं। भारत में कुल रामसर स्थलों की संख्या 75 हो गई हैं।

छत्तीसगढ़ के दो धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास

छत्तीसगढ़ के दो धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास Praposal- भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI)  1. पेद्दमागुडी मन्दिर स्थान -  बारसूर छत्तीसगढ़  काल -  काकतीय वंश  प्रतिमा - मां पार्वती अर्थ   -  पेद्दम्मा ( बड़ी मां) तेलुगू चर्चा में क्यों है    - केंद्र से छत्तीसगढ़ समेत सभी ASI मंडलों को यह आदेश दिया गया है कि राज्य में जो भी स्मारक      पुरातात्विक महत्व की है, लेकिन उन्हें अभी तक संरक्षित नहीं किया गया है, तो ऐसी धरोहरों को संरक्षित किया जाए जिसके लिए अलग से बजट देने का प्रावधान भी किया जाएगा।   विशेष - केंद्र से अनुमति मिल जाने पर हमारे राज्य में ASI की 46 की जगह 48 पुरातात्विक स्थल को जाएंगे।   2 .बीस दुवारिया मन्दिर   स्थान - रतनपुर ( बिलासपुर) काल  - कलचूरी कालीन प्रतिमा - कोई मूर्ति नहीं है। निर्मित - ईंट और चूना पत्थर विशेष - मंदिर में किसी किसी स्थानों पर राजा राजसिंह का भव्य स्मारक लिखा हुआ है।

रुचि का स्थान: बीजापुर

रुचि का स्थान-बीजापुर भैरमगढ़ में भैरमदेव  यह एक अल्पज्ञात ऐतिहासिक स्थल है, जिसे कभी नागों की राजधानी का गौरव प्राप्त था। उस नगर में आज भी बहुत से पुराने मंदिर, मूर्तियां हैं। बारहवीं सदी में नाग राजा नरसिंह देव की राजधानी भैरमगढ़ रही।भैरमदेव मेला कुल तीन दिवस का होता है। मंदिर से 500 मीटर की परिधि में कुछ पुरातात्विक अवशेष देखने को मिलेंगे, जिसमें राजाओं के समय के महल जीर्ण-शर्ण अवस्था में है, जिसे सीता कुटिया कहा जाता है। मंदिर के कुछ दूरी में चारों ओर से निर्मित बाड़ा है जहां पर पत्थर से बना लगभग 12 से 14 फीट ऊंचा तथा 8 से 10 फीट चौड़ा एक द्वार है जिसे हाथी द्वार कहते हैं। भद्रकाली   एकमात्र काली माता का मंदिर जो भोपालपट्टनम से दक्षिण दिशा में तारलागुड़ा मार्ग पर 18 किमी दूर पहाड़ी में स्थित है। माँ भद्रकाली जिस पहाड़ी पर स्थित है उसे कालिका देवी गुट्टा कहते हैं। गुट्टा शब्द तेलगू भाषा से है जिसका अर्थ पहाड़ होता है। इस पहाड़ी की ऊँचाई 100 फीट है एवं मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी है। प्रतिवर्ष बसंत पंचमी के दिन यहां मेला लगता है। सकल नारायण गुफा  भोपालपट्टनम ब्लॉक

कांगेर वैली नेशनल पार्क

कांगेर वैली नेशनल पार्क स्थिति एवं दूरी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिला से मात्र 28 किमी की दूरी पर स्थित है। रायपुर जिले से लगभग 330 किमी की दूरी पर है। यह उत्तर पश्चिम किनारे पर तीरथगढ जलप्रपात से प्रारंभ होकर पूर्व में उड़ीसा की सीमा कोलाब नदी तक फैला है। कांगेर नदी इसके बीचो-बीच चलती है। इसकी औसत चौड़ाई 6 किमी एवं लम्बाई 48 किमी है। कांगेर घाटी को 1982 में  नेशनल पार्क का दर्जा प्राप्त हुआ इसका क्षेत्रफल200वर्ग किमी है। यह एक बायोस्फियर रिजर्व है ,कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से निकला है, जो इसकी लंबाई में बहती है। वन एवम प्रजाति इस राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार की वन प्रजातियां मिलती है। जिससे यहां के वनों की विविधिता बढती है। इनमें दक्षिणी पेनिनसुलर मिक्स्ड डेसिहुअस बन, आर्ड सागौन, वन-इनमे साल, बीजा, साजा, हल्दु, चार, तेंदु कोसम, बेंत, बांस एवं कई प्रकार के वनौषधि पौधे मिलते है। मौसम एवम तापमान वर्ष भर यहां का मौसम भ्रमण के लिए अनुकुल है। शीत ऋतु में अधिकतम तापमान 30 सेन्टीग्रेड व न्युनतम 13 सेन्टीग्रेड रहता है। ग्रीष्म में अधिकतम 42

छत्तीसगढ़ का सामान्य परिचय

छत्तीसगढ़ में शिक्षा

 

FACTS RELATED TO CHHATTISGARH PART 1

FACTS RELATED TO CHHATTISGARH SOURCE - MAPS OF INDIA  वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 28 जिले है। गौरेला -पेंड्रा -मरवाही नवीन जिला है जिक्स गठन 10 फरवरी 2020 को किया गया है।  28 जिलों में से 19 जिले सीमावर्ती जिले है तथा 9 जिले भू -आवेष्ठित जिले है जो किसी अन्य राज्य की सीमाओं को नहीं छूते है।  कोरिया  रायगढ़  कोंडागांव  नारायणपुर  मुंगेली  सूरजपुर  महासमुंद  बस्तर  कांकेर  बिलासपुर  बलरामपुर  गरियाबंद  सुकमा  राजनांदगाव  गोरेला -पेंड्रा -मरवाही  जशपुर  धमतरी  बीजापुर  कवर्धा  उपरोक्त जिले सीमावर्ती जिले है. सरगुजा  बलौदाबाजार  दुर्ग  रायपुर  बालोद  बेमेतरा  दंतेवाड़ा  कोरबा  जांजगीर -चांपा  उपरोक्त जिले भू -आवेष्ठित जिले है जो किसी अन्य राज्य की सीमाओं को नहीं छूते है।  विभिन्न जिलों के गठन का वर्ष  रायपुर -1861  बिलासपुर - 1861  दुर्ग - 1906  सरगुजा -1948  रायगढ़ - 1948  बस्तर -1948  राजनाँदगाँव - 1973  कोरिया -1998  जशपुर -1998  कोरबा -1998  जाँजगीर -चंपा -1998  कबीरधाम -1998  महासमुंद -1998  धमतरी -1998  कांकेर -1998  दंतेवाड़ा -1998  नारायणपुर -2007  बीजापुर -2007  सूरजपुर -2007  बलरामपुर -