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ओडिशा के लाल चींटी को मिला GI टैग

ओडिशा के लाल चींटी को  मिला GI टैग 



ओडिशा का मयूरभंज जिला अपनी समृद्ध संस्कृति और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के लिए जाना जाता है. यहां के आदिवासी लोगों की अपनी विशिष्ट परंपराएं और व्यंजन हैं. जिले का एक खास व्यंजन है 'काई चटनी' या लाल चिंटियों की चटनी जोकि लाल चींटियों से बनाया जाता है. इस चटनी का स्वाद बेहद स्वादिष्ट होता है.  इसके साथ ही यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है. यहां जो भी पर्यटक आते हैं उन्हें बहुत पसंद आता हैं l

2 जनवरी 2024 को इस चटनी को इसके अनूठे स्वाद और गुणों के लिए भौगोलिक संकेत यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला है l

लाल चीटीं चटनी के फायदे 

  • लाल चींटी की चटनी के सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. यह एनीमिया, वजन बढ़ने, दिल की बीमारियों, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों से लड़ने के अलावा सामान्य सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं को भी दूर करने में मदद करती है. 
  • इस चटनी में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है. इसमें प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम, आयरन, विटामिन, फाइबर आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं l
  • ये सभी तत्व शरीर को भीतर से मजबूती प्रदान करते हैं. ये हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं. इम्युनिटी बढ़ाकर बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं. रक्त की कमी दूर करते हैं और एनर्जी का स्तर बढ़ाते हैं l
  • स्थानीय आदिवासी लोग मलेरिया, पीलिया और अन्य बुखार से छुटकारा पाने के लिए इन लाल चींटियों के झुंड के पास जाते हैं. चींटियों के काटने से बुखार का तापमान कम होता है. और चटनी खाने से भी बुखार कम करने में मदद मिलता है l

जानें इसको कैसे बनाते हैं 
वसंत ऋतु में लाल चींटियां पेड़ों पर अपने छत्ते बनाती हैं. ग्रामीण लोग इन छत्तों को इकट्ठा कर लेते हैं. फिर इन चींटियों को सिलबट्टों पर पीसकर एक पेस्ट तैयार की जाती है.इसमें नमक, लाल मिर्च, हल्दी और धनिया जैसे मसाले डालकर अच्छे से मिलाया जाता है. कुछ लोग स्वाद के लिए अदरक-लहसुन का पेस्ट भी मिला देते हैं.इस तरह तैयार लाल चींटी की स्वादिष्ट और पौष्टिक चटनी को चाव से खाया जा सकता है. 

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