'' विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल करने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का भेजा प्रस्ताव ''
जैव - विविधता, प्राकृतिक सौन्दर्य, सारगर्भित गुफाओं, झरनों व जलप्रपातों के लिए देश में प्रसिद्ध कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्कों ) की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गयाहैं । प्रस्ताव कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन की ओर से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भारत सरकार को प्रेषित किया गया हैं ।
प्रस्ताव में दावा किया गया हैं कि विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल करने यूनेस्कों द्वारा स्थापित 10 मापदंड जिसमें जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास, महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और जैविक प्रक्रियों, असाधारण सार्वभौमिक मूल्य आदि को कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान पूरा करता है ।
जगदलपुर से 27 किलोमीटर दूर दक्षिण जगदलपुर एवं दरभा विकासखंड में लगभग दो सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तारित इस वन क्षेत्र को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था । मनभावन तीरथगढ़ जलप्रपात से शुरू होकर ओडिशा राज्य की सीमा से होकर बहने वाली कोलाब ( सबरी नदी ) तक यह फैला हुआ हैं । कांगेर नदी इसके बीचोबीच इठलाती हुई बहती हैं । उल्लेखनीय है कि यूनेस्कों कि विश्व धरोहर स्थल की सूची में भारत के छः राष्ट्रीय उद्यानों को अभी तक स्थान मिल चुका हैं ।
इनमें असम स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान व मानस वन्य जीव राष्ट्रीय अभयारणय, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान, सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान बंगाल, कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान सिक्किम, महान हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश और नन्दादेवी फूलों कि घाटी शामिल हैं ।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यदि विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाता हैं तो यह छतीसगढ़ का पहला होगा ।
दावा किया गुफा में मानव निवास का पता चलता है
प्रस्ताव में दावा किया गया है कि कोटमसर गुफा में पुरातात्विक खोजों से पूर्व के एतिहासिक मानव निवास का पता चलता हैं । जो सांस्कृतिक महत्व और मानव - पर्यावरण संपर्क के महत्व के अनुरूप हैं । यह नेशनल पार्क ने कई वर्षों से अपनी पारिस्थितिक प्रक्रियाओं और क्षेत्र कि विशेषताओं की अखंडता को बनाए रखा हैं ।
15 से अधिक सुंदर लाइमस्टोन की गुफाओं की खोज
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में 15 से अधिक सुन्दर लाइमस्टोन की गुफाओं की खोज अब तक की जा चुकी हैं । इनमें विश्व प्रसिद्ध कोटमसर गुफा भी शामिल हैं । इसके आलावा दंडक, अरण्यक, कैलाश आदि गुफाएँ दुर्लभ प्राकृतिक खजाने की नगीना से कम नहीं हैं । तीरथगढ, कांगेर धारा जलप्रपात, वन्यजीव उदबिलाव, माउस डियर, जाइंट स्क्विरल, लेथिस सॉफ्टशेल टर्टल, जंगली भेड़िया के साथ - साथ 200 से अधिक पक्षियों, 900 से अधिक वनस्पतियों और 140 से अधिक तितलियों की प्रजातियाँ यहाँ पाई गई हैं ।
Comments
Post a Comment