Skip to main content

'' करेंट अफ़ेयर्स 2023 ''

'' करेंट अफेयर्स 2023 ''

01.) कैप्टन फातिमा वसीम ने रचा इतिहास :-



11 दिसम्बर को सेना के फायर एन्ड फ्यूरी कोर ने बताया कि सियाचिन ग्लेशियर में सेना की ऑफ़रेशनल पोस्ट पर पहली बार महिला मेडिकल ऑफिसर कैप्टन फातिमा वसीम की तैनाती की गई है। उनकी पोस्टिंग 15 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर होगी। 
कैप्टन फातिमा वसीम ने सियाचिन बैटल स्कूल में ट्रेनिंग ली हैं। 
  • फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14वां कॉर्प्स कहा जाता है, जिसका हेडक्वार्टर लेह में हैं। 
  • इनकी तैनाती चीन - पाकिस्तान की सीमाओं पर होती है। 

02.) गरबा को यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में जोड़ा गया।

गरबा के नृत्य रूप को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की प्रतिनिधि सूची में जोड़ा गया। 

गरबा :-



गरबा गुजरात, राजस्थान और मालवा प्रदेशों में प्रचलित एक लोक नृत्य है। इस लोकनृत्य का मूल उद्गम  गुजरात है। आजकल इसे पुरे देश में आधुनिक नृत्य कला में स्थान प्राप्त हो गया हैं। इस रूप में उसका कुछ परिष्कार हुआ हैं। फिर भी उसका लोकनृत्य का तत्व आज भी बना हुआ  हैं। 
आरम्भ में देवी के निकट सछिद्र घट में दीप ले जाने के क्रम में यह नृत्य होता था। इस प्रकार यह घट दीपगर्भ कहलाता हैं। वर्णलोप से यही शब्द गरबा बन गया। आजकल गुजरात में नवरात्रों के दिनों में लड़कियां कच्चे मिटटी के सछिद्र घड़े को फूलपत्तियों से सजाकर उसके चारों ओर नृत्य करती हैं। 
गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना  जाता हैं। और अश्विन मास की नवरात्रों को गरबा नृत्योतस्व के रूप में मनाया जाता हैं। नवरात्रों की पहली रात्रि को गरबा की स्थापना होती हैं। फिर उसमें चार ज्योतियाँ प्रज्वलित की जाती हैं। फिर उसके चारों ओर ताली बजाती फेरे लगती हैं। 
गरबा नृत्य में ताली, चुटकी,खंजरी,डंडा,मंजीरा आदि का ताल देने के लिए प्रयोग होता हैं। तथा स्त्रियां दो अथवा चार के समूह में मिलकर विभिन्न प्रकार से आवर्तन करती हैं। और देवी के गीत अथवा कृष्णलीला संबंधी गीत गाती हैं। शाक्त - शैव समाज के ये गीत गरबा और वैष्णव अर्थात्त राधा कृष्ण के वर्णनवाले गीत गरबा कहे जाते हैं। 

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत:

  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत वे प्रथाएँ, अभिव्यक्तियाँ, ज्ञान और कौशल हैं जिन्हें समुदाय, समूह तथा कभी -कभी व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में पहचानते हैं। 
  • इसे जीवित सांस्कृतिक विरासत भी कहा जाता हैं, इसे आमतौर पर निम्नलिखित रूपों में से एक में व्यक्त किया जाता हैं। 
    1. मौखिक परम्पराएं 
    2. कला प्रदर्शन 
    3. सामाजिक प्रथाएँ 
    4. अनुष्ठान और उत्सव कार्यक्रम 
    5. प्रकृति और से सम्बन्धित ज्ञान और अभ्यास 
    6. पारंपरिक शिल्प कौशल 

    03.) मनीषा पाधी मिजोरम की राज्यपाल बनने वाली भारत की पहली महिला सहयोगी बनीं। 



    मिजोरम के राज्यपाल ऑफिस ने एक प्रेस रिलीज जारी कर जानकारी दी कि "स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाधी को मिजोरम के राज्यपाल की एड-डी-कैंप (एडीसी) के रूप में नियुक्त किया गया। स्क्वाड्रन लीडर मनीषा भारत की पहली महिला भारतीय सशस्त्र बल अधिकारी हैं जिन्हें देश के राज्यपाल की एड-डी-कैंप (एडीसी) के रूप में नियुक्त किया गया है।"

    Comments

    Popular posts from this blog

    दंडकारण्य का पठार

    दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

    INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

    भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

    छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

    छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न