तारीख पे तारीख -भारत में लंबित मुकदमों के संदर्भ में
बहुत साल पहले भारत में एक फिल्म रिलीज हुई थी ''दामिनी '' इस फिल्म में एक प्रसिद्व संवाद 'तारीख पे तारीख' के माध्यम से कोर्ट में किसी मुकदमें के सुनवाई के दौरान वकीलों के द्वारा मुकदमों को लटकानें के प्रकिया को प्रदर्शित किया गया था ।
इस संवाद को हल ही में उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायधीश ने वकीलों के द्वारा मुकदमों की सुनवाई को लंबित किये जाने के संदर्भ में फिर से याद किया है तथा वकीलों से इस बात का अनुरोध किया है की वे अनावश्यक रूप से मुकदमें की सुनवाई को लंबित न करे। उन्होंने कहा की सितम्बर 23 से अक्टूबर 23 के बीच 3688 मामलों में सुनवाई टालने का आग्रह आ चुका है।
उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न अदालतों में अभी 4 .44 करोड़ से ज्यादा केस लंबित है। इनमें से आधे यानी 2,07,77,421 मामलें पुलिस वकील और अदालतों ने खुद ही अटका रखे है। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड से मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीमकोर्ट ने 1825 , हाईकोर्ट ने 1 लाख 4 हजार 346 और अन्य अदालतों ने 30 लाख 99 हजार 918 केसों पर स्टे लगा रखे हैं। यह कुल मामलों का 17 % हैं। अगर वकील इन केसों में पेश होना शुरू कर दें तो केसों की पेंडेंसी का एक बड़ा हिस्सा कुछ महीनों में ही ख़त्म हो सकता है। इसके अलावा लंबित 10 लाख 67 हजार 33 मुकदमें ऐसे भी हैं। जिनमें पक्षकारों ने कोर्ट आना ही छोड़ दिया है। इस कारण इन केसों में तारीख पर तारीख पड़ती रहती है। ये मुकदमें कुल पेंडेंसी का 2 .4 % हैं।
composed by - yachana sinha
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