Skip to main content

ऑस्कर में चयनित भारतीय फिल्म: "एवरीवन इज ए हीरो"

हिंदी सिनेमा के लिए यह किसी खुशखबरी से कम नहीं है। मलयालम फिल्म '2018: एवरीवन इज ए हीरो' का ऑस्कर में एंट्री मिल गई है। बता दें कि ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से ऑफिशियल एंट्री मिली है। 'लगान' के बाद से किसी भी भारतीय एंट्री को बेस्ट अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म के लिए नॉमिनेशन नहीं मिला है। 2023 में रिलीज हुई फिल्मों के लिए 96वां ऑस्कर पुरस्कार 10 मार्च 2024 को लॉस एंजिल्स में आयोजित किया जाएगा।
 फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) ने बुधवार को इसका एलान किया. प्रख्यात फिल्म निर्माता और चयन समिति के   अध्यक्ष गिरीश कसरावल्ली ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 16 सदस्यीय जूरी ने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए   सर्वसम्मति से मलयालम फिल्म का चयन किया. कन्नड़ सिनेमा में जाने-माने फिल्म निर्माता कसरावल्ली ने कहा कि उन्होंने   2024 के एकेडमी अवॉर्ड्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए '2018' का चयन करने से पहले लंबी चर्चा की थी.
 मलयालम फिल्म '2018 एवरीवन इज ए हीरो' को ऑस्कर में मिली एंट्री
 मलयालम फिल्म '2018: एवरीवन इज ए हीरो' को ऑस्कर 2024 के लिए सिलेक्ट करने से पहले द केरल स्टोरी (हिंदी),   रॉकी और रानी की प्रेम कहानी, मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे (हिंदी), बालागम (तेलुगु), वालवी (मराठी), बाप्ल्योक (मराठी)   और 16 अगस्त, 1947 (तमिल) सहित 22 फिल्म पर विचार किया गया था। अंत में '2018 एवरीवन इन ए हीरो' ने ही   बाजी मारी और इसे भारत की तरफ से ऑस्कर 2024 में ऑफिशियली एंट्री मिल गई है।
 आपदा के मुद्दे पर आधारित है कहानी
 फिल्म '2018 एवरीवन इज ए हीरो' की कहानी साल 2018 में केरल में आई बाढ़ पर बेस्ड है। मूवी में बाढ़ के सामने   इंसानियत की जीत को बहुत ही बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। केरल में आई बाढ़ ने कुछ हिस्सो को बुरी तरह से   तबाह कर दिया था। यह मलयालम सिनेमा की दुनिया में एक बेहतरीन फिल्म साबित हुई, जिसने गर्व से मलयालम सिनेमा   का नाम ऊंचा किया और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली मलयालम फिल्म बन गई। दूरदर्शी जूड एंथनी जोसेफ   द्वारा निर्देशित यह फिल्म जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के लचीलेपन को दर्शाती है।

Comments

Popular posts from this blog

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न