नया संसद भवन
संसद किसी भी लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग होता है । भारत मे भी संसदीय लोकतंत्र को अपनाया गया है जिसकी वजह से संसद का यहाँ के लोकतंत्र मे अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है । भारत की आजादी के बाद से ही अंग्रेजों के काल मे बने संसद भवन से ही भारत के लिए नीतियों तथा कानूनों के निर्माण का कार्य चल रहा था । लेकिन बदलते समय के साथ यह भवन कदम ताल मिलाके नहीं चल पा रहा था । इसलिए एक नए संसद भवन का निर्माण किया गया ।
पुराने संसद भवन की विशेषताएं
- इसका निर्माण 1927 मे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हार्बर्ट बेकर के नेतृत्व मे किया गया था ।
- इस भवन का निर्माण बौद्ध स्तूप की तरह अंडाकार संरचना को ध्यान मे रखा गया था ।
- इसका उद्घाटन तत्कालीन वाइसराय लार्ड इरविन ने किया था।
- इस भवन में 144 खम्बे है जो 22 फ़ीट ऊँचे आधार के ऊपर रखे गए है।
- इस भवन का शिलान्यास प्रिंस आर्थर के द्वारा किया गया था । वे रानी विक्टोरिया के तीसरे पुत्र थे।
- इस भवन को अब संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा।
- इस भवन के शिलान्यास के समय भारत के वाइसराय लार्ड हार्डिंग थे।
नए संसद भवन की खासियत
- इस भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत किया गया था।
- इसके वास्तुकार श्री विमल पटेल है।
- इसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 28 मई 2023 को किया गया था।
- इसमें संसद की कार्यवाही का सञ्चालन 18 सितम्बर 2023 से प्रारम्भ हुआ है।
- यह भवन खजुराहो मे स्थित विजया मंदिर से प्रभावित है ।
- इसमे पुराने संसद भवन की तरह सेंट्रल हाल नहीं है ।
- इसके लोकसभा कक्ष मे 888 संसद सदस्य तथा राज्य सभा कक्ष मे 384 सदस्य बैठ सकते है ।
- इस भवन मे तीन द्वार - ज्ञान द्वार ,शक्ति द्वार तथा कर्म द्वार है । इसके प्रवेश द्वार मे हाथी ,हंस ,मकर ,अश्व ,गरुड़ तथा शार्दूल की स्थापना की गई है ।
- इस भवन मे सबसे पहला बिल महिला आरक्षण से संबंधित प्रस्तुत किया गया है ।
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