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भारत फ़्रांस संबंध

 भारत फ़्रांस संबंध




भारत तथा फ्रांस के रणनीतिक समझौते को २५ वर्ष का समय बीत चूका है।इन वर्षो में दोनों देशों के सम्बन्ध प्रगाढ़ हो चुके है।  इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में फ्रांस की यात्रा की। इस ऎतिहासिक यात्रा पर हमारे देश के प्रधानमंत्री को फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय प्रधानमंत्री है।

फ्रांस तथा भारत का सम्बन्ध सदैव ही सौहार्द तथा मजबूत रहा है। सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य होने के नाते उन्होंने कई विवादित मुद्दे जो भारत से जुड़े हुए थे उस पर सयुंक्त राष्ट्र में भारत के पक्ष में वीटो किया है। इसी तरह फ्रांस यह चाहता है की भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनाया जाये। 

फ्रांस वह पहला देश था जिसने १२३ समझौता होने के पश्चात परमाणु ऊर्जा को लेकर भारत के साथ सहयोग करना प्रारंभ किया था। इसके अलावा हमारा रक्षा सहयोग भी फ्रांस के साथ लगातार मजबूत हो रहा है। पिछले कुछ वर्षो में भारत की वायुसेना की ताकत बढ़ाने वाला राफेल विमान भी फ्रांस से प्राप्त हुआ था। वही भारतीय नौ सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला स्कॉर्पियन पनडुब्बी भी फ्रांस से ही प्राप्त हुआ था। 

इस बार के प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान भी कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौते हुए -

  1. तीन परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी के निर्माण के लिए भारत के मंजगांव डॉकयार्ड तथा फ्रांस के नेवल कंपनी के मध्य समझौता हुआ है। 
  2. लड़ाकू विमान के इंजन निर्माण के लिए DRDO तथा SAFRAN के मध्य समझौता हुआ है। 
इनके अतिरिक्त अब भारत में धन के ट्रांसफर के लिए प्रयुक्त टेक्नोलॉजी का प्रयोग फ्रांस में भी किया जायेगा। ऐसे भारतीय छात्र जो फ्रांस में रहकर पढाई कर रहे हुए उन्हें ५ वर्ष की अवधि तक SCHENGEN VISA प्रदान किया जायेगा। 

 

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