द केरला स्टोरी तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
हाल ही में सिनेमा घरो में एक नयी फिल्म लगी है जिसका नाम है द केरला स्टोरी। इस फिल्म में यह दावा किया गया है की यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है तथा यह वह तीन हिन्दू महिलायों की कहानी है जिनका धर्मांतरण कराया गया तथा उन्हें आंतकवादी संगठन का सदस्य बनवाया गया।
इस फिल्म के ट्रेलर में यह दावा किया गया है की केरल में लगभग ३२००० हिन्दू महिलायों के साथ यह घटना घट चुकी है। (हालॉकि अब इस दावे को हटा दिया गया है ). इसके तथ्यों तथा दावा को लेकर केरल के विभिन्न राजनितिक दल इस फिल्म लगातार विरोध कर रही है।
इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस फिल्म को पश्चिम बंगाल में बेन कर दिया है। जिसका विरोध वहाँ की प्रमुख विपक्षी दल कर रहे है। इसी तरह तमिलनाडु के मल्टीप्लेक्स से भी इस फिल्म को हटा दिया गया है।
इस फिल्म के कुछ राज्यों में विरोध तथा बेन के कारण एक बार फिर से भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर बहस तेज़ हो गयी है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी क्या है और क्यों जरूरी है ?
अभिव्यक्ति की आज़ादी वर्तमान लोकतंत्र का यह प्रमुख लक्षण है। इसके अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्रदान किया जाता है की वह अपने विचार कही भी निर्भीकता से रख सके। लोकतंत्र के सुचारु सञ्चालन के लिए भी यह जरूरी होता है की लोग अपने विचार बिना किसी डर या भय के रख सके। मिल का यह मानना था की प्रत्येक व्यक्ति को बोलने की आज़ादी होनी चाहिए तथा प्रत्येक व्यक्ति जब अपनी बात को रखता है तभी वास्तविक सत्य नज़र आता है।
भारत के संविधान में भी इस बात को प्रमुखता से अनुच्छेद 19 (1 ) के अंतर्गत शामिल किया गया है। हालाँकि अनुच्छेद 19 (2 ) के द्वारा इसके ऊपर कुछ निर्बंध लगाए गए है। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय के द्वारा विभिन्न निर्णयों के माध्यम से इस बात को प्रमुखता से रेखाकिंत किया गया है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है। (Ministry of I & B v. Cricket Association of Bengal,Indian Express Newspapers (Bombay) Pvt. Ltd. v. Union of India )
अगर किसी फिल्म के ऊपर जब रोक लगाया जाता है तो इससे दर्शक के अधिकारों का भी हनन होता है। यह जरूरी नहीं की अगर किसी समुदाय को जो विचार पसंद नहीं वह विचार किसी व्यक्ति को भी न पसंद हो। बल्कि किसी चीज़ो या विचारो पर रोक लगाने से अच्छा है की हम अपने नागरिको को ऐसा तैयार करे की वह स्वयं अपने विवेक से अच्छे और बुरे विचारों में भेद कर सके।
इसके अलावा यह भी देखा गया है की जिन विचारों या वस्तुओं पर रोक लगाने का प्रयास किया जाता है मनुष्य उस ओर अधिक आकर्षित होता है। सबसे अच्छा उदाहरण द केरला स्टोरी का ही ले सकते है। कई मीडिया माध्यमों के द्वारा ख़राब रिव्यु दिए जाने के बावजूद भी यह फिल्म अब तक ४० करोड़ रूपए से अधिक का व्यापार का चुकी है।हो सकता है की विभिन्न राजनीतिक दलों या समूहों के द्वारा इतना हो हल्ला न मचाया जाता तो यह फिल्म इतना व्यापार नहीं कर पाती।
अभिव्यक्ति की आज़ादी होने पर ही कई ऐसे विचार सामने आते है जो समाज तथा देश के विकास के लिए जरूरी होते है। जैसे एक समय था जब गैलिलिओ को उसके क्रांतिकारी खोज की सूर्य के चारो ओर पृथ्वी चक्कर लगाती है के कारण उस समय के पोप से क्षमा याचना करनी पड़ी थी ,परन्तु यही विचार कालांतर में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
अभिव्यक्ति तथा विचारो की आज़ादी होने पर ही किसी देश में विज्ञान तथा अन्य क्षेत्रो में विकास होता है। पश्चिम के देश इसी कारण से सभी क्षेत्रों में दुनिया में अग्रणी है। अभिव्यक्ति तथा विचारों की स्वतंत्रता के कारण ही इन्ही देशों में सोशल मीडिया ,आर्टिफीसियल इंटेलिजेन्स का जन्म हुआ जो वर्तमान समय के सर्वाधिक लोकप्रिय खोजो में से एक है। विचारों की आज़ादी के कारण है अमेरिका में स्टारशिप यान जैसी योजना पर काम चल रहा है जो मंगल तथा चाँद में मानव बस्ती बसाने का लक्ष्य रखता है।
इन सब तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है अभिव्यक्ति की आज़ादी ही वह जादू की छड़ी है जो किसी भी समाज तथा देश के विकास के लिए जरूरी होता है।
परन्तु ,अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ यह जरूरी है की प्रत्येक व्यक्ति तथा नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे तथा बिना तथ्यों के कोई बे सिर पैर की बात न कहे तथा ऐसे बातो से परहेज करे जो सामाजिक सौहाद्र को नुकसान पहुचायें या देश की स्वतंत्रता एवं अखंडता को ख़तरे में डाले।
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