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बाघों की संख्या की वृद्धि के मामले मे भारत एक बार पुनः शीर्ष पर

बाघों की संख्या की वृद्धि के मामले मे भारत एक बार पुनः शीर्ष पर 



भारत के पास खुश होने की दो प्रमुख वजहे है -

  1. प्रोजेक्ट टाइगर को 50 वर्ष पूरे हो गए । 
  1. भारत मे अब बाघों की संख्या 2022 में बाघों की आबादी 124.5 फीसदी बढ़कर अब 3,167 पर पहुंच गई है।
सबसे पहले बात करते है प्रोजेक्ट टाइगर की । प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुवात 1 अप्रैल 1973 को जिम कॉर्बेट पार्क(उतराखंड ) से की गई थी । इसका प्रमुख उद्देश्य बाघों के संख्या मे वृद्धि करना था । इस परियोजना की शुरुवात का श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को जाता है । अब ये सवाल उठता है की बाघों को बचाना क्यों जरूरी है ?इसका प्रमुख कारण यह है की बाघ खाद्य शृंखला के शीर्ष पर विद्यमान है । बाघ की वजह से जंगल के अन्य शाकाहारी जानवर की आबादी पर एक नियंत्रण बना रहता है । अगर इन जानवरों पर नियंत्रण नहीं रखा जाएगा तो अत्यधिक चराई की स्थिति निर्मित हो जाएगी तथा इसका सीधा असर जंगल के सेहत पर पड़ेगा । इसलिए बाघ जंगल के सेहत को बनाए रखने के लिए अत्यंत जरूरी है । 
अब दूसरी चर्चा उस विषय पर करते है जो भारत को बाघ संरक्षण की मुहिम मे विश्व के अग्रणी देश के रूप मे स्थापित करता है । प्रोजेक्ट टाइगर को पूरे 50 वर्ष हो गए । इस अवसर पर "स्टेटस ऑफ टाइगर्स 2022" जारी किया गया । इस रिपोर्ट के अनुसार अब भारत मे बाघों की संख्या 3,167 पर पहुंच गया है। 
उल्लेखनीय है की 2006 में देश में मौजूद बाघों की संख्या 1,411 थी जो 2010 में बढ़कर 1,706 पर पहुंच गई थी। वहीं 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,226 और 2018 में 2,967 पर पहुंच गया था। इसके बाद अगले चार वर्षों में इसमें 6.74 फीसदी की वृद्धि हुई है। 
हालांकि पिछले चार वर्षों से तुलना करें तो बाघों की संख्या में उतनी वृद्धि नहीं हुई है जितनी इससे पहले देखने को मिली थी। यह ऐसा विषय है जिसपर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। 2014 से 2018 के बीच बाघों की आबादी में 33 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है जबकि इस बार यह वृद्धि केवल सात फीसदी के आसपास ही है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल बिग कैट अलायन्स (आईबीसीए) की भी शुरुआत की है, जिसका मकसद दुनिया भर में बाघ और शेर समेत बिग कैट की सात प्रजातियों की रक्षा और संरक्षण करना है।
source down to earth 


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