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भारत मे मध्य पाषाण युग (Mesolithic age )

 भारत मे मध्य पाषाण युग (Mesolithic age )

 इस युग तक पृथ्वी के तापमान मे परिवर्तन होने लगा था । हिम युग खत्म हो रहा था तथा पृथ्वी अपेक्षाकृत गरम हो रही था । इसी के साथ होमो सेमपियन्स का भी उद्भव हो रहा था ।

यह युग मानव के जीवन काल का सबसे महत्वपूर्ण समय था । यही वह समय था जब मानवों ने पशुपालन के महत्व को समझा तथा पशुओ को पालना प्रारंभ किया । इसके अंतर्गत सबसे पहला पशु कुत्ता था । पशु पालन के साक्ष्य आदमगढ़ (मध्य प्रदेश ) तथा बगोर (राजस्थान ) से प्राप्त हुए है। पशुओं का प्रयोग माँस तथा खाल के लिए होता था । पशुओं से प्राप्त होने दूध का इस समय तक प्रयोग नहीं किया जाता था । 

इस काल की विशेषता माइक्रोलिथ अथवा लघु पाषाण है ।

 

इस काल के मानव भित्ति चित्र का निर्माण करते थे । इसका साक्ष्य भीम बेटका (मध्य प्रदेश ) से प्राप्त होता है । भीमबेटका के साथ आदमगढ़ ,मिर्जापुर से भी चित्रकला के साक्ष्य प्राप्त हुआ है । 

उल्लेखनीय है की भीमबेटका के खोज का श्रेय वी.एस.वाकनकर को जाता है । 

मध्य पाषाण काल तक होमोसेमपियन्स का उद्भव हो चुका था तथा हिम युग भी समाप्ति की ओर बढ़ रहा था ।
 

मध्य पाषाण स्थल 

सराय नाहर राय ,महदहा ,दमदमा (उत्तर प्रदेश ),भीमबेटका (मध्य प्रदेश )

मध्य पाषाण युग की सबसे बड़ी बस्ती बगोर है जो की राजस्थान मे स्थित है । यहाँ की खुदाई से 3 सांस्कृतिक अवस्थाएं पायी गई है । 

इसी तरह गुजरात स्थित लँघनाज मे भी मध्य पाषाण काल तथा अन्य युगों से संबंधित 3 संस्कृतियाँ पायी गई है । यहाँ से माइक्रोलिथ ,पशुओं की हड्डियाँ ,कब्रिस्तान तथा 14 मानव कंकाल प्राप्त हुए है ।

 

 

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