Skip to main content

क्रिप्टोकरन्सी :एक यथार्थ

 क्रिप्टोकरन्सी: एक यथार्थ 

प्रस्तावना 

 मनुष्य के विकास के साथ अर्थव्यवस्था का भी विकास होने लगा । प्रारम्भिक दौर मे मनुष्य जब स्थानीय या आपसी स्तर पर व्यापार या लेन -देन करता था तब वह वस्तु विनिमय कर लेता था । परंतु जब व्यापार बड़े स्तर पर होने लगा तब मुद्रा का आविर्भाव हुआ । 

सबसे प्राचीन मुद्रा मिट्टी का था जो मेसोपोटामिया मे प्राप्त हुआ था । तकनीक के विकास के साथ मुद्रा का भी विकास होने लगा । इसी का परिणाम है की आज दुनिया मे डिजिटल करन्सी का प्रचलन बढ़ता जा रहा है । 

क्रिप्टोकरन्सी क्या है ?

क्रिप्टोकरन्सी एक डिजिटल मुद्रा का प्रकार है जो ब्लॉकचैन पद्धति पर काम करता है । यह करन्सी पूरी तरह विकेंद्रित तथा पारदर्शिता के सिद्धांत पर कार्य करने वाला करन्सी है । यह बिना किसी सेंट्रल बैंक के नियंत्रण के कार्य करता है । 

वही ब्लॉकचेन एक डिजिटल सार्वजनिक बही खाता है. इसी डिजिटल बही के जरिए ही क्रिप्टो करेंसी का संचालन होता है। प्रत्येक लेनदेन को एक सार्वजनिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित कर दिया जाता है। ब्लॉकचेन तकनीक की खासियत यह है कि यहां पर अगर एक बार भी कोई लेन-देन को दर्ज हो गया तो इसे न तो यहां से हटाया जा सकता है और न ही इसमें कोई बदलाव हो सकता है। 

क्रिप्टो करेंसी कितने प्रकार की होती है?

दुनिया मे आज बहुत सारे क्रिप्टो करन्सी प्रचलित है । इनमे से कुछ निम्न है -

1 बिटकॉइन -वर्तमान मे यह सबसे अधिक मूल्य का तथा सबसे अधिक प्रचलित क्रिप्टो करन्सी है । ऐसा माना जाता है की इसका विकास सातोशी नकामोतो नामक व्यक्ति ने किया था । 

2 इथेरियम- बिटकॉइन के बाद यह सर्वाधिक प्रचलित क्रिप्टोकरन्सी है ।इसका विकास 2013 मे हुआ था । 

3 पोल्कडॉट 

4 डॉगकॉइन  

क्रिप्टो करन्सी से लाभ  

  1. पहले ही उल्लेख किया जा चुका है की क्रिप्टोकरन्सी पूरी तरह से नियंत्रणमुक्त है इसलिए इसके द्वारा किया गया कोई भी लेन देन अत्यंत आसान होता है तथा लेन देन की लागत भी बहुत कम आती है । 
  2. नियंत्रणमुक्त होने के कारण कोई भी व्यक्ति बिना किसी डॉक्युमेंट्स के इस वित्तीय प्रणाली से जुड़ सकता है । 
  3. इसमे गोपनीयता के तत्व ज्यादा है । 

क्रिप्टोकरन्सी के नुकसान 

  1. इस करन्सी को अभी तक किसी भी देश की सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है । अतः यह वैध मुद्रा नहीं है । 
  2. क्रिप्टोकरन्सी के ट्रेडिंग मे बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव होता है । 
  3. डिजिटल लेन देन होने के कारण सायबर अटैक का खतरा हमेशा बना रहता  है ।
  4. किसी केन्द्रीय बैंक की मान्यता न होने के कारण कोई फिक्स नियम या कानून नहीं है जिसकी वजह से क्रिप्टो करन्सी को लेकर असमंजस की स्थिति हमेशा बनी रहती है । 

भारत मे क्रिप्टो करन्सी  

भारत मे अभी तक क्रिप्टो करन्सी को सरकार या केन्द्रीय बैंक से मान्यता प्राप्त नहीं हुयी है ।हाल ही मे भारत के केन्द्रीय बैंक ने क्रिप्टो करन्सी को लेकर अपनी कुछ आपतियाँ दर्ज की है जो की निम्न है -

  1. यह केन्द्रीय बैंक के द्वारा बनाने वाली मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकता है क्योंकि अभी तक वर्तमान मे क्रिप्टो करन्सी जारी करने के लिए कोई नियम नहीं है अपितु लोग क्रिप्टो माइनिंग के द्वारा इसका निर्माण करते है । 
  2. यह देश की वित्तीय प्रणाली को खतरा उत्पन्न कर सकता है । 
  3. गोपनीयता के तत्व ज्यादा होने के कारण कोई भी व्यक्ति इस करन्सी का प्रयोग आतंक तथा ड्रुग तस्करी के वितपोषण के लिए कर सकता है । 
  4. क्रिप्टो करन्सी से देश के वित्तीय संप्रभुता को खतरा उत्पन्न हो सकता है क्योंकि अधिकांश क्रिप्टो करन्सी का उद्भव विदेशों मे हुआ है तथा यह डॉलर से जुड़ा हुआ है । 

यद्यपि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद क्रिप्टो करन्सी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाई गई रोक हटाई जा चुकी है परंतु, अभी भी यह भारत मे एक वैध मुद्रा नहीं है । इसके लेन देन पर भी भारत सरकार के द्वारा 30 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाता है ।भारत की वित्त मंत्री ने बजट भाषण मे स्वयं का एक डिजिटल करन्सी लाने की घोषणा की है । 

क्रिप्टो करन्सी का भविष्य 

अभी क्रिप्टो करन्सी के भविष्य को लेकर कुछ अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि अभी तक सायप्रस को छोड़कर किसी देश ने इसको वैधता प्रदान नहीं किया है । 

परंतु ऐसी कुछ खबरे है की दुनिया की कई बड़ी कॉम्पनियाँ जैसे amazon ,walmart ,PayPal आदि क्रिप्टो करन्सी के द्वारा लेन देन कर सकते है । टेसला पहले ही bitcoin के माध्यम से अपने कारों की बिक्री कर रहा है ।

विश्व मे बड़े पैमाने पर लेन देन को देखते हुए इसके रेग्युलेशन को लेकर भी कई सरकारों के द्वारा विचार किया जा रहा है । इस तरह अभी इसके भविष्य को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती पर इतना कहाँ जा सकता है की यह भविष्य का मुद्रा है क्योंकि इसकी बहुत सारी खूबियाँ है जो नीति निर्माताओ को लगातार प्रभावित कर रही है । 

 


 




 

Popular posts from this blog

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर च...

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के स...

छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना

  छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना   किसी भी राज्य मे पाए जाने वाले मिट्टी,खनिज,प्रचलित कृषि की प्रकृति को समझने के लिए यह आवश्यक है की उस राज्य की भौगोलिक संरचना को समझा जाए ।  छत्तीसगढ़ का निर्माण निम्न प्रकार के शैलों से हुआ है - आर्कियन शैल समूह  धारवाड़ शैल समूह  कड़प्पा शैल समूह  गोंडवाना शैल समूह  दक्कन ट्रैप शैल समूह  आर्कियन शैल समूह    पृथ्वी के ठंडा होने पर सर्वप्रथम इन चट्टानों का निर्माण हुआ। ये चट्टानें अन्य प्रकार की चट्टानों हेतु आधार का निर्माण करती हैं। नीस, ग्रेनाइट, शिस्ट, मार्बल, क्वार्टज़, डोलोमाइट, फिलाइट आदि चट्टानों के विभिन्न प्रकार हैं। यह भारत में पाया जाने वाला सबसे प्राचीन चट्टान समूह है, जो प्रायद्वीप के दो-तिहाई भाग को घेरता है। जब से पृथ्वी पर मानव का अस्तित्व है, तब से आर्कियन क्रम की चट्टानें भी पाई जाती रही हैं। इन चट्टानों का इतना अधिक रूपांतरण हो चुका है कि ये अपना वास्तविक रूप खो चुकीं हैं। इन चट्टानों के समूह बहुत बड़े क्षेत्रों में पाये जाते हैं।   छत्तीसगढ़ के 50 % भू -भाग का निर्माण...