CURRENT AFFAIRS MAY 2022
MAY 14,2022
दैनिक भास्कर मे प्रकाशित खबरों पर आधारित
आयात तथा निर्यात मे वृद्धि
यूनाइटेड किंगडम अंतरिक्ष में स्थापित करेगा सोलर पॉवर स्टेशन
2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को शून्य पर लाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए यूके अंतरिक्ष में सोलर पॉवर स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
यूके ने पिछले साल इस दिशा में विकल्प तलाशने की पहल शुरू की थी। इसका उद्देश्य मौजूदा प्रौद्योगिकियों की तुलना में न्यूनतम लागत में शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करना है।
इस पहल के चेयरमैन मार्टिन सोल्टौ के मुताबिक, ‘अंतरिक्ष में सोलर पॉवर स्टेशन विकसित करने के लिए आवश्यक सभी तकनीकें पहले से मौजूद हैं।
इस संयंत्र को बनाने का पूरा काम रोबोट करेंगे।
यूके का लक्ष्य 2035 की शुरुआत में धरती पर बिजली पहुंचाना होगा।
यह पावर प्लांट कई मील लंबा हो सकता है। इसे अंतरिक्ष की कक्षा तक पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के स्टारशिप के आकार के 300 रॉकेट की जरूरत होगी। एक बार बनने के बाद यह सूर्य के साथ-साथ पृथ्वी का लगातार 36,000 किलोमीटर का चक्कर लगाएगा।
यह प्लांट धरती पर काम करने वाले सोलर पाॅवर प्लांट की तरह ही सोलर एनर्जी एकत्रित करेगा। धरती पर इसी आकार के सोलर पावर प्लांट के मुकाबले यह 13 गुना अधिक बिजली बनाएगा।
इन राज्यों मे surplus है बिजली
सोर्स दैनिक भास्कर
कर्नाटक, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कोयले की कमी कोई असर नहीं डाल रही। इन राज्यों में करीब आधी बिजली बिना किसी ईंधन के पैदा होती है।
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में अभी करीब 60% बिजली का उत्पादन थर्मल प्लांट यानी कोयले से होता है।
कर्नाटक में सिर्फ 34% बिजली कोयले से बनती है। वहां 51% बिजली का उत्पादन अक्षय स्रोतों (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा) से होता है, जिसमें किसी ईंधन की जरूरत नहीं होती।
कर्नाटक ऐसी बिजली का सबसे बड़ा विक्रेता भी है। गौरतलब है कि भारत में बिजली की स्थापित क्षमता 3,93,389 मेगावॉट है, जिसमें से अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 1,04,878 मेगावॉट यानी करीब एक चौथाई है।
कर्नाटक में 75% सौर बिजली छतों पर बनती है।
अक्षय ऊर्जा के मामले में नंबर एक राज्य कर्नाटक में देश के टॉप-10 साेलर पार्कों में से सिर्फ एक पावागड़ा सोलर पार्क है।देश के इस दूसरे सबसे बड़े सोलर पार्क की उत्पादन क्षमता 2,245 मेगावॉट की है। लेकिन कर्नाटक की कुल अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 15,787 मेगावॉट है। यहां करीब 75% बिजली (सोलर एनर्जी) घरों-इमारतों की छतों पर लगे पैनल से पैदा होती है।
20 वें पशुधन सर्वे
- 2019 के 20वें पशुधन सर्वे में देसी नस्ल की गाय 73.5% रह गईं। पशुधन में गाय ही घटी हैं। 19वें सर्वे में गायें 37.3% थीं, जो 20वें सर्वे में 36% पर आ गया।
19वें सर्वे में हरियाणा नस्ल की गाय संख्या के लिहाज से पहले नंबर पर थीं। कुल गायों में उनकी संख्या 4.15% थी, जो 20वें सर्वे में घटकर केवल 1.9% रह गई। हरियाणा नस्ल की 41.5% गाय उत्तर प्रदेश, 20.6% हरियाणा और 8.5% राजस्थान में हैं।
गिर नस्ल की गायें 4.8% की भागीदारी के साथ नंबर-1 पर हैं। पिछले सर्वे में गिर गायें 3.4% थीं। सबसे अधिक 34.7% गिर गाय पश्चिम बंगाल में हैं। 25.6% गुजरात और 15.2% राजस्थान में हैं। साहीवाल गायों की संख्या करीब 22% बढ़ी है। ये नस्ल सबसे अधिक 44.2% पश्चिम बंगाल में है, जबकि उत्तर प्रदेश में 28.7%, छत्तीसगढ़ और बिहार में 6-6% से कुछ ज्यादा और पंजाब में केवल 1.5% है।
असम की लखीमी नस्ल की गाय दूसरे पायदान पर है, जबकि पिछले सर्वे के 37 नस्लों में वह शामिल ही नहीं थी। नए सर्वे में कुल गोधन में लखीमी गाय की भागीदारी 4.8% है।
गुजरात, राजस्थान की कांकरेज नस्ल की गायों की संख्या 2% से घटकर 1.6% रह गई है। राजस्थान की राठी नस्ल की गायों की संख्या 4 लाख की कमी आई है। हालांकि गायों की संख्या में हिस्सेदारी 0.8% बरकरार है।
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