Skip to main content

CURRENT AFFAIRS 17 MAY 2022

 CURRENT AFFAIRS 17 MAY 2022

दैनिक भास्कर मे प्रकाशित खबरों पर आधारित 

 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (ग्रामीण औद्योगिक पार्क) में बने सामान अब सरकार खरीदेगी

 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (ग्रामीण औद्योगिक पार्क) में बने सामान अब सरकार खरीदेगी। राज्य शासन जिला स्तर पर खरीदी का प्लान करते हुए ऐसे सामान की सूची बना रहा है, जिसे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में बनाकर यहीं से खरीदा जा सकता है। 

इसके दो उद्देश्य हैं। पहला, सरकार की इन योजनाओं को कामयाब किया जाए। दूसरा, ग्रामीण इलाकों में युवा किसानों को ऐसे उद्योग या स्टार्टअप खोलने में मदद कर उद्यमी बनाया जा सके। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क, सी- मार्ट और गोठान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

जीवनदायिनी गंगा नदी लगातार सिकुड़ रही है

उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए बने बांधों और इस साल ज्यादा गर्मी के कारण हरिद्वार में गंग नहर में पानी भी कम छोड़ा गया है। नतीजा ये हुआ कि पहली बार मई में ही काशी के सामनेघाट के पास गंगा नदी के बीच में रेत के टीले उभर आए हैं। जबकि नदी के बीच ये टीले जून में दिखाई पड़ते थे। इन दिनों गंगा नदी के बीच उभरे टीलों पर बैठे मछुआरों को मछली पकड़ते देखा जा सकता है। 

  कारण... जिनसे ऐसे हालात
बेसिन के दोनों किनारों से लिफ्ट कैनाल से सिंचाई के लिए सप्लाई, इससे नदी की धारा कमजोर होती है।

उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट में रोके गए पानी से मैदानी इलाकों में गंगा के पानी की मात्रा में कमी आती है।

भूजल का भी अंधाधुंध दोहन किया जा रहा है। इससे भूगर्भ जलस्तर रीचार्ज प्रोसेस में पानी चला जाता है।

हरिद्वार के बाद इसकी मेन स्ट्रीम का पानी कई कैनालों के जरिए दूसरे प्रदेशों को भी सप्लाई किया जा रहा है।


 



 

Comments

Popular posts from this blog

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न