Skip to main content

CURRENT AFFAIRS 15 MAY 2022

 CURRENT AFFAIRS 15 MAY 2022

DAINIK BHASKAR मे प्रकाशित खबरों पर आधारित 

 ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर एंड्रयू साइमंड्स की सड़क दुर्घटना में निधन

SOURCE DNA INDIA

 
SOURCE DAINIK BHASKAR
 

सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाया  

  इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला- गेहूं की सरकारी खरीद कम हुई है। दूसरा- मौसम की मार से गेहूं की फसल पर असर पड़ा है, जिस वजह से पैदावार कम हुई है। ऐसी स्थिति में देश के सामने यह आशंका खड़ी हो गई है कि कहीं आने वाले समय में गेहूं के भंडार खाली न हो जाएं।

सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि कई कारणाें से दुनिया में गेहूं की कीमताें में उछाल आया है। इससे भारत सहित पड़ाेसी देशाें की खाद्य सुरक्षा के लिए जाेखिम पैदा हो गया है। इसे ध्यान में रखते हुए निर्यात पर रोक का फैसला लिया गया है।

सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य 444 लाख मीट्रिक टन रखा था। फिर इसे घटाकर 195 लाख मीट्रिक टन कर दिया। ये भी अब पूरा होना संभव नहीं दिख रहा है। क्योंकि, सरकारी मंडियों में अब गेहूं नहीं के बराबर आ रहा है। दूसरी ओर, कारोबारियों ने निर्यात के लिए गेहूं का स्टॉक कर रखा है। अब अगर यह गेहूं निर्यात नहीं हो पाएगा तो जाहिर है कि भारत में ही खपाना होगा। इसलिए दाम बढ़ने की आशंका कम है।

सरकार के तमाम विभागों, मंत्रालयों, संगठनों और संस्थानों की अंग्रेजी वेबसाइट का हिंदी स्वरूप भारत के अपने हिंदी डोमेन से चलाने का निर्णय लिया गया है

 अब वेबसाइट का नाम अंग्रेजी में नहीं बल्कि हिंदी में ही दर्ज होगा और देश की 80% हिंदी भाषी आबादी अपनी मातृभाषा में वेबसाइट के यूआरएल दर्ज कर सरकारी महकमों की जानकारी ले सकेगी। 

लोग ईमेल एड्रेस भी हिंदी में बना सकेंगे। सरकारी अधिकारी भी ईमेल हिंदी पते से भेज सकेंगे। जैसे- गृह मंत्रालय के सचिव ईमेल एड्रेस सचिव@सरकार.भारत रख सकेंगे।

शुरुआत के तौर पर ‘इंडिया पोर्टल’ वेबसाइट को मॉडल के रूप में विकसित किया गया है। इसे इंडिया.सरकार.भारत एड्रेस से लाइव किया गया है। इसी तरह दूसरे मंत्रालयों की वेबसाइट्स को भी हिंदी डोमेन के साथ उतारा जाएगा।

सोर्स दैनिक भास्कर 

 भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को देश के 15 स्थानों पर सोने तथा 3 स्थानों पर हीरे के भंडार के संकेत मिले

2015 के सर्वे के मुताबिक, देश में 25% सोना अकेले राजस्थान में होने का अनुमान है। उदयपुर के देवगांव, बांसवाड़ा के घटियाना में जमीन में सोना का पता लगाने के लिए सर्वे हो रहा है, जबकि उदयपुर के खोरी महुरी और बांसवाड़ा के जगपुरा उत्तर में दूसरे स्तर का सर्वे हो चुका है।

बिहार के जमुई में देश का सबसे बड़ा साेने का भंडार मिला है। भूवैज्ञानिकों का अनुमान है कि बिहार में सोने का भंडार 44% है, जाे देश में सबसे अधिक है। इसके बाद राजस्थान में 25% साेने का भंडार है। 

चार राज्यों-छतीसगढ़ के रायगढ़, मध्य प्रदेश के बरायथा, ओडिशा के पदमपुर -पाइकमल -झारबंध और आंध्र प्रदेश के कनागनपल्ले-धर्मावरम में हीरे के भंडार मिले हैं।

स्पेस टुरिज़म का बढ़ता बाजार  

पिछले कुछ वर्षों से स्पेस टुरिज़म का बाजार तथा शौक लगातार बढ़ता जा रहा है । एक समय था जब सरकारी अंतरिक्ष संगठनों के द्वारा वैज्ञानिको तथा तकनीशियनों को ही अंतरिक्ष खोजों के लिए अंतरिक्ष मे भेजा जाता था, पर अब यह बीते वर्षों की बात बन गई है । अब अगर आपके पास पैसा और जुनून है तो आप भी स्पेस मे जा सकते है । 

सोर्स दैनिक भास्कर

 

सोर्स दैनिक भास्कर

  CURRENT AFFAIRS MCQ

CLICK BELOW 

https://online-test.classplusapp.com/?testId=6280a6348092806faf1261e5&defaultLanguage=en-US

 

 

Popular posts from this blog

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर च...

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के स...

छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना

  छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना   किसी भी राज्य मे पाए जाने वाले मिट्टी,खनिज,प्रचलित कृषि की प्रकृति को समझने के लिए यह आवश्यक है की उस राज्य की भौगोलिक संरचना को समझा जाए ।  छत्तीसगढ़ का निर्माण निम्न प्रकार के शैलों से हुआ है - आर्कियन शैल समूह  धारवाड़ शैल समूह  कड़प्पा शैल समूह  गोंडवाना शैल समूह  दक्कन ट्रैप शैल समूह  आर्कियन शैल समूह    पृथ्वी के ठंडा होने पर सर्वप्रथम इन चट्टानों का निर्माण हुआ। ये चट्टानें अन्य प्रकार की चट्टानों हेतु आधार का निर्माण करती हैं। नीस, ग्रेनाइट, शिस्ट, मार्बल, क्वार्टज़, डोलोमाइट, फिलाइट आदि चट्टानों के विभिन्न प्रकार हैं। यह भारत में पाया जाने वाला सबसे प्राचीन चट्टान समूह है, जो प्रायद्वीप के दो-तिहाई भाग को घेरता है। जब से पृथ्वी पर मानव का अस्तित्व है, तब से आर्कियन क्रम की चट्टानें भी पाई जाती रही हैं। इन चट्टानों का इतना अधिक रूपांतरण हो चुका है कि ये अपना वास्तविक रूप खो चुकीं हैं। इन चट्टानों के समूह बहुत बड़े क्षेत्रों में पाये जाते हैं।   छत्तीसगढ़ के 50 % भू -भाग का निर्माण...