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भारत मे न्यायपालिका से जुड़ी समस्याएं

भारत मे न्यायपालिका से जुड़ी समस्याएं

भारत मे संविधान द्वारा एकीकृत न्यायपालिका पद्धति को अपनाया गया । उल्लेखनीय है की यह अवधारणा ग्रेट ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है । 

इसके तहत भारत का सुप्रीम कोर्ट न्यायिक तंत्र के शीर्ष पर स्थित है तथा सबसे निम्न स्तर पर सेशन कोर्ट है । 

भारत मे न्यायपालिका से जुड़ी निम्न समस्याएं है -

  1. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार , 12 अप्रैल, 2017 तक, भारत की जिला अदालतों में 24,186,566 लंबित मामले हैं, जिनमें से 2,317,448 (9.58%) 10 से अधिक वर्षों से लंबित हैं, और 3,975,717 (16.44%) पांच और दस वर्षों के बीच लंबित हैं। 

  2. 31 दिसंबर, 2015 तक, [अधीनस्थ न्यायालय] न्यायिक अधिकारियों के पदों पर 4,432 रिक्तियां थीं, जो स्वीकृत संख्या का लगभग 22% थीं।

  3. उच्च न्यायालयों के मामले में, 1,079 पदों में से 458, जो स्वीकृत संख्या के 42% का प्रतिनिधित्व करते हैं, जून 2016 तक रिक्त थे।

  4.  केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अतिरिक्त-संवैधानिक अधिकार का प्रयोग, जवाबदेही तंत्र का कमजोर होना, निचली न्यायपालिका और पुलिस में व्यापक भ्रष्टाचार, उनके बीच संभावित मिलीभगत, मुसलमानों, अन्य अल्पसंख्यकों और निचली जाति के हिंदुओं के प्रति भेदभाव के भी विभिन्न मामले भी आए दिन अखबारों की सुर्खिया बनती रहती है ।

    SOURCE THE HINDU  


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