गांव की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति की कल्पना बिना अच्छी सड़कों के करना संभव नहीं है। इसलिये आवश्यक है कि प्रत्येक गांव को बारामासी सड़कों से जोड़ा जाए।
भारत सरकार द्वारा 25.12.2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना इस उददेश्य के साथ प्रारंभ किया गया था कि सामान्य क्षेत्रों में 500 या उससे अधिक आबादी की बसाहटों तथा आदिवासी क्षेत्रों को मार्च 2011 में भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार आई.ए.पी (Integrated Action Plan)जिलों में 250 या इससे अधिक आबादी की जुड़ी बसाहटों को अच्छी बारहमासी सड़कों से जोड़ा जाना है।
ग्रामीण विकास विभाग भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा 09 अप्रैल 2014 को नक्सल प्रभावित 07 जिलों के 29 विकासखण्डों का चयन करते हुए इन विकासखण्डो में 100 से 249 जनसंख्या वाली बसाहटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने हेतु स्वीकृति है।
वर्तमान में आई. ए.पी.जिलों की संख्या 88 हैं।
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उददेश्य प्रत्येक बसाहट कोे कम से कम एक बारहमासी सड़क सम्पर्क उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बिना जुड़ी बसाहट को प्राथमिकता देना है । सभी बिना जुड़ी बसाहटों के सम्मिलित होने के बाद ही गिटटीकृत सड़को से जुड़ी बसाहटों के उन्नयन का कार्य लिया जाना है ।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में छत्तीसगढ़ के सड़कों की गुणवत्ता में प्रथम स्थान पर
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टीएस सिंह देव केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के कांफ्रेंस में शामिल हुए। इस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा की गई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की प्रगति को देखते हुए छत्तीसगढ़ को सड़क गुणवत्ता में प्रथम स्थान दिया गया। इस योजना में आई तेजी को देखते हुए नवीन 2000 किमी अतिरिक्त सड़कों की मंजूरी और नवीकरणीय कार्यों के लिए केंद्रांश एवं राज्यांश को 60:40 अनुपात में करने का आग्रह किया गया।
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