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लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

 लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 


 प्रस्तावना -

किसी भी लोकतंत्र मे मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । मीडिया के द्वारा ही सरकार तथा जनता के बीच संवाद स्थापित होता है । मीडिया ही वह माध्यम होता है जिसके द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओ का प्रचार प्रसार जनता तक होता है तथा उनके क्रियान्‍वयन से जुड़ा फीडबैक सरकार तक पहुंचता है । 

मीडिया की लोकतंत्र मे महत्ता को देखते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने मीडिया की स्वतंत्रता को अनुच्छेद 19 (1) अ के अंतर्गत सुनिश्चित किया गया है तथा समय-समय पर अपने विभिन्न निर्णयों के द्वारा उच्चतम न्यायालय ने इस बात को अच्छे से स्थापित किया है ।यथा -वर्ष 1950 में, रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव पर प्रेस की स्वतंत्रता पर आधारित होती है।

भारत मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इतिहास 

भारत मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रारंभ 1964 मे हुआ जब दूरदर्शन मे न्यूज की शुरुवात हुयी । उस समय बहुत कम समय के लिए न्यूज दिखाया जाता था । 

1990 के दशक मे भारत मे निजी समाचार चैनल की शुरुवात हुयी । इस कड़ी मे पहला नाम जैन टीवी तथा जी टीवी का है । प्रारम्भिक दौर मे यह चैनल भी कुछ घंटों के लिए ही समाचार का प्रसारण करते थे ।भारत मे पहली बार 24 घंटे समाचार प्रसारित करने का श्रेय जैन टीवी को जाता है । इसके उपरांत जीटीवी तथा आज तक ने भी अपने 24 घंटे प्रसारित होने वाले समाचार चैनल प्रारंभ किए । 

इसके बाद बीतते समय के साथ 24 घंटे समाचार प्रसारित करने वाले समाचार चैनल की बाढ़ आ गई ।वर्तमान मे 300 से भी अधिक खबरिया चैनल है जो 24 घंटे विभिन्न भाषाओ मे खबरों का प्रसारण कर रहे है । 

इसी तरह सूचना क्रांति के कारण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का चेहरा भी बदल गया है । अब समाचार के लिए आपको टीवी पर आश्रित होने की आवश्यकता नहीं बल्कि मोबाईल फोन में अब वो सारी तकनीक उपलब्ध है जिसके माध्यम से आप खबरों को कही भी प्राप्त कर सकते है । 

इस तरह पिछले 30 से 40 वर्षों मे खबर प्राप्त करने तथा कहने की तकनीक मे अमूलचुल परिवर्तन या चुका है । अब खबरों का विकेन्द्रीकरण हो गया है ।दूसरे शब्दों मे कह सकते है की अब सूचना हमारे जेब मे है ।

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सकरात्मक भूमिका 

जैसे-जैसे लोगों के मध्य सूचना का प्रसार हो रहा है वैसे-वैसे लोग अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहे है । मीडिया की वजह से ही ग्रामीण तथा बीहड़ वन क्षेत्रों मे रहने वाले लोग अपने अधिकारों को लेकर लगातार जागरूक होते जा रहे है ।इसलिए लोग अधिक से अधिक संख्या मे वोट देने पोलिंग बूथ तक जा रहे है । कई जनांदोलन के भाग बन रहे है । इसकी वजह से प्रशासन हितग्राहियों के घर तक पँहुच रहा है ।

आजकल लोग चाय पर भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने लगे है । स्थानीय मुद्दों तथा खबरों पर चर्चा करने के लिए अनेक एप तथा वेबसाईट उपलब्ध है । इसकी वजह से लोग खबरों के मामलों मे अधिक empower होते जा रहे है । 

इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की वजह से समाज मे फैली अनेक कुरीतियों के खिलाफ जनमानस खड़ा हो रहा है । पिछले वर्षों की तुलना मे अब बाल विवाह जैसी कुरीतियाँ कम हो गई है । वही महिलाओ के अधिकारों को लेकर स्वयं महिलायें तथा समाज ज्यादा गंभीर हुआ है । 

अब ऐसी कई सच्ची घटनाएं है जो बताती है की कैसे अब महिलायें अपने अधिकारों को लेकर सजग हो रही है । हाल ही मे छत्तीसगढ़ की कई लड़कियों ने राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगी परीक्षायों मे शीर्ष स्थान प्राप्त किया है । नैना धाकड़ जो की छत्तीसगढ़ की अत्यंत पिछड़े स्थान से है ने हाल ही मे माउंट एवरेस्ट मे कदम रखकर देश तथा छत्तीसगढ़ का नाम ऊंचा किया है । 

हाल ही मे छत्तीसगढ़ मे हसदेव अरण्य मे कोयले के खदान के लिए की जा रही वृक्षों की कटाई का बड़े पैमाने पर जनता के द्वारा विरोध किया जा रहा है । इस संबंध मे जनमानस मे जागरूकता फैलाने मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का महत्वपूर्ण स्थान है । 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की वजह से आजकल रूस -यूक्रेन युद्ध या किसी भी अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ऐसे चर्चा की जाती है जैसे वह पड़ोस का मसला हो । मुझे आज भी वह दिन याद आता है जब अमेरिका मे राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा था, तब भारत की बहुसंख्यक जनता इस बात को लेकर उत्सुक थी की वहाँ कौन से दल से राष्ट्रपति चुना जाएगा जैसे वह हमारे ही देश का मामला हो । 

सरकार की अगर कोई योजना सफल होती है तब उसमे बहुत बड़ा योगदान मीडिया का ही होता है । आज यदि लोग स्वच्छता को लेकर जागरूक है तो उसमे बहुत बड़ा योगदान मीडिया का है । कोरोना के समय भी मीडिया ने लोगों को जागरूक करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । इसके अतिरिक्त  मीडिया समूह ने कोरोना से होने वाले मौतों को लेकर सच्चाई जनता के सामने प्रस्तुत की थी । 

पल्स पोलिओ अभियान को घर-घर तक ले जाने का काम मीडिया ने ही किया था । इस अभियान की वजह से भारत से इतनी बड़ी बीमारी दूर हो सकी है । मीडिया की वजह से आज पिछड़े तथा ग्रामीण अञ्चल के लोग विभिन्न क्षेत्रों मे अपना करियर बना रहे है । गाँव के युवा भी आजकल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं मे शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहे है ।

इस तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने लोकतंत्र के विभिन्न अंगों को मजबूत करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा निभा रहा है ।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की नकारात्मक भूमिका  

जहां एक ओर मीडिया का एक वर्ग विभिन्न कार्यक्रमों तथा खबरों के माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत करने मे लगा है वही एक ओर मीडिया का एक वर्ग फैक न्यूज तथा सांप्रदायिक भावनाओ को बढ़ाने मे लगा हुआ है । इसकी सब से बड़ी मिसाल हाल ही मे कोरोना के दौरान देखने को मिला जब मीडिया के एक वर्ग ने एक धर्म विशेष के लोगों को बिना किसी जांच पड़ताल के कोरोना फैलाने का दोषी घोषित कर दिया । इस घटना की वजह से हमारे समाज मे उस धर्म विशेष के लोगों को बहिष्कृत करने का ट्रेंड प्रारंभ हो गया था । 

पिछले वर्ष ही एक न्यूज चैनल ने एक धर्म विशेष के लोगों तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं मे उनके चयन को लेकर दुष्प्रचार फैलाने का प्रयास किया था,परंतु सुप्रीम कोर्ट के दखल के कारण उस कार्यक्रम पर रोक लगा दिया गया था । 

आजकल यह देखा जा रहा है की सत्ताधारी दल के अनुकूल जनमत बनाने के लिए की न्यूज चैनल फैक न्यूज या उन मुद्दों को उठाने मे लगी रहती है जो जनता के किसी काम की नहीं रहती। 

आज भारत मे महंगाई तथा बेरोजगारी दो ऐसे प्रमुख मुद्दे है जो आम जनता को प्रभावित कर रहे है । परंतु,कुछ न्यूज चैनल को छोड़कर अधिकांश न्यूज चैनल ऐसे मुद्दों पर प्राइम टाइम के माध्यम से कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे है जो हमारे किसी काम के नहीं । 

एक समय था जब भारतीय समाज मे अनेक अंधविश्वास तथा कुरीतियाँ फैली हुयी थी । इन कुरीतियों को दूर करने के लिए हमारे अनेक महापुरुषों ने अथक प्रयास किया था । परंतु ,आज विभिन्न न्यूज चैनल ऐसे अंधविश्वास से भरे हुए कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे है जिसकी वजह से हमारे महापुरुषों का प्रयास नष्ट हो रहा है । 

आगे की राह 

आज यह आवश्यक है की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने उपयोगिता को बनाए रखने के लिए निम्न कदम उठाए -

  1. जनसरोकार के मुद्दों को उठाए । 
  2. निष्पक्ष होकर खबरों को प्रसारित करे । 
  3. समाज मे फैल रहे फैक न्यूज के विरुद्ध जनता को जागरूक करे । 
  4. ऐसे खबरों को प्रसारित न करे जो संविधान के मूल्यों तथा आदर्शों के अनुकूल न हो । 
  5. सिर्फ टीआरपी तथा सरकारी विज्ञापन को ध्यान मे रखकर खबरों को प्रसारित न करे । 
  6.  मीडिया ट्रायल से बचे ।

निष्कर्ष  

मीडिया का भारत की आजादी मे महत्वपूर्ण भूमिका रहा है । मीडिया ने ही अंग्रेजों के विरुद्ध जनमत तैयार किया था जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोग आजादी की लड़ाई मे शामिल हुए थे। इसका परिणाम ये निकाला की भारत अपने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने मे सफल रहा । 

आजादी के बाद भी भारत के पुनर्निर्माण मे मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है । इसने एक ओर अपने निष्पक्ष खबरों के द्वारा लोकतंत्र को मजबूत किया है वही दूसरी ओर समाज के विभिन्न तबके के लोगों को जागरूक कर लोकतंत्र को ग्रास रूट लेवल तक ले जाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपातकाल के समय कई मीडिया घरानों ने सरकार के सख्ती के बावजूद लोकतंत्र को बचाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।

आज मीडिया को पहले से कही ज्यादा सशक्त भूमिका निभाने की जरूरत है क्योंकि आज सस्ते डाटा के कारण इंटरनेट जन सुलभ हो चुका है जिसकी वजह से फैक न्यूज कही ज्यादा तेजी से लोगों तक पहुँच रहा है । फैक न्यूज की वजह से लोकतंत्र की बुनियाद लगातार कमजोर होती जा रही है । समाज मे सांप्रदायिकता बड़े पैमाने पर फैल रही है । 

इन सब समस्यों से अगर कोई लड़ सकता है तो वह है मीडिया । मीडिया ही लोगों को फैक न्यूज को लेकर जागरूक कर सकता है । समाज को जोड़ सकता है । संवैधानिक मूल्यों को स्थापित कर सकता है । लोकतंत्र के तीनों अंगों को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक जनमत का निर्माण कर सकता है ।

मुझे यह पूरा विश्वास है की मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने राष्ट्र निर्माण के दायित्व को समझेगा तथा फिर से वही भूमिका निभाएगा जो उसने आजादी के समय निभाया था । 

 

   

 


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