जलवायु परिवर्तन तथा भारत
साल दर साल जलवायु परिवर्तन का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है । जिसकी वजह से मौसम चक्र बिगड़ता जा रहा है। इस वजह से लोगों की सेहत खराब होने के साथ सरकारी तथा निजी सम्पति का भी भारी नुकसान हो रहा है ।
इस बात का हालिया अनुमान असम तथा बिहार मे भयंकर बाढ़ की हालातों से लगाया जा सकता है । इस बार प्री-मानसून ने वो हलात उत्पन्न कर दिए है जो हलात मानसून के दिनों मे होते थे ।
जलवायु परिवर्तन तथा मौसम चक्र पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का एक और उदाहरण है जिसे आप और हम महसूस कर रहे है वह है 'हीट वेव' । इस बार पूरे भारत मे अभूतपूर्व गर्मी पड़ रही है जिसकी वजह से लोगों का जीवन कठिनाई से भर गया है । इस गर्मी तथा हीट वेव की वजह बिजली की खपत मे भारी वृद्धि हो गई तथा ताप विद्धुत गृहों मे कोयले की कमी हो गई । कोयले की कमी को पूरा करने के लिए रेल्वे के द्वारा मालगाड़ी को प्राथमिकता दी जा रही है परिणामत: बड़ी तादाद मे सवारी गाड़ियों का परिचालन रद्द कर दिया गया है ।
हीट वेव से लोगों को ऊपर क्या प्रभाव पड़ा है इससे संबंधित तथ्य निम्न है -
स्रोत इंडिया टुडे |
स्रोत इंडिया टुडे |
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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि तापमान में होती वृद्धि इसी तरह जारी रहती है तो सदी के अंत तक भारत में 2020 के मुकाबले करीब ढाई गुना यानी 250 फीसदी ज्यादा आबादी शक्तिशाली चक्रवात और उसके कारण आने वाली भीषण बाढ़ की चपेट में होगी, जिसके लिए कहीं न कहीं समुद्र का बढ़ता जलस्तर जिम्मेवार होगा।
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो भविष्य में यह सुपर साइक्लोन दक्षिण एशिया के लिए कहीं घातक सिद्ध होंगें। वैज्ञानिकों का कहना है कि सदी के अंत तक चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ जितने शक्तिशाली तूफानों से होने वाला नुकसान पहले के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा बढ़ जाएगा।
इस तरह भारत मे लगातार जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को महसूस किया जा रहा है । इसकी वजह से हमारे फसल उत्पादन प्रभावित हो रहे है ,हमारे हिमनद पिघल रहे है ,चक्रवातों की संख्या बढ़ रही है ।
अतः यह आवश्यक है की हरित ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए ,वनों का सरंक्षण किया जाए,इलेक्ट्रिकल वाहनों को बढ़ावा दिया जाए ,सार्वजनिक परिवहन नीति को सभी तरह से लागू किया जाए ।
इन उपायों से ही हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहेगी । अगर पृथ्वी सुरक्षित रहेगी तो हमारा जीवन भी सुरक्षित रहेगा ।
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