छत्तीसगढ़ मे मिट्टियाँ (SOILS OF CHHATTISGARH)
छत्तीसगढ़ मे मिट्टी की प्रकृति के निर्धारण मे यहाँ पायी जाने वाली चट्टान ,जलवायु तथा वनस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है । उपरोक्त कारकों के आधार पर छत्तीसगढ़ मे निम्न प्रकार के मिट्टियाँ पायी जाती है -
लाल-पीली मिट्टी
लाल रेतीली मिट्टी
लाल दोमट मिट्टी
लेटराइट मिट्टी
काली मिट्टी
लाल पीली मिट्टी
छतीसगढ़ मे इस मिट्टी का विस्तार सर्वाधिक क्षेत्र मे है । यह छत्तीसगढ़ के 60.65 % क्षेत्र मे पाया जाता है । इसे स्थानीय स्तर पर माटसी माटी कहा जाता है । इसकी प्रकृति अम्लीय से क्षारीय होती है । इसमे रेत की मात्रा अधिक होती है अतः इसमे अपवाह अच्छा होता है किन्तु जल धारण की क्षमता कम होती है । इसका मुख्यतः विस्तार छत्तीसगढ़ के उत्तरी तथा मध्य भाग मे है । यह मिट्टी धान,अलसी,तिल ,ज्वार तथा मक्का के लिए उपयुक्त है ।
लाल रेतीली मिट्टी
इस मिट्टी का विस्तार मुख्यतः बस्तर संभाग मे है । इसके अतिरिक्त बालोद जिले के दक्षिणी भाग तथा राजनांदगांव जिले के कुछ हिस्से मे विस्तृत है । इस तरह यह छत्तीसगढ़ के लगभग 30.35 %क्षेत्र पर पाया जाता है ।
यह मिट्टी मोटे अनाज के लिए उपयुक्त होती है । जो मिट्टी बस्तर के उच्च ढालों पर पाया जाता है उसे टिकरा के नाम से जाना जाता है ।
काली मिट्टी
इस मिट्टी को स्थानीय बोलचाल मे कन्हार माटी कहा जाता है । यह मिट्टी अत्यंत उपजाऊ होती है । छत्तीसगढ़ मे इस मिट्टी का विस्तार मैकल श्रेणी ,दुर्ग ,बालोद ,गरियाबंद तथा राजनांदगांव जिले के हिस्से मे है । इसमे चूना ,पोटाश ,अलुमिनियम तथा लोहा की मात्रा अधिक होती है किन्तु फॉस्फेट तथा जीवाश्म की कमी होती है ।
डोरसा मिट्टी (लाल दोमट मिट्टी)
यह काली (कन्हार ) तथा हल्की मटासी मिट्टी का मिश्रण है । यह गहरे भूरे रंग की होती है । इसका निर्माण granite शैल समूह से निर्मित होती है । इसका विस्तार मुख्यतः दंतेवाड़ा तथा सुकमा जिले मे है । इसकी प्रकृति अम्लीय होती है ।
भाटा मिट्टी (लेटराइट मिट्टी)
यह लाल भूरी मिट्टी है जो उच्च भूमि पर पायी जाती है । यह कठोर तथा उथली होती है जिसमे असंख्य छोटे छोटे कंकड़ होते है । इसका स्वरूप ईट जैसा होता है । यह मिट्टी बागवानी फसल के लिए उपयुक्त होती है । इस मिट्टी का विस्तार मुख्यतः सरगुजा तथा जगदलपुर मे है ।