येरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद तथा फिलिस्तीनियों कट्टरपंथी समूहों और इज़रायली सुरक्षा बलों के बीच हिंसा
हाल ही मे पुराने येरूशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद मे फिलिस्तीनियों कट्टरपंथी समूहों और इज़रायली सुरक्षा बलों के बीच हिंसा हो गई ।जिसकी वजह यह क्षेत्र विशेष एक बार फिर से खबरों मे है ।
इतिहास
पुराना येरूशलम शहर दुनिया के तीन प्रमुख धर्मों मुसलमान ,यहूदी तथा ईसाई के इतिहास तथा विभिन्न मान्यतयो से जुड़ा हुआ है । जिसकी वजह से इस शहर मे समय समय पर शांति भंग होने का खतरा बना रहता है ।
यहूदी धर्म को मनाने वाले कि ऐसी मान्यता है की आज जहां अल-अक्सा मस्जिद है वहाँ 975 ईसा पूर्व एक मंदिर था जिसका संबंध यहूदी धर्म से था । कालांतर मे इस मंदिर के नष्ट होने पर इसी के स्थान पर दूसरा मंदिर बनाया गया । जब इस स्थान पर मुसलमान शासकों का कब्जा हुआ तब उन्होंने इस स्थान पर अल अक्सा मस्जिद की स्थापना कर दी गई क्योंकि मुसलमानों का यह मानना है की यह वो जगह है जहां से पैगबर मोहमद साहब जन्नत गए थे तथा अल्लाह से निर्देश प्राप्त किए थे ।
इस महत्वपूर्ण मान्यता से जुड़े होने के कारण यह स्थल मुसलमानों का तीसरा प्रमुख धार्मिक स्थल है ।
इसी तरह यहूदी यह मानते है की इस मस्जिद का पश्चिमी दीवार इनके दूसरे यहूदी मंदिर का अवशेष है इसलिए वे प्रति वर्ष यहाँ पर धार्मिक आयोजन करते है ।
इन दो प्रमुख धर्मावलंबियों के एक ही परिसर पर स्थित धार्मिक स्थलों एवं विश्वासों के कारण यहाँ अक्सर विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है ।
आगे की राह
1. इसराइल तथा फिलिस्तीनी को यथा संभव एक दूसरे के धार्मिक मान्यताओ का सम्मान करना चाहिए ।
2.सभी क्षेत्रीय शक्तियों को अब्राहम एकॉर्ड के अनुरूप दोनों देशों के बीच शांति की परिकल्पना करनी चाहिये।
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