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राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना

 राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना


 प्राचीन काल मे छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोशल कहा जाता था । ऐसी मान्यता है की भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म हमारे दक्षिण कोशल के चंदखुरी ग्राम मे हुआ था । कालांतर मे जब भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास प्राप्त हुआ तब उन्होंने इस वनवास का लगभग 10 वर्ष छत्तीसगढ़ मे ही बिताया था । 

  वनवास काल में उन्होंने छत्तीसगढ़ में प्रवेश कोरिया के सीतामढ़ी हरचौका से किया था। उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए वे छत्तीसगढ़ के अनेक स्थानों से गुज़रे। सुकमा का रामाराम उनका अंतिम पड़ाव था। 

इस बात को ध्यान मे रखते हुए वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2019 से राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना का शुभारंभ किया है । इसके तहत चयनित 75 स्थानों पर आवश्यकता के अनुसार पहुँच मार्ग का उन्नयन, संकेत बोर्ड, पर्यटक सुविधा केंद्र, इंटरप्रिटेशन सेंटर, वैदिक विलेज, पगोड़ा वेटिंग शेड, मूलभूत सुविधा, पेयजल व्यवस्था, शौचालय, सिटिंग बेंच, रेस्टोरेंट, वाटर फ्रंट डेवलपमेंट, विद्युतीकरण आदि कार्य कराए जाएंगे।  

 राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत प्रथम चरण में सीतामढ़ी-हरचौका (ज़िला- कोरिया), रामगढ़ (ज़िला- सरगुजा), शिवरीनारायण (ज़िला- जाँजगीर-चांपा), तुरतुरिया (ज़िला- बलौदाबाज़ार), चंदखुरी (ज़िला- रायपुर), राजिम (ज़िला- गरियाबंद), सप्तर्षि आश्रम सिहावा (ज़िला- धमतरी), जगदलपुर और रामाराम (ज़िला- सुकमा) को विकसित किया जा रहा है।

 इस परियोजना के पहले चरण में विकास के लिये चुने गए 9 में से 2 स्थानों पर पर्यटन सुविधाओं के विकास तथा सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया है। इनमें से माँ कौशल्या धाम चंदखुरी के विकास कार्यों का लोकार्पण 7 अक्टूबर, 2021 को किया गया था।  

इसी कड़ी मे 10 अप्रैल 2022 को शिवरीनारायण (ज़िला- जाँजगीर-चांपा) मे सीएम भूपेश बघेल ने रविवार को राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी राम वन गमन पर्यटन सर्किट के हिस्से के रूप में पुनर्निर्मित शिवरीनारायण मंदिर का उद्घाटन किया।

 


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