आधुनिक छत्तीसगढ़ के गठन की कहानी
पिछले क्लॉस में हमने देखा था की किस तरह वर्तमान में दिखने वाले छत्तीसगढ़ का स्वरूप अस्तित्व में आया और छत्तीसगढ़ की मांग प्रारम्भ हुयी तथा मांग को जोर शोर से उठाने के लिए मंच का निर्माण किया गया।
आज हम इस क्लॉस में छत्तीसगढ़ निर्माण के दूसरे तथा तीसरे चरण के विषय में विस्तृत चर्चा करेंगे।
आजादी के बाद तथा मध्यप्रदेश गठन के पूर्व
आज़ादी के बाद भी छत्तीसगढ़ मध्यप्रांत तथा बरार का हिस्सा बना रहा। इस दौरान वर्ष 1955 में रायपुर के विधायक ठाकुर रामकृष्ण सिंह ने मध्यप्रांत के विधानसभा में पृथक छत्तीसगढ़ की मांग प्रस्तुत की। इस तरह यह पृथक छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए पहला विधायी प्रयास था।
1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रांत से पृथक होकर मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। इस तरह पृथक मध्यप्रदेश के निर्माण ने पृथक छत्तीसगढ़ के मांग को और तेज़ कर दिया। इसी के साथ छत्तीसगढ़ निर्माण का तीसरा तथा अंतिम चरण प्रारम्भ होता है।
मध्यप्रदेश से अलग होकर पृथक पूर्ण राज्य बनने का कालक्रम
वर्ष 1956 में 28 जनवरी को डॉ खूबचंद बघेल ने पृथक छत्तीसगढ़ के मांग को जनांदोलन का स्वरूप प्रदान करने के लिए राजनांदगाव में छत्तीसगढ़ महासभा का गठन किया। इस सभा के महासचिव श्री दशरथ चौबे जी थे।
कालांतर मे 1967 मे डॉ खूबचन्द बघेल तथा ठाकूर छेदिलाल ने राजनांदगांव मे पृथक छत्तीसगढ़ के गठन के लिए छत्तीसगढ़ भ्रातृत्व संघ की स्थापना की । इसके उपाध्यक्ष श्री द्वारका प्रसाद तिवारी थे ।
वर्ष 1976 में प्रसिद्ध मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी ने पृथक छत्तीसगढ़ के निर्माण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की स्थापना की।
वर्ष 1983 में एक बार पुनः अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए छत्तीसगढ़ संग्राम मंच की गठन श्री शंकर गुहा नियोगी के द्वारा किया गया।
वर्ष 1994 में विधायक श्री गोपाल परमार के द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में पृथक छत्तीसगढ़ निर्माण सम्बन्धी अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया। उल्लेखनीय है की जो सदस्य मंत्रिमंडल के सदस्य नहीं होते वे सदन में जो संकल्प प्रस्तुत करते है उस संकल्प को अशासकीय संकल्प कहा जाता है।
वर्ष 1998 में पृथक छत्तीसगढ़ निर्माण हेतु मध्य प्रदेश विधानसभा में शासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया।इसी संकल्प के तारतम्यता में लोकसभा में पृथक छत्तीसगढ़ निर्माण हेतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत 25 जुलाई 2000 को विधेयक प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक 31 जुलाई 2000 को लोकसभा से पारित हो गया तथा 3 अगस्त 2000 को को राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक 9 अगस्त 2000 को राज्यसभा से पारित हो गया एवं 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति श्री के.आर.नारायण के हस्ताक्षर के द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आ गया।
परिणामतः 1 नवम्बर 2000 को को यह वर्तमान स्वरूप में भारत के नक़्शे में दिखाई देने लगा।
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