आधुनिक छत्तीसगढ़ के गठन की कहानी
वर्तमान में हमे जो छत्तीसगढ भारत के नक्शे में नजर आता है वह कोई एक दिन में नहीं बना अपितु एक लंबे समयांतराल तथा कई चरणों में बना।आज हम इसी के विषय में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।
इस कालक्रम को तीन चरणों में विभाजित कर सकते हैं:
- आजादी से पहले का कालक्रम
- आजादी के बाद तथा मध्यप्रदेश गठन के पूर्व
- मध्यप्रदेश से अलग होकर पृथक पूर्ण राज्य बनने का कालक्रम
आजादी के पहले का कालक्रम
आधुनिक छत्तीसगढ के निर्माण का प्रथम चरण 2 नवंबर 1861 से प्रारंभ होता है। इस वर्ष पहली बार छत्तीसगढ को मध्यप्रांत का हिस्सा बनाया गया। उल्लेखनीय है की रघुजी तृतीय के निःसंतान मृत्यु के पश्चात तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने हड़प नीति के तहत नागपुर को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया। कालांतर में यही नागपुर साम्राज्य मध्यप्रांत तथा बरार के रूप में तब्दील हो गया।
वर्ष 1862 में छत्तीसगढ को मध्यप्रांत के अंतर्गत एक संभाग बनाया गया। इसके अंतर्गत तीन जिले शामिल किए गए थे :
- रायपुर
- बिलासपुर
- संबलपुर
स्मरणीय है की बस्तर को उस समय गोदावरी संभाग के अंतर्गत शामिल किया गया था।
वर्ष 1905 में पुनः एक बार मध्य प्रांत के भौगोलिक सीमा में परिवर्तन किया गया तथा इस बार छत्तीसगढ संभाग से संबलपुर को अलग करके बंगाल प्रांत में शामिल कर दिया गया एवं छत्तीसगढ़ संभाग में पांच नए रियासत कोरिया,चांगभाखर, सरगुजा,उदयपुर एवं जशपुर को शामिल कर छत्तीसगढ़ को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया गया।
कालान्तर में वर्ष 1918 में इसी भौगलिक सीमा के साथ पंडित सुंदरलाल शर्मा के द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की संकल्पना की गयी.
पुनः वर्ष 1924 में रायपुर जिला परिषद् की बैठक में पृथक छत्तीसगढ़ की माँग को दोहराया गया।
वर्ष 1939 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन त्रिपुरी में हुआ। इस बैठक की अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस के द्वारा की गयी थी। इस अधिवेशन में पुनः पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग छत्तीसगढ़ के गाँधी श्री सुंदरलाल शर्मा के द्वारा की गयी।
पृथक छत्तीसगढ़ की माँग को लेकर वर्ष 1946 में ठाकुर प्यारेलाल ने छत्तीसगढ़ शोषण विरोधी मंच का गठन किया। यह इस तरह का पहला संगठन था।
शेष भाग अगले अंक में -----
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