बैड बैंक तथा भारत
बैड बैंक' क्या होते हैं?
'बैड बैंक' संपत्ति के पुनर्निमाण के लिए बनी कंपनी होती है जो बैंकों से एक तय कीमत पर कर्ज़ खरीद लेती है. इसके बाद वो कर्ज़ लेने के लिए दी गई गारंटी बेचती है, या फिर दिवालिया हुई कंपनी की संपत्ति बेचती है.
इन्हें बेचने से जो पैसा मिलता है उससे कुछ हद तक बैंकों के कर्ज़ की वसूली हो जाती है. ये पहली बार नहीं है जब भारत बैंक डूबे कर्ज़ की मुश्किल से परेशान हैं और उन्हें 'बैड बैंक' की ज़रूरत पड़ी है.
बीते दो दशकों में इस तरह की निजी 28 कंपनियां बनी हैं लेकिन कर्ज़ वसूली के मामले में स्थिति बेहतर नहीं हुई है. इस बार सरकार ने इस काम के लिए दो कंपनियां बनाई हैं- एक कंपनी बैंक का डूबा हुआ कर्ज़ खरीदेगी और ये सरकारी कंपनी होगी.
दूसरी कंपनी आंशिक रूप से निजी होगी और वो कर्ज़ लेने वाले की संपत्ति बेचने की कोशिश करेगी. कमर्शियल बैंकों द्वारा संपत्ति के अपेक्षित मूल्य और संपत्ति बेच कर मिले कुल पैसे के बीच जो फर्क रहेगा वो सरकार चुकाएगी.
स्रोत बीबीसी हिंदी
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