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श्रीलंका तथा प्रांतीय परिषद का चुनाव

 श्रीलंका तथा प्रांतीय परिषद का चुनाव


श्रीलंका की सरकार ने संकेत दिए हैं कि वो अगले साल 2022 की शुरुआत में प्रोविंशियल काउंसिल्स (प्रांतीय परिषद) के चुनाव करा सकता है.इसके लिए वो वापस प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन इलेक्टोरल सिस्टम (आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली) को श्रीलंका में लागू कर रहा है.
विपक्षी सांसद और तमिल प्रोग्रेसिव अलायंस (TPA) के नेता मनो गणेशन ने कहा है कि वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे '2022 की पहली तिमाही' में चुनाव कराने पर राज़ी हुए हैं.

यह घोषणा तब हुई है जब भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने हाल ही में अपने श्रीलंका दौरे के दौरान प्रांतीय चुनावों का मुद्दा श्रीलंका के नेताओं के आगे उठाया था.
भारत चाहता है कि श्रीलंका अपने संविधान के 13वें संशोधन का पालन करे. यह संशोधन 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच समझौते के बाद हुआ था.
क्या है 13वें संशोधन में ?
इसके तहत श्रीलंका के नौ प्रांतों में काउंसिल को सत्ता में साझीदार बनाने की बात है. इसका मक़सद ये था कि श्रीलंका में तमिलों और सिंहलियों का जो संघर्ष है, उसे रोका जा सके. 13वें संशोधन के ज़रिए प्रांतीय परिषद बनाने की बात थी ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सके.

संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव

सिर्फ़ भारत ही नहीं बल्कि कई और देशों ने भी श्रीलंका में जल्द से जल्द चुनाव कराने का समर्थन किया है. इसके साथ ही इसी साल मार्च में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव पास किया था.

22 सदस्य देशों के समर्थन वाले इस प्रस्ताव में कहा गया था कि 'श्रीलंका की सरकार राजनीतिक प्राधिकरण के हस्तांतरण के अपने वादे को पूरा करे, जो कि उसकी जनसंख्या के सभी सदस्यों के साथ मानवाधिकार के लिए आवश्यक है और साथ ही स्थानीय शासन का सम्मान हो, इसमें प्रांतीय काउंसिल के चुनावों का कराया जाना भी शामिल है.

उत्तरी और पूर्वी प्रांतीय काउंसिल समेत सभी प्रांतीय काउंसिल के चुनाव श्रीलंका के 13वें संविधान संशोधन के तहत सुनिश्चित हों.'

प्रांतीय प्रणाली तमिलों की मांग रही है ताकि उनके पास राजनीतिक ताक़त रहे और काउंसिल के चुनावों ने बहुसंख्यक सिंहला समेत सभी राजनीतिक दलों को यह एहसास कराया है कि ज़मीनी स्तर के लिए उनके लिए वे बहुत ज़रूरी हैं.

इसके बावजूद केंद्र सरकार ज़मीन और पुलिस शक्ति देने को लेकर हमेशा अनिच्छुक रही है. प्रांतीय काउंसिल के पास केवल कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, मकान और सड़क परिवहन के क़ानून बनाने का अधिकार है.

 source -bbc hindi 



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