Skip to main content

जनरल असेंबली के 76 साल के सफर के बारे में सब कुछ

 

जनरल असेंबली के 76 साल के सफर के बारे में सब कुछ





UNGA क्या है?

जनरल असेंबली यूनाइटेड नेशंस के 6 मुख्य अंगों में से एक है। यूनाइटेड नेशंस के सभी 193 सदस्य बराबर अधिकारों और जिम्मेदारी के साथ इसका हिस्सा हैं। UN के बजट, सिक्योरिटी काउंसिल की सदस्यता, अस्थायी सदस्यों की नियुक्ति जैसे सभी काम जनरल असेंबली के जिम्मे हैं।

इसका काम इंटरनेशनल पीस और सिक्योरिटी पर डिस्कशन करना है। इनमें विकास, मानवाधिकार, इंटरनेशनल लॉ और देशों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का निपटारा करना शामिल है। हर साल न्यूयॉर्क में UN हेडक्वार्टर में जनरल असेंबली की सालाना मीटिंग होती है। 10 जनवरी 1946 को इसकी पहली मीटिंग हुई थी।

कौन-कौन से देश UNGA के सदस्य हैं?

यूनाइटेड नेशंस के सभी 193 देश जनरल असेंबली के सदस्य हैं। जनरल असेंबली चाहे तो किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन या संस्था को भी ऑब्जर्वर का दर्जा दे सकती है। फिलहाल फिलिस्तीन और हॉली-सी को ऑब्जर्वर स्टेट्स का दर्जा मिला हुआ है। ऑब्जर्वर स्टेट्स को भी सीमित अधिकार दिए जाते हैं।

कितने दिन चलेगी UNGA की मीटिंग?

UNGA का मौजूदा सत्र 21 सितंबर को शुरू हुआ है। आमतौर पर पांच दिन चलने वाली ये मीटिंग इस बार छह दिन चलेगी। 21 से 25 सितंबर के अलावा 27 सितंबर को भी अलग-अलग देशों के नेता इसे संबोधित करेंगे। 21 सितंबर को हर बार की तरह सबसे पहले ब्राजील के राष्ट्रध्यक्ष के संबोधन से इसकी शुरुआत हुई। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनरल असेंबली को संबोधित किया। आज भारत के साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी जनरल असंबेली को संबोधित करेंगे। मोदी जहां न्यूयॉर्क में हैं, वहीं इमरान का रिकॉर्डेड भाषण सुनाया जाएगा।

UNGA में सबसे लंबी स्पीच देने का रिकॉर्ड क्यूबा के पूर्व शासक फिदेल कास्त्रो के नाम है। उन्होंने 1960 में 269 मिनट यानी करीब साढ़े चार घंटे भाषण दिया था। 1960 में ही गिनी के राष्ट्रपति सेकु टुरे ने 144 मिनट, सोवियत संघ के निकिता कुरुशेव ने 140 मिनट, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉक्टर सुकर्णो ने 121 मिनट और 2009 में लीबिया के तानाशाह मुअम्‍मर अल गद्दाफी ने 96 मिनट का भाषण दिया था।

जब पहली बार हिन्दी में संबोधित की गई थी जनरल असंबेली

अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में साल 1977 से 2003 तक कुल 7 बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। 4 अक्टूबर 1977 को वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में बतौर विदेश मंत्री पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के 32वें सत्र को संबोधित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया यह पहला संबोधन था। इसी के साथ अटल जी UN महासभा को हिंदी में संबोधित करने वाले पहले भारतीय बन गए थे।

source dainik bhaskar

Comments

Popular posts from this blog

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न