कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत
स्रोत विकिपीडियाकौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। चन्द्रगुप्त मौर्य ने नन्द वंश के शासक घनांनद को पराजित कर भारत के इतिहास में महान मौर्य वंश की नींव डाली थी। उन्होंने मौर्य वंश में प्रधानमंत्री की भूमिका ग्रहण की थी। इन्होंने प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी थी।
इस पुस्तक में इन्होंने अपना प्रसिद्ध सप्तांग सिद्धांत दिया था। इस सिद्धांत के सात अंग है।
- राजा
- अमात्य
- जनपद
- किला
- कोष
- दंड या सेना
- मित्र
राजा
इन्होंने अपने सप्तांग सिद्धांत में राजा को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इनका मानना था की राजा ही सम्पूर्ण प्रशासन का ह्रदय होता है। यह सुचारु प्रशासन के लिए नीतियों का निर्माण कर उसे क्रियान्वित करता है। यह न्याय की अंतिम सत्ता होता है। यह अपने राज्य के समस्त प्रकार के सेना का प्रमुख होता है।
इसलिए राजा को धैर्यवान ,बुद्धिवान ,संयमशील ,बलशाली ,स्वस्थ ,तेजस्वी तथा प्रजापालक होना चाहिए।
अमात्य
राजा के पश्चात प्रशासन में दूसरा प्रमुख व्यक्ति अमात्य होता है। कौटिल्य ने इन्हें राज्य की आँख की संज्ञा प्रदान की है। अमात्य का प्रमुख कार्य नीतियों के निर्माण में राजा को सलाह प्रदान करना है। इसलिए अमात्य को बुद्धिवान ,संयमशील ,निर्भीक ,वाक् पटु , स्वामी भक्त आदि गुणों से युक्त होना चाहिए।
जनपद
सप्तांग सिद्धांत का अगला घटक जनपद है। जनपद को किसी राज्य की पैर से तुलना की गयी है। पैर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह शरीर को स्थिरता प्रदान करता है और शरीर का बोझ ढोता है उसी तरह जनपद राज्य को स्थिरता प्रदान करता है। वही जनपद अधिक उन्नत हो सकता है जो प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होता है। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होने के चलते जनपद अपने राज्यों के नागरिकों को अच्छे से रोजगार प्रदान कर उन्हें उन्नत जीवन शैली प्रदान कर सकता है।
किला
किला सप्तांग सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह राज्य को सुरक्षा प्रदान करता है. किला की तुलना कौटिल्य ने भुजाओं से की है। कौटिल्य ने चार प्रकार के किले का वर्णन किया है।
- औदिक किला - यह किला चारों तरफ पानी से घिरा होता है।
- पार्वत किला - यह किला चट्टानों तथा पत्थरों से घिरा होता हैं।
- धान्वन किला - जिसके चारों ओर रेगिस्तान हो।
- वन किला - जिसके चारों तरफ वन हो।
कोष
कौटिल्य ने कोष को अपने सिद्धांत में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है। कोष के द्वारा ही एक राज्य अपने अस्तित्व को बनाये रख सकता है। जनकल्याण के कार्य कर सकता है। सेना को वेतन दे सकता है। प्रशासन का सुचारु संचालन कर सकता है। आपदा का सामना कर सकता है।
सेना
सेना के माध्यम से ही राजा अपनी स्थिति को मजबूती प्रदान कर सकता है। विद्रोह को दबा सकता है। राजा को चुनौती देने वाले लोगों को आवश्यक दंड प्रदान कर सकता है। इसके माध्यम से कानून एवं व्यवस्था को बनाये रखा जा सकता है।
मित्र
कौटिल्य ने मित्र को किसी राजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना है। मित्र राजा को बुरे समय में सहयोग प्रदान करता है तथा जरूरत पड़ने पर सही सलाह भी प्रदान करता है।
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