यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन
पृष्ठ्भूमि
स्वतन्त्रता प्राप्ति के तुरंत पश्चात "भारतीय विश्वविद्यालयी शिक्षा पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए और उन सुधारों और विस्तारों का सुझाव देने के लिए जो वर्तमान और भविष्य की जरूरतों और देश की आकांक्षाओं के अनुरूप वांछनीय हो सकते हैं" डॉ एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में ,विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। । उन्होंने अनुशंसा की कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का पुनर्गठन यूनाइटेड किंगडम के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामान्य मॉडल पर किया जाए जिसमें विख्यानत् शिक्षाविदों में से पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति् की जाए।
वर्ष 1952 में केंद्र सरकार ने फैसला किया कि सार्वजनिक निधियों से केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के संस्थानों को अनुदान सहायता के आवंटन से संबंधित सभी मामलों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को संदर्भित किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, तत्कालीन शिक्षा मंत्री, प्राकृतिक संसाधन और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने दिनांक 28 दिसंबर 1953 को औपचारिक रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (वि0अ0आ0) का उद्घाटन किया।
स्कीम फॉर ट्रांस- डिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडियाज़ डेवलपिंग इकॉनमी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने देश में अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु नई पहल ‘स्कीम फॉर ट्रांस- डिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडियाज़ डेवलपिंग इकॉनमी’ (Scheme for Trans-disciplinary Research for India’s Developing Economy- STRIDE) की घोषणा की।
- इस योजना के 3 घटक हैं।
- प्रथम घटक अंतर्गत विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान तथा नवाचार को प्रेरित करने के साथ ही युवा प्रतिभाओं की पहचान की जाएगी।
- स्थानीय क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं के व्यावहारिक समाधान हेतु युवा प्रतिभाओं की पहचान, पोषण और समर्थन करके विविध विषयों में अनुसंधान क्षमता का निर्माण किया जाएगा।
- इसमें सभी विषयों में अनुसंधान हेतु 1 करोड़ तक का अनुदान दिया जाएगा।
- द्वितीय घटक के अंतर्गत भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था में योगदान करने हेतु सामाजिक नवाचार के क्षेत्र में अनुसंधान की सहायता से समस्या निवारण हेतु कौशल को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इस योजना के तहत विश्वविद्यालयों, सरकार, स्वैच्छिक संगठनों और उद्योगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।
- इसमें सभी विषयों में अनुसंधान हेतु 50 लाख-1 करोड़ तक का अनुदान दिया जाएगा।
- तीसरे घटक के अंतर्गत उच्च प्रभाव वाली परियोजनओं के लिए फंडिंग की जाएगी। इस घटक के तहत निधिकरण के लिए पात्र अनुशासन में शामिल है, दर्शन, इतिहास, पुरातत्व, नृविज्ञान, मनोविज्ञान, स्वतंत्र कला, भाषा विज्ञान, भारतीय भाषा एवं संस्कृति, भारतीय ज्ञान प्रणाली, कानून, शिक्षा, पत्रकारिता, जनसंचार, वाणिज्य, प्रबंधन, पर्यावरण और सतत विकास।
- इस घटक के अंतर्गत उच्च शैक्षणिक संस्थान हेतु 1 करोड़ रुपये और बहुसंस्थागत नेटवर्क के लिए 5 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा।
- संपूर्ण योजना की देख-रेख के लिए यूजीसी ने प्रोफेसर भूषण पटवर्धन की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति का गठन किया है।
Comments
Post a Comment