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भारतीय उच्च शिक्षा आयोग

 भारतीय उच्च शिक्षा आयोग



  1.   उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने औऱ उसकी निगरानी के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को खत्म कर एक नए संस्थान भारतीय उच्चत्तर शिक्षा आयोग (HECI) को लाने के लिये मसौदा जारी किया गया है।

  2. UGC  को भंग करके उसकी जगह HECI  के गठन का सुझाव मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत 2014 में गठित 4 सदस्यीय हरी गौतम समिति द्वारा दिया गया था।

  3. भारतीय उच्चत्तर शिक्षा आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग निरसन अधिनियम) विधेयक, 2018 के तहत UGC अधिनियम को निरस्त करना प्रस्तावित है और इसमें भारतीय उच्चत्तर शिक्षा आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। 

  4. HECI का ध्यान अकादमिक मानकों और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, सीखने के परिणामों के मानदंडों को निर्दिष्ट करने, शिक्षण/अनुसंधान के मानकों को निर्धारित करने पर होगा।

  5. यह मसौदा शिक्षा प्रणाली के समग्र विकास और उच्च शिक्षण संस्थानों को अधिक स्वायत्ता प्रदान करने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

  6. यह आवश्यक शैक्षिक मानकों को बनाए रखने में विफल पाए गए संस्थानों को परामर्श दिये जाने के लिये एक रोडमैप प्रदान करेगा।

 यूजीसी और एक्सपर्ट कमिटियों के सुझावों से प्रस्तावित बिल की तुलना

 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एक्ट, 1956

एनकेसी और यशपाल कमिटी के सुझाव

उच्च शिक्षा आयोग का ड्राफ्ट बिल, 2018

क्षेत्राधिकार

·   सामान्य विषय (14 विषयों के अतिरिक्त, जिनकी अपनी रेगुलेटरी संस्थाएं हैं) पढ़ाने वाले विश्वविद्यालय और कॉलेज।

·   सभी विषय पढ़ाने वाले उच्च शिक्षण संस्थान।

·   मेडिकल और बार काउंसिल्स को छोड़कर सभी प्रोफेशनल परिषदों को समाप्त कर दिया जाए। प्रोफेशनल परिषदें क्वालिफाइंग परीक्षाएं लें (एनकेसी)।

·   सभी प्रोफेशनल परिषदें क्वालिफाइंग परीक्षाएं लें (यशपाल)।

·   सामान्य विषय (कानून और आर्किटेक्चर सहित) पढ़ाने वाले उच्च शिक्षण संस्थान।

·   बार काउंसिल और काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर जैसी प्रोफेशनल परिषदें प्रोफेशन में दाखिल होने के लिए क्वालिफाइंग परीक्षाएं लें।

अनुदान

·   नियम बनाता और अनुदान संवितरित करता है।

·   रेगुलेशन को अनुदान संवितरण से अलग किया जाए। यूजीसी को सिर्फ सरकारी राशि का संवितरण करना चाहिए।

·   कोई विनिर्देश नहीं।

रेगुलेटर की भूमिका

·   विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली डिग्री, निर्देश के न्यूनतम मानक, फैकेल्टी की न्यूनतम क्वालिफिकेशन, विश्वविद्यालय से कॉलेज की संबद्धता के न्यूनतम नियमों को विनिर्दिष्ट करता है।

·   डिग्री के लिए नियम बनाए जाएं, संस्थागत स्वायत्तता में दखलंदाजी किए बिना रेगुलेटरी कामकाज किए जाएं। विश्वविद्यालयों को खुद अपना रेगुलेशन करने लायक बनाया जाए (यशपाल)।

·   किसी संस्था की शैक्षणिक विश्वसनीयता और वित्तीय व्यावहार्यता का मूल्यांकन करने के बाद डिग्री देने की शक्ति प्रदान की जाए (एनकेसी)।

·   डिग्री/डिप्लोमा देने, पाठ्यक्रमों के शिक्षण परिणामों, शिक्षण के मानदंड, विश्वविद्यालयों के वार्षिक प्रदर्शन के मूल्यांकन, फैकेल्टी की न्यूनतम क्वालिफिकेशन, विश्वविद्यालय से कॉलेज की संबद्धता के न्यूनतम नियमों को विनिर्दिष्ट करेगा।

·   संस्थानों को स्वायत्तता देने के मानदंड बनाएगा और ग्रेडेड स्वायत्तता देगा।

फीस

·   उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा वसूली जाने वाली फीस को तय करने के नियम बनाता है।

·   अगर कम से कम दो बैंक बिना कोलेट्रल के लोन देने को तैयार हों तो संस्थानों को अपनी फीस खुद तय करने दें।

·   उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा वसूली जाने वाली फीस को तय करने के नियम बनाएगा।

डिग्री देने का अधिकार

·   संसद या राज्य विधानमंडल के कानून द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय या मानद विश्वविद्यालय डिग्री दे सकते हैं।

·   रेगुलेटर संस्थान को डिग्री देने की शक्ति दे सकता है। उसे प्रवेश के मानदंड भी बनाने चाहिए।

·   उच्च शिक्षण संस्थानों को डिग्री देने के लिए एचईसीआई से अनुमति लेनी होगी।

एक्रेडेशन

·   स्वैच्छिक, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्ययन परिषद (एनएएसी) (यूजीसी की स्वायत्त संस्था) नियम बनाती है।

·   एक्रेडेशन के नियम बनाएं और एक्रेडेटिंग एजेंसियों को सर्टिफाई करें जोकि सरकार से स्वतंत्र हों।

·   अनिवार्य, एचईसीआई एक्रेडेशन की प्रणाली बनाए।

संस्थान के प्रमुख की नियुक्ति

·   कोई विनिर्देश नहीं।

·    वाइस चांसलर्स और डायरेक्टर्स की नियुक्ति स्वतंत्र सर्च कमिटी द्वारा की जाए और वह सिर्फ सहकर्मियों के फैसलों (पीयर जजमेंट) पर आधारित हों।

·   (i) वाइस चांसलर्स, (ii) प्रो वाइस चांसलर्स, (iii) डायरेक्टर्स, और (iv) डीन्स के लिए नियम बनाएगा।

संस्थान को बंद करना

·   कोई विनिर्देश नहीं।.

·   कोई सुझाव नहीं।

·   संस्थान बंद कर सकता है, अगर: (me) संस्थान उच्च शिक्षा के न्यूनतम मानदंडों का पालन नहीं करता, या (ii) निश्चित समय सीमा में एक्रेडेशन नहीं लेता।

सजा देने की शक्ति

·   अगर उच्च शिक्षण संस्थान यूजीसी एक्ट के अंतर्गत मंजूरी लिए बिना डिग्री देता है या स्वयं को विश्वविद्यालय कहता है तो 1,000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। मंजूरी वापस लेने की शक्ति नहीं है।

·   अगर संस्थान यूजीसी के सुझावों का पालन नहीं करता तो उसे अनुदान देना बंद किया जा सकता है।

·   कोई सुझाव नहीं।

·   अगर उच्च शिक्षण संस्थान बिना अनुमति लिए डिग्री देता है या किसी नियम का उल्लंघन करता है तो आयोग: (me) जुर्माना लगा सकता है, या (ii) डिग्री देने से जुड़ी मंजूरी को वापस ले सकता है।

·   अगर ऐसे संस्थान के प्रबंधक जुर्माना नहीं भरते तो उन्हें अधिकतम तीन वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है।


स्रोत दृष्टि आईएएस ,राज्य सभा टीवी ,पी आर एस 


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