वैशेषिक दर्शन
भारतीय दर्शन अत्यंत प्राचीन दर्शन है। इस दर्शन में प्रमुख स्थान वैशेषिक दर्शन का है। इस दर्शन के प्रणेता महर्षि कणाद माने जाते है। इस दर्शन को इसके अलावा औलूक्य दर्शन के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है की कणाद का वास्तविक नाम उलूक था।
इस दर्शन के लिए वैशेषिक नाम के प्रयोग के निम्न कारण है -
- विशेष को एक पदार्थ मानने के कारण इसे वैशेषिक कहा जाता है।
- पदार्थों को विशेष महत्व देने के कारण इसे वैशेषिक कहा जाता है।
- सांख्य आदि दर्शनों से विशिष्ट होने के कारण इसे वैशेषिक कहा जाता है।
इस दर्शन का लक्ष्य -
इस दर्शन का लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति कर दुखों से मुक्त होना है। यह मोक्ष प्राप्ति के लिए इस भौतिक जगत में पाए जाने वाले छः पदार्थों के ज्ञान को आवश्यक मनाता है। यह अपनी बातों को वेदों के माध्यम से प्रामाणिक सिद्ध करता है। अतः यह आस्तिक दर्शन के अंतर्गत आता है।
पदार्थ
इस दर्शन में पदार्थ से अभिप्राय वह सभी वस्तुएँ है जो दुनिया में पायी जाती है। इसके अंतर्गत दृश्य ,अदृश्य ,भौतिक ,अभौतिक ,कर्म ,गुण आदि शामिल है।
पदार्थों के प्रकार
इस दर्शन में अनगिनत पदार्थों को मुख्यतः छः कोटियों में विभाजित किया गया है -
- द्रव्य
- गुण
- कर्म
- सामान्य
- विशेष
- समवाय
- अभाव (इसे बाद में जोड़ा गया है )
परमाणुवाद
इसके माध्यम से वैशेषिक दर्शन सृष्टि सम्बन्धी सिद्धांत को प्रस्तुत करता है। इस दर्शन में यह माना गया है कि सृष्टि का निर्माण असंख्य सूक्ष्म अणुओं (परमाणुओं) से हुआ है।
परमाणुवाद की विशेषता
- यह अविभाज्य है।
- यह अविनाशी है।
- यह गोलाकार है।
- यह गतिहीन है।
- यह अचेतन और निष्क्रिय है।
- परमाणुओं में गति एक विशिष्ट धर्म के कारण होता है। महर्षि कणाद ने इस धर्म को अदृष्ट नाम दिया है।
- कालांतर में परमाणुओं की गति का कारण ईश्वर को माना गया है।
परमाणुओं के प्रकार
परमाणुओं के चार प्रकार है -
- पार्थिव
- जलीय
- तैजस
- वायवीय
सृष्टि का निर्माण निम्न प्रकार के परमाणुओं संयोजन से होता है -
- परमाणु - एक प्रकार के परमाणु
- दवयणुक - दो परमाणुओं के संयोजन से निर्मित
- त्र्यणुक - तीन परमाणुओं के संयोजन से निर्मित
भारतीय परमाणुवाद तथा यूनानी परमाणुवाद में अंतर
- यूनानी दार्शनिक विभिन्न परमाणुओं में एक ही प्रकार के गुणों की बात करते है मगर इस बात पर विश्वास करते है की उनके आकर भिन्न होते है ,वही भारतीय दार्शनिक यह मानते है की परमाणु में मात्रा तथा गुण दोनों भिन्न होते है।
- यूनानी दार्शनिक यह मानते है की आत्मा भी परमाणु से निर्मित है जबकि भारतीय दार्शनिक आत्मा को नित्य तथा बिना किसी अवयव का बना हुआ मानते है।
- यूनानी दार्शनिक यह मानते है की परमाणु में गति होती है जबकि भारतीय दार्शनिक परमाणु को गतिहीन मानते है।
- भारतीय दर्शन ,शोभा निगम
- भारतीय दर्शन की रुपरेखा ,हरेंद्र प्रसाद सिन्हा
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