छत्तीसगढ़ी साहित्य तथा साहित्यकार भाग 1
छत्तीसगढ़ में प्राचीन काल से ही साहित्य लेखन की परम्परा रही है। समय के साथ साथ साहित्य की विधा निखरने लगी तथा छत्तीसगढ़ी भाषा तथा साहित्य दोनों समृद्ध होने लगे। इस क्रम में बहुत सारे लेखकों ने छत्तीसगढ़ साहित्य को अपने लेखनी से समृद्ध किया।
लखनलाल गुप्ता
- चंदा अमरित बरसाइस
- हाथी घोड़ा पालकी
- संझौती के बेरा
- सरग ले डोला आईस
- सुरता के सोन किरन
- सुआ हमर संगवारी
- गोठ -बात
- बेटी की मनसूबा और बर की खोज
नारायणलाल परमार (बाल साहित्यकार )
- आज़ादी के गीत
- किसान के बेटे
- सूरज नई मरे
- मतवार
- कावंर भर धुप
- अक्ल बड़ी या भैस
मुकुटधर पांडेय
- पूजा के फूल
- शैल बाला
- मेरा ह्रदय दान
- मेघदूतम का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद
- छायावाद के प्रवर्तक थे। इसके अंतर्गत उन्होंने कुररी के प्रति की रचना की थी।
- हीरालाल काव्योपाधयाय को छत्तीसगढ़ का पाणिनि कहा जाता है। इन्होंने पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण वर्ष 1890 में तैयार किया था।
- छत्तीसगढ़ के पहली महिला साहित्यकार निरुपमा शर्मा थी।
Comments
Post a Comment