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छत्तीसगढ़ साहित्य तथा साहित्यकार

 छत्तीसगढ़ी साहित्य तथा साहित्यकार भाग 1 

छत्तीसगढ़ में प्राचीन काल से ही साहित्य लेखन की परम्परा रही है। समय के साथ साथ साहित्य की विधा निखरने लगी तथा छत्तीसगढ़ी भाषा तथा साहित्य दोनों समृद्ध होने लगे। इस क्रम में बहुत सारे लेखकों ने छत्तीसगढ़ साहित्य को अपने लेखनी से समृद्ध किया। 

लखनलाल गुप्ता 

  1. चंदा अमरित बरसाइस 
  2. हाथी घोड़ा पालकी 
  3. संझौती के बेरा 
  4. सरग ले डोला आईस 
  5. सुरता के सोन किरन 
  6. सुआ हमर संगवारी 
  7. गोठ -बात 
  8. बेटी की मनसूबा और बर की खोज 

नारायणलाल परमार (बाल साहित्यकार )

  1. आज़ादी के गीत 
  2. किसान के बेटे 
  3. सूरज नई मरे 
  4. मतवार 
  5. कावंर भर धुप 
  6. अक्ल बड़ी या भैस 

मुकुटधर पांडेय 

  1. पूजा के फूल 
  2. शैल बाला 
  3. मेरा ह्रदय दान 
  4. मेघदूतम का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद 
  5. छायावाद के प्रवर्तक थे। इसके अंतर्गत उन्होंने कुररी के प्रति की रचना की थी। 
  • हीरालाल काव्योपाधयाय को छत्तीसगढ़ का पाणिनि कहा जाता है। इन्होंने पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण वर्ष 1890 में तैयार किया था। 
  • छत्तीसगढ़ के पहली महिला साहित्यकार निरुपमा शर्मा थी। 






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दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

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