छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास भाग 3
कंडेल नहर सत्याग्रह 1920
यह छत्तीसगढ़ के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। यह गाँधीवादी पद्धति से अंग्रेजों के घमंड को तोड़ने की दास्तान है।अंग्रेंजो ने सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए दो नए बाँध बनवाए थे। इनके नाम क्रमशः रुद्री तथा माड़मसिल्ली .परन्तु, इन बाँधो से सिंचाई किए जानें पर लगने वाला कर बहुत अधिक था. अतः किसानों ने सिंचाई के लिए पानी लेने से मना कर दिया।
इसके बावजूद भी सरकारी कर्मचारियों ने सिंचाई के लिए पानी खेतो में छोड़ दिया तथा ग्रामीणों पर पानी चोरी का आरोप लगाकर उनके ऊपर जुर्माना लगा दिया।
अंग्रेज अधिकारियों तथा कर्मचारियों के इस रवैया के कारण पंडित सुंदरलाल शर्मा नारायण राव मेघावाले तथा छोटेलाल श्रीवास्तव ने अंग्रेजो के इस कृत्य के विरुद्ध सत्याग्रह प्रारम्भ कर दिया।
सरकार के द्वारा इस आंदोलन को दबाने के लिए अनेक प्रयास किये गए। इसके अंतर्गत कई बर्बर कुकृत्य अंग्रेजों के द्वारा किये जाने लगे। जिसकी वजह से यह तय हुआ की अब इस आंदोलन के नेतृत्व के लिए महात्मा गाँधी को छत्तीसगढ़ बुलाया जाया।
इस उद्देश्य से पंडित सुंदरलाल शर्मा गाँधी को आंदोलन के नेतृत्व की बागडोर संभालने के नेवता देने कलकत्ता गए। कलकत्ता पहुंच कर उन्होंने गाँधी जी से मिलकर इस आंदोलन के विषय में उन्हें परिचय कराया तथा गाँधी जी से इस आंदोलन का नेतृत्व प्रदान करने का आग्रह किया।
उनके इस आग्रह पर गाँधी जी ने इस आंदोलन का नेतृत्व करना स्वीकार कर लिया तथा छत्तीसगढ़ आने का आश्वासन पंडित सुंदरलाल शर्मा को दिया। गाँधी जी के छत्तीसगढ़ आने की बात जानकार अंग्रेजों ने ग्रामीणों पर लगाया जा रहा जुर्माना माफ़ कर दिया।
इस तरह यह आंदोलन अपने उद्देश्य को प्राप्त कर इतिहास में अमर हो गया।
गाँधी जी का पहली बार छत्तीसगढ़ आगमन (20 दिसंबर 1920 )
- कंडेल नहर सत्याग्रह में भाग लेना।
- खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन के लिए लोगों को तैयार करना।
21 दिसम्बर 1920 - धमतरी प्रवास
- यहाँ उन्होंने मकई बाँध नामक स्थान पर लोगों को सम्बंधित किया तथा नाथूजी जगपात के यहाँ भोजन ग्रहण किया।
- धमतरी से वापसी के दौरान उन्होंने कुरुद की जनता को संबोधित किया।
- रायपुर पहुंचकर उन्होंने आनंद समाज वाचनालय के समीप महिलाओं को सम्बोधित किया।
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