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Showing posts from June 28, 2020

रेने देकार्त

रेने देकार्त  आधुनिक युग के जनक कहलाने वाले रेने देकार्त एक गणितज्ञ थे तथा वह दर्शन को भी गणित की तरह निश्चित सिद्धांत वाला बनाना चाहते थे। इस उद्देश्य से उन्होंने दर्शन में ऐसी कई पद्धति प्रारम्भ की जो इनसे पहले के दार्शनिकों ने किसी निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए प्रयोग नहीं की थी।  इन्होंने मध्य कालीन यूरोप में प्रचलित धर्म तथा ईश्वर आधारित दर्शन का परित्याग कर बुद्धिवादी दार्शनिक पद्धति को अपनाया। इसके माध्यम से उन्होंने इस बात पर जोर दिया किया की हमारे अंदर ही ज्ञान निहित होता है तथा उस ज्ञान के ऊपर संदेह करते जाने से हम किसी सत्य तक पहुंच सकते है।  इन्होंने सत्य के खोज की संभावना को प्रत्येक व्यक्ति के अंदर निहित माना तथा प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने इस बात को सिरे से नकार दिया की सत्य हमें केवल धमग्रंथो तथा धर्माधिकारियो से ही मिल सकता है। इस तरह इन्होंने व्यक्तिवाद पर बल दिया जो की आधुनिक यूरोपीय दर्शन की प्रमुख विशेषता है।  इनका दर्शन को देखने तथा समझने का दृष्टिकोण विज्ञान पर आधारित था. यह दर्शन को भी उसी तरह संदेह से परे बनाना चाहते थे ज

भारतीय रेलवे का निजीकरण

 प्राइवेटाइजेशन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे ने 109 रूट के लिए 151 मॉडर्न ट्रेन को लेकर प्राइवेट कंपनियों से आवेदन मांगा है। इस प्रोजेक्ट के लिए शुरुआत में प्राइवेट कंपनियों की तरफ से 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। पिछले साल IRCTC ने देश की पहली निजी ट्रेन लखनऊ-दिल्ली तेजस एक्सप्रेस शुरू की थी। पक्ष  इस प्रोजेक्ट के तहत रेलवे में निजी क्षेत्र के तीस हज़ार करोड़ रुपए निवेश होंगे. ये भारत के रेलवे नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्र के निवेश का पहला प्रयास है. इस प्रोजेक्ट का मक़सद रेलवे में नई तकनीक लाना, मरम्मत ख़र्च कम करना, यात्रा समय कम करना, नौकरियों को बढ़ावा देना, सुरक्षा बढ़ाना और यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएँ देना है. इन सभी रेलगाड़ियों का उत्पादन भारत में ही होगा. निजी क्षेत्र की कंपनियां इनके वित्तपोषण, संचालन और रख रखाव के लिए ज़िम्मेदार होंगी. पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेगी। हर ट्रेन कम से कम 16 डिब्बे की होगी और यह ट्रेन अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घ

हिरासत में मौत -पुलिस एवं न्यायिक सुधार

तमिलनाडु पुलिस की हिरासत में जयराज और बेनिक्स की निर्मम हत्या के बाद वर्दी वालों  के खिलाफ व्यापक जनाक्रोश उभरा है। अतः यह जरूरी है की इससे संबंधित  सभी पक्षों पर विचार किया जाये।  पुलिस व न्यायिक हिरासत में मौत के आँकड़े  सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में 4476 मौतें हिरासत के दौरान हुई है। इनमें से 427 पुलिस हिरासत के दौरान व 4049 मौतें न्यायिक हिरासत में हुई हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान पुलिस हिरासत में मौत का आंकड़ा 145 था जबकि 1616 मौत न्यायिक हिरासत के दौरान हुई। इसी तरह वर्ष 2017-18 की अवधि में पुलिस कस्टडी में 146 और न्यायिक हिरासत में 1636 मौत हुई। वर्ष 2018-19 के दौरान पुलिस हिरासत में मरने वालों की तादाद 136 और न्यायिक हिरासत में हुई मौत का आंकड़ा 1797 तक पहुंच गया। पुलिस सुधार की आवश्यकता क्यों?  मौजूदा पुलिस तंत्र में अनगिनत कमियां हैं। पुलिस बल इस समय संगठन, बुनियादी ढांचे और परिवेश से लेकर बेकार हथियार और पुरानी खुफिया सूचना संग्रहण तकनीक के साथ साथ पुलिसकर्मियों की कमी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। कहा जा सकता है कि देश का पुलिस

भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट का महत्त्व

प्रश्न-  भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट के महत्व का उल्लेख करते हुए डिजिटल भारत के मार्ग में आने वाली चुनौतियों और अपेक्षित सुधारों का विश्लेषण कीजिए। सामान्य अध्ययन-III भारत में इंटरनेट के ग्राहकों की संख्या 56 करोड़ हो गई है और 2018 में यहां 12.3 अरब ऐप डाउनलोड किए गए. दुनिया में केवल चीन ही इस मामले में उससे आगे है. दूसरे देशों के लोगों के मुक़ाबले भारतीय लोग ही सबसे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर खर्च कर रहे हैं. इंडोनेशिया को छोड़कर तमाम दूसरे देशों के मुक़ाबले भारत ही सबसे ज्यादा तेजी से डिजिटलीकरण कर रहा है. इंडोनेशिया ने 2014 के बाद से इसमें 90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की है. भारत में अभी और वृद्धि की काफी गुंजाइश है.  डिजिटलीकरण में इंटरनेट का महत्व आधार, जियो, जन धन, और जीएसटी के कारण. जीएसटी के कारण 1.03 करोड़ व्यवसाय टैक्स भुगतान के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं. डिजिटल अर्थव्यवस्था 2025 तक 6 से लेकर 6.5 करोड़ तक रोज़गार पैदा कर सकती है. खेती में जानकारियों के कुशल उपयोग से लागत में 20 फीसदी की कमी आ सकती है, और ऑनलाइन नेटवर्क के जरिए फ़सलों आदि के बेहतर दाम मिलने से आमदनी में 15 प्रतिश

इंटरपोल

इंटरपोल इंटरपोल (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन) एक अंतर सरकारी संगठन है जिसमें भारत समेत 194 सदस्य देश हैं। इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस में और इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन के तौर पर 1923 में हुई थी और इसने 1956 में अपने आप को इंटरपोल कहना शुरू कर दिया। सबसे पुराने सदस्यों में शुमार भारत 1949 में इस संगठन में शामिल हुआ था। भारत ने अब तक केवल एक बार 1997 में इंटरपोल महासभा का आयोजन किया था इंटरपोल साल 2022 में भारत में अपनी महासभा का आयोजन करेगा। यह आयोजन देश की आजादी के 75वें वर्ष के साथ होगा। रेड कॉर्नर नोटिस  रेड कॉर्नर नोटिस एक ऐसे व्यक्ति को ढूंढने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का अनुरोध है,जिसे आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है. लेकिन सिर्फ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति दोषी है. ये दुनिया में होने वाले अपराध पर अलर्ट भी करते हैं. रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के पीछे इंटरपोल का मुख्य उद्येश्य सदस्य देशों की पुलिस को सतर्क करना होता है ताकि संदिग्ध अपराधियों को पकड़ा जा सके या खोये हुए व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.

अमेरिका-ईरान तनाव

प्रश्न- अमेरिका-ईरान तनाव में वृद्धि के क्या कारण हैं? दोनों देशों के मध्य किसी भी प्रकार का संघर्ष न केवल मध्य-पूर्व बल्कि भारत के आर्थिक व सामरिक हितों को प्रभावित करेगा। विश्लेषण कीजिए। सामान्य अध्ययन-II वर्ष 2020 के प्रारंभ में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख और इरानी सेना के शीर्ष अधिकारी  मेजर जनरल कासिम सुलेमानी  सहित सेना के कई अन्य अधिकारियों को बगदाद हवाई अड्डे के बाहर हवाई हमले में मार गिराया था। इस घटना के पाँच माह बाद ईरान के एक न्यायालय ने ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारी की हत्या करने व ईरान में आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत 30 अन्य लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश ज़ारी किया है। इसके साथ ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिये  इंटरपोल (Interpol)   से  रेड  कॉर्नर  नोटिस (Red Corner Notice)  जारी करने की भी माँग की गई है। निश्चित रूप से ईरान का यह कदम पश्चिम एशिया में व्याप्त तनाव को बढ़ाने वाला है। अमेरिका-ईरान तनाव बढ़ने के कारण परमाणु करार का रद्द होना ईरान पर प्रतिबंधों का आरोपण इस्ला

यूएन में दुनिया से दुश्मनी खत्म करने की मांग वाला पहला कोविड-19 प्रस्ताव पारित

यूएन में दुनिया से दुश्मनी खत्म करने की मांग वाला पहला कोविड-19 प्रस्ताव पारित तीन महीने तक मतभेदों और बातचीत के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बुधवार को सर्वसम्मति से कोविड-19 से संबंधित पहला प्रस्ताव पारित किया जिसमें दुनिया में वैर-भाव को तत्काल समाप्त करने की मांग की गयी है. फ्रांस और ट्यूनीशिया द्वारा तैयार किये गये इस प्रस्ताव में उसके एजेंडे पर हर स्थिति में सामान्य रूप से और तत्काल वैर भाव बंद करने की मांग की गयी है और इस संबंध में महासचिव एवं उनके विशेष प्रतिनिधियों एवं विशेष दूतों द्वारा किये गये प्रयासों का समर्थन किया गया है. उसमें सशस्त्र संघर्षों से जुड़े सभी पक्षों से कम से कम 90 दिनों के लिए तत्काल मानवीय विराम लगाने का आह्वान किया गया है ताकि मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता तथा चिकित्सा सहायता के मानवीय सिद्धांतों के अनुसार सुरक्षित और बेरोकटोक मानवीय सहायता पहुंचायी जा सके. स्रोत द प्रिंट हिंदी  https://hindi.theprint.in/world/first-covid-19-resolution-passed-to-end-hostility-to-world-in-un-prepared-by-france-and-tunisia/151581/

केंद्र ने नागालैंड को 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया

केंद्र ने नागालैंड को 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया स्रोत news18 hindi केंद्र सरकार ने संपूर्ण नागालैंड को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया है और राज्य में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (एएफएसपीए - आफ्सपा) को छह महीने के लिए और बढ़ा दिया है, जो 30 जून 2020 से लागू हो गया है। एएफएसपीए की धारा 3 के अनुसार, अगर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक को यह लगता है कि पूरे राज्य में या उसके कुछ हिस्से में अशांति है और वहां स्थिति ख़तरनाक है और वहां सशस्त्र बलों की तैनाती आवश्यक है, तो राज्य का राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासक या केंद्र सरकार राज्य के पूरे क्षेत्र या उसके एक हिस्से को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं। एएफएसपीए की पृष्ठभूमि 45 साल पहले भारतीय संसद ने “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया, जो एक फौजी कानून है, जिसे “डिस्टर्ब” क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है. जहां अफस्पा लागू होता है, वहां सशस्त्र बलों के अधिकारी को जबरदस्त शक्तियां दी जाती हैं. ये इस तरह हैं चेतावनी के बा

विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020

विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 देश के टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए किफायती दरों पर बेहतर बिजली की आपूर्ति आवश्यक है। विद्युत क्षेत्र के विकास के लिए विद्युत मंत्रालय ने 17 अप्रैल, 2020 को विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2020 के मसौदे के रूप में विद्युत अधिनियम, 2003 में संशोधन के लिए मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। इस संसोधन के निम्न उद्देश्य है - उपभोक्ता केंद्रित अवधारणा सुनिश्चित करना। विद्युत क्षेत्र की स्थिरता में वृद्धि करना। हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन प्रदान करना। विद्युत संविदा प्रवर्तन प्राधिकरण' का निर्माण  केंद्र सरकार ने वितरण और निर्माण कंपनियों के बीच विवादों हल करने के लिए 'विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण' (ECEA) के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। ECEA बिजली की बिक्री, खरीद या पारेषण से संबंधित अनुबंध के तहत दायित्वों के प्रदर्शन से संबंध‌ित मामलों पर फैसला करने के लिए एकमात्र इकाई होगा। निर्माण कंपनी और वितरण कंपनी के बीच सभी अनुबंध, समापन के 30 दिनों के भीतर ECEA के समक्ष दायर किए जाएंगे। राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा नीति  केंद्र सरकार ने ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्