रेने देकार्त आधुनिक युग के जनक कहलाने वाले रेने देकार्त एक गणितज्ञ थे तथा वह दर्शन को भी गणित की तरह निश्चित सिद्धांत वाला बनाना चाहते थे। इस उद्देश्य से उन्होंने दर्शन में ऐसी कई पद्धति प्रारम्भ की जो इनसे पहले के दार्शनिकों ने किसी निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए प्रयोग नहीं की थी। इन्होंने मध्य कालीन यूरोप में प्रचलित धर्म तथा ईश्वर आधारित दर्शन का परित्याग कर बुद्धिवादी दार्शनिक पद्धति को अपनाया। इसके माध्यम से उन्होंने इस बात पर जोर दिया किया की हमारे अंदर ही ज्ञान निहित होता है तथा उस ज्ञान के ऊपर संदेह करते जाने से हम किसी सत्य तक पहुंच सकते है। इन्होंने सत्य के खोज की संभावना को प्रत्येक व्यक्ति के अंदर निहित माना तथा प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने इस बात को सिरे से नकार दिया की सत्य हमें केवल धमग्रंथो तथा धर्माधिकारियो से ही मिल सकता है। इस तरह इन्होंने व्यक्तिवाद पर बल दिया जो की आधुनिक यूरोपीय दर्शन की प्रमुख विशेषता है। इनका दर्शन को देखने तथा समझने का दृष्टिकोण विज्ञान पर आधारित था. यह दर्शन को भी उसी तरह संदेह से परे बनाना चाहते थे ज
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