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महानदी बेसिन

 महानदी बेसिन 

महानदी बेसिन छत्तीसगढ़ के बीचों -बीच अवस्थित है। इसका निर्माण अवसादी तथा आग्नेय चट्टानों से हुआ है। इसका क्षेत्रफल 68064 वर्ग किलोमीटर है ,जो छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 50 .34 प्रतिशत है।  इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है -
  1. छत्तीसगढ़ का मैदान 
  2. सीमान्त उच्च भूमि 

छत्तीसगढ़ का मैदान 

यह छत्तीसगढ़ का ह्रदय स्थल है। इसकी आकृति पंछी के पंख के सदृशय है। इसका क्षेत्रफल 31,600 वर्ग किलोमीटर है। इसका निर्माण आर्कियन चट्टानों से हुआ है। फलतः चुना पत्थर की बहुलता है। इसकी औसत ऊँचाई 220 मीटर से सीमान्त प्रदेश की तरफ लगभग 304 मीटर है। 
छत्तीसगढ़ के मैदान को पुनः निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है -
  1. पेंड्रा -लोरमी का पठार 
  2. कोरबा बेसिन 
  3. रायगढ़ बेसिन 
  4. बिलासपुर-रायगढ़ का मैदान 
  5. दुर्ग-रायगढ़ का मैदान 

पेंड्रा -लोरमी का पठार 

इसका विस्तार पेंड्रा ,कटघोरा ,लोरमी तथा पंडरिया तहसील में है। इस पठार में पलमा चोटी (1080 मीटर ) तथा लाफागढ़ (1048 मीटर ) लम्बी है। 

कोरबा बेसिन 

इसकी औसत ऊँचाई 250 -300 मीटर है तथा इसका विस्तार दक्षिण कटघोरा एवं दक्षिण कोरबा तहसील में है। 

रायगढ़ बेसिन 

दक्षिण धरमजयगढ़ ,खरसिया व रायगढ़ ,दक्षिण कटघोरा में विस्तृत। इसकी औसत ऊँचाई 300 मीटर है। 

बिलासपुर - रायगढ़ का मैदान 

इसका विस्तार चंपा ,सक्ती ,पामगढ़ ,तखतपुर ,बिल्हा आदि में है। इसकी औसत ऊँचाई 150 -300 मीटर है तथा इस क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी दलहा पहाड़ (700 -750 मीटर ) है। 

शिवनाथ -महानदी का दोआब 

इसका विस्तार दुर्ग तथा रायपुर तहसील के पुरे क्षेत्र एवं बेमेतरा ,बालोद और महासमुंद जिले के कुछ हिस्सों तक है। इसकी औसत उँचाई 200 से 300 मीटर तक है। 

शिवनाथ पार का मैदान 

इसके अन्तर्गत राजनांदगाव जिले का मैदानी भाग ,बेमेतरा जिले का अधिकांश भाग 

सीमान्त उच्च भूमि 

इस क्षेत्र का निर्माण गोंडवाना तथा दक्कन ट्रैप से हुआ है। इसका विस्तार लगभग 34,464 वर्ग किलोमीटर है। इसकी औसत ऊँचाई 400 से 1000 मीटर है। 
इसे निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है -
  1. छुरी उदयपुर की पहाड़ियाँ 
  2. मैकल श्रेणी 
  3. दुर्ग सीमान्त उच्च भूमि 
  4. धमतरी महासमुंद उच्च भूमि 

छुरी उदयपुर की पहाड़ियाँ 

इसके अंतर्गत उत्तरी कोरबा ,उत्तरी धरमजयगढ़ ,उत्तरी घरघोड़ा तहसील आदि स्थित है। इसकी औसत ऊँचाई 600 से 1000 मीटर है।  

मैकल श्रेणी 

यह छत्तीसगढ़ के पश्चिम भाग में स्थित है। इसका विस्तार कवर्धा ,राजनांदगाव तथा मुंगेली जिले में है। यह नर्मदा एवं महानदी अपवाह तंत्र के बीच विभाजक का कार्य करता है। इसकी औसत ऊँचाई 450 -1000 मीटर है.इसकी सबसे ऊँची चोटी बढ़रगढ़ (1176 मीटर )है। 

 दुर्ग सीमान्त उच्च भूमि 

इसका विस्तार बालोद ,राजनांदगाव तथा दुर्ग जिले में है। इसकी औसत ऊँचाई 500 से 800 मीटर है। 

धमतरी महासमुंद उच्च भूमि 

यह छत्तीसगढ़ के उत्तरी दिशा में है।  इसका विस्तार धमतरी ,महासमुंद तथा  गरियाबंद जिले में स्थित है। इसके सबसे ऊँची चोटी धारीडोंगर (899 मीटर ) है। 

अपवाह तंत्र 

महानदी 


यह महानदी अपवाह तंत्र के अंतर्गत आता है। महानदी का उद्गम सिहावा पहाड़ी से होता है। यह छत्तीसगढ़ में लगभग 286 किलोमीटर बहती है। इसकी सहायक नदी शिवनाथ(290 किलोमीटर ) ,हसदेव ,मांड आदि नदी है। महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा कहते है। 

वनस्पति 

इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन पाया जाता है। यहाँ सीतानदी ,बारनवापारा तथा उदंती अभ्यारण्य 
 है। इसके अलावा इस क्षेत्र में अचानकमार जैव विविधता रिज़र्व भी है। यहाँ मिश्रित वनो की बहुलता है। 

उद्योग 



यह क्षेत्र औद्योगिक गतिविधियों की दृष्टिकोण से काफी समृद्ध है। यहाँ अनेक औद्योगिक क्षेत्र है जहाँ से अनेक वस्तुओं का निर्यात देश तथा विदेशों में होता है। 

कृषि 

धान 


कृषि के दृष्टिकोण से यह क्षेत्र अत्यंत समृद्ध है। इसके मूल में समतल भूमि तथा सिंचाई के उन्नत साधनों की उपलब्धता है। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ का धान का कटोरा कहलाता है। 

जलवायु 

यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय महाद्वीपीय जलवायु है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 1000 से 1200 mm तक होती है। 

मिट्टी 

मटासी मिट्टी 
यहाँ मटासी मिट्टी का विस्तार है। यह मिट्टी धान की खेती के लिए उपयुक्त है। इसके कुछ हिस्सों में लाल मिट्टी भी पाई जाती है। 

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