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छत्तीसगढ़ का भूगोल

 छत्तीसगढ़ का भूगोल 



छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक प्रदेश को अध्ययन के दृष्टि से चार भागों में विभाजित किया जा सकता है -
  1. पूर्वी बघेलखण्ड का पठार 
  2. जशपुर सामरी पाट 
  3. महानदी बेसीन 
  4. दंडकारण्य का पठार 

पूर्वी बघेलखण्ड का पठार 

यह छत्तीसगढ़ के उत्तरी दिशा में स्थित है। यह बघेलखण्ड के पठार का वह हिस्सा है जो छत्तीसगढ़ में स्थित है। इसका विस्तार छत्तीसगढ़ के लगभग 21863 वर्ग किलोमीटर में है जो की छत्तीसगढ़ के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 16 % है।
इस क्षेत्र को अध्ययन की दृष्टि से 5 भागों में विभाजित किया जा सकता है:-
  1. कन्हार बेसिन 
  2. रिहन्द बेसिन 
  3. हसदो रामपुर बेसिन 
  4. सरगुजा बेसिन 
  5. देवगढ़ की पहड़ियाँ 

  उच्चावच - 

इस क्षेत्र की औसत ऊंचाई 300 मीटर से 700 मीटर है। वही देवगढ़ की पहाड़ी की ऊंचाई 1028 मीटर है जो इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी है। 

अपवाह तंत्र - 

उल्लेखनीय है की देवगढ़ की पहड़ियाँ गंगा तथा महानदी अपवाह तंत्र के बीच जल विभाजक का कार्य करता है। इस क्षेत्र की कुछ नदियाँ यथा गोपद ,बनास आदि गंगा की सहायक सोन नदी में मिलती है। परन्तु यह क्षेत्र मुख्य रूप से  महानदी अपवाह तंत्र का भाग है। इस क्षेत्र की सबसे लम्बी नदी हसदेव नदी है जिसकी लम्बाई 176 किलोमीटर है तथा यह जांजगीर-चापा के समीप महानदी में मिल जाती है।

खनिज 

यह क्षेत्र भूगर्भिक दृष्टिकोण से गोंडवाना शैल से निर्मित है जिसकी वजह से यहाँ कोयला मुख्य रूप से पाया जाता है। यहाँ पर कोयला उत्खनन का कार्य साउथ ईस्ट कोल लिमिटेड द्वारा किया जाता है। 
यहाँ के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ ,बैकुंठपुर ,विश्रामपुर ,चिरमिरी झिलमिली ,सोनहट आदि है। 

मिट्टी 

इस क्षेत्र में लाल -पीली मिट्टी पाई जाती है। 

कृषि 

इस क्षेत्र में मुख्यतः  धान की खेती की जाती है। इसके अलावा मोटे अनाज भी उत्पादित किया जाता है.
 

वनस्पति 

इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन पाये जाते है। यहाँ छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान गुरु घासीदास स्थित है। यहाँ बाघ ,हिरन ,जंगली कुत्ते आदि पाए जाते है। 

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