Skip to main content

इसराइल और यूएई की दोस्ती

 

इसराइल और यूएई की दोस्ती 

इसराइल और यूएई की दोस्ती

हाल ही में इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात ने आपसी संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक समझौता किया है, इसके साथ ही इसराइल ने वेस्ट बैंक में अपने कब्ज़े वाले हिस्सों की विवादास्पद योजनाओं को निलंबित करने पर सहमति ज़ाहिर की है.

बताया जा रहा है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच बातचीत करवाई है.

अब तक इसराइल के अरब देशों के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं रहे हैं. लेकिन ईरान से जुड़ी चिंताओं ने इन दोनों देशों के बीच अब एक 'अनौपचारिक संपर्क' को जन्म दिया है.

1948 में इसराइल बनने के बाद से यह सिर्फ़ तीसरा इसराइल-अरब शांति समझौता है. इससे पहले मिस्र ने 1979 में और जॉर्डन ने 1994 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

नेतन्याहू ने कहा है कि वो ऊर्जा, जल और पर्यावरण संरक्षण समेत कई अन्य क्षेत्रों में संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर काम करेंगे. साथ ही इसराइल कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित करने में यूएई के साथ सहयोग करेगा.

बताया गया है कि आने वाले हफ़्तों में इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधिमंडल निवेश, पर्यटन, सीधी उड़ानों, सुरक्षा, दूरसंचार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति, पर्यावरण, पारस्परिक दूतावासों की स्थापना और अन्य क्षेत्रों में आपसी साझेदारी स्थापित करने के लिए द्विपक्षीय सौदों पर हस्ताक्षर करेंगे. यह कार्यक्रम अमरीकी में आयोजित होने की संभावना है.

 इसके अलावा ऐसा माना जा रहा है की संयुक्त अरब अमीरात का अमरीका के साथ संबंध मज़बूत होंगे और इसराइल के साथ समझौते से उसे महत्वपूर्ण आर्थिक, सुरक्षा और वैज्ञानिक लाभ मिल सकते हैं.

विभिन्न देशों की इस डील को लेकर प्रतिक्रिया?

मिस्र के राष्ट्रपति ने भी इस डील का स्वागत किया है, वहीं जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफ़ादी ने कहा है कि इस समझौते से रुकी हुए शांति समझौतों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

जबकि फ़लस्तीन के एक वरिष्ठ अधिकारी, हनान अशरावी ने इस डील की यह कहते हुए निंदा की है कि 'यूएई इसराइल के साथ अपने गुप्त संबंधों और सौदों पर अब खुलकर सामने आ गया है.' उन्होंने प्रिंस मोहम्मद को कहा: "तुम्हारे ये 'दोस्त' बस कहीं तुम्हें बेच ना दें."

ईरान की तसनीम न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरान के रेवोलूश्नरी गार्ड्स ने इस समझौते को 'शर्मनाक' बताया है और ग़ज़ा और हमास में सक्रिय मिलिटेंट संगठनों ने भी इस डील को 'अपने लोगों की पीठ में छुरा घोपने जैसी हरक़त' करार दिया है.

स्रोत बीबीसी हिंदी

 



Comments

Popular posts from this blog

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न