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अर्थव्यवस्था जून 2020

अर्थव्यवस्था 


भारत का तेल आयात पिछले आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

साल 2011 के अक्टूबर महीने के बाद इस दफा पहली बार मई में भारत का तेल आयात गिरकर अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने उद्योग जगत के सूत्रों से मिले आँकड़ों के हवाले से कहा है कि इसकी वजह तेल की मांग में लगातार आई गिरावट है.मई में भारत ने 3.18 मिलियन बैरल तेल प्रतिदिन के हिसाब से ख़रीदा.

आँकड़े बताते हैं कि इसी साल अप्रैल में हुई ख़रीद की तुलना में ये 31 फ़ीसदी कम था जबकि पिछले साल इसी समय की ख़रीद के हिसाब से भी ये 26 फ़ीसदी कम था. भारत में कोरोना संकट पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण तेल की मांग में भारी गिरावट देखी गई थी.

इस दौरान तेल कंपनियों ने सस्ते तेल से अपना स्टॉक इकट्ठा किया. केंद्र सरकार की रणनीतिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त तेल की आपूर्ति की.

पशुपालन बुनियादी ढाँचा विकास फंड 

विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए हाल में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के अनुकूल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 15,000 करोड़ रुपये के पशु पालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) की स्थापना के लिए अपनी मंज़ूरी दे दी है।

  1. पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) निजी क्षेत्र में डेयरी एवं मीट प्रसंस्करण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतरीन बुनियादी ढांचे के विकास और पशु आहार संयंत्र की स्थापना में निवेश के अति आवश्यक प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए उचित सुविधा उपलब्ध कराएगा। एएचआईडीएफ योजना के तहत योग्य लाभार्थी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, सेक्शन 8 कंपनियां, निजी कंपनियां और निजी उद्यमी होंगे जिन्हें 10 प्रतिशत की मार्जिन राशि का योगदान करना होगा। शेष 90 प्रतिशत की राशि अनुसूचित बैंक द्वारा कर्ज के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।

  2. सरकार योग्य लाभार्थी को ब्याज पर 3 प्रतिशत की आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी। योग्य लाभार्थियों को मूल कर्ज के लिए दो वर्ष की अधिस्थगन अवधि के साथ कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा और कर्ज की पुनर्भुगतान अवधि 6 साल होगी।

  3. भारत सरकार 750 करोड़ रुपये के क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना भी करेगी जिसका प्रबंधन नाबार्ड करेगा। क्रेडिट गारंटी उन स्वीकृत परियोजनाओं के लिए दी जाएगी जो एमएसएमई के तहत परिभाषित होंगी। कर्ज़दार की क्रेडिट सुविधा की 25 प्रतिशत तक गारंटी कवरेज दी जाएगी।

  4. भारत में डेयरी उत्पादों के अंतिम मूल्य की लगभग 50-60 प्रतिशत राशि किसानों के पास ही आती है। इसका मतलब इस क्षेत्र में वृद्धि का किसानों की आय पर अहम और सीधा असर पड़ सकता है। डेयरी बाजार का आकार और दूध की बिक्री से किसानों को होने वाली आय का इसमें निजी व सहकारी क्षेत्र के विकास से सीधा और नज़दीकी संबंध है। इसलिए, एएचआईडीएफ में निवेश प्रोत्साहन से न सिर्फ सात गुना निजी निवेश का लाभ होगा बल्कि यह किसानों को भी इसमें निवेश बढ़ाने को प्रोत्साहित करेगा ताकि उनका उत्पादन बढ़ सके जिससे उनकी कमाई में भी बढ़ोतरी होगी।

  5. इस योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग 35 लाख लोगों को आजीविका का साधन मिल सकेगा।   

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ब्याज सब्सिडी

सरकार ने छोटे उद्यमियों का राहत देने का फैसला किया है. उसने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत शिशु कर्ज श्रेणी के अंतर्गत आने वाले छोटी राशि के कर्ज लेने वालों को 2 फीसदी ब्याज सहायता देने को मंजूरी दी है. छोटे कारोबारियों को कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद उसकी रोकथाम के लिए 'लॉकडाउन' से हुई समस्या से पार पाने में मदद के लिए यह कदम उठाया गया है.

शिशु श्रेणी के अंतर्गत लाभार्थियों को 50,000 रुपये तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2 फीसदी ब्याज सहायता से सरकारी ख़ज़ाने पर करीब 1,542 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

पीएमएमवाई के अंतर्गत शिशु श्रेणी के तहत मार्च 2020 के अंत तक करीब 9.37 करोड़ कर्ज खाते थे. इन खातों पर कर्ज के रूप में करीब 1.62 लाख करोड़ रुपये बकाये थे. आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, योजना का लाभ 31 मार्च 2020 तक बकाये कर्ज पर मिलेगा.


यह लाभ गैर-निष्पादित परंसपत्ति (एनपीए) के मामले में नहीं मिलेगा. इसमें कहा गया है, ''ब्याज सहायता उन महीनों के लिए मिलेगी जब खाता एनपीए नहीं बना. एनपीए बनने के बाद अगर खाता फिर से निष्पादित परंसिपत्ति बनी है तो उसे संबंधित महीने का लाभ मिलेगा.''

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक नई संस्था है जो ऐसे सूक्ष्म और लघु उद्यमों की गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि क्षेत्रक आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियों को वित्त पोषित करने के लिए स्‍स्थापित की गई है, जिनकी ऋण आवश्यकताएं रु.10 लाख से कम हैं।

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तत्‍वाधान में, मुद्रा (MUDRA ) ने लाभार्थी सूक्ष्‍म इकाइयों की विकास और वित्त पोषण आवश्यकताओं के चरण के अनुसार तीन उत्पाद अर्थात 'शिशु', 'किशोर' और 'तरुण' तैयार किए हैं। ये योजनाएँ निम्‍नलिखित प्रकार से ऋण राशियों को कवर करती है:

  1. शिशु: 50,000 रु. तक के ऋण को कवर करता है

  2. किशोर: रु. 50,000 से अधिक एवं रु. 5,00,000 तक के ऋण को कवर करता है।

  3. तरुण: रु.5,00,000 से अधिक एवं रु.10,00,000 तक के ऋण को कवर करता है।

 

सभी गैर-कॉर्पोरेट छोटे व्यवसाय संभाग (एनसीएसबीएस) जिनमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में छोटी विनिर्माण इकाइयों, सेवा क्षेत्रक इकाइयों, दुकानदारों, फल/ सब्जी विक्रेताओं, ट्रक ऑपरेटरों, खाद्य सेवा इकाइयों, मरम्मत की दुकानों, मशीन ऑपरेटरों, छोटे उद्योगों, खाद्य संसाधकों और अन्य के रूप में चल रही में स्वामित्व या साझेदारी फर्म शामिल हैं, वे मुद्रा के अंतर्गत सहायता के लिए पात्र हैं।

क्रय शक्ति समता एवं भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार

विश्व बैंक’ ने 'अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम’ (International Comparison Program- ICP) के तहत संदर्भ वर्ष 2017 के लिये नई ‘क्रय शक्ति समानताएँ’ (Purchasing Power Parities-PPPs) जारी की हैं, जो विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में जीवन की लागत के अंतर को समायोजित करती हैं।

  1. भारत 2017 के क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना हुआ है।

  2. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के स्तर पर रुपया प्रति डॉलर पीपीपी 2017 में बढ़कर 20.65 हो गया जो 2011 में 15.55 था। वहीं रुपये के लिये डॉलर की विनिमय दर 2017 में बढ़कर 65.12 हो गयी जो 2011 में 46.67 थी। साथ ही कीमत स्तर सूचकांक (पीएलआई) यानी पीपीपी का संबंधित बाजार विनिमय दर से अनुपात 2017 में सुधरकर 47.55 रहा जो 2011 में 42.99 था। इसका उपयोग अर्थव्यवस्थाओं में कीमत स्तर की तुलना करने में किया जाता है। 

  3. पीपीपी के हिसाब से वैश्विक जीडीपी में उसकी हिस्सेदारी 6.7 प्रतिशत रही (दुनिया के कुल 1,19,547 अरब डॉलर के जीडीपी में 8,051 अरब डॉलर) वहीं चीन और अमेरिकी हिस्सेदारी क्रमश: 16.4 प्रतिशत और 16.3 प्रतिशत है।

  4. एशिया प्रशांत क्षेत्र में पीपीपी के संदर्भ में क्षेत्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20.83 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वह दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रही। वहीं चीन 50.76 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले और इंडोनेशिया तीसरे स्थान पर रही।

क्रय-शक्ति समता

क्रय-शक्ति समता (पर्चेजिंग पावर पैरिटी- (PPP)) अंतर्राष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है जिसके अनुसार विभिन्न देशों में एक समान वस्तुओं की कीमत समान रहती है।क्रय शक्ति समता के आधार पर  किसी देश की अर्थव्यवस्था के आकार का पता लगाया जा सकता है।क्रय शक्ति समता के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि दो देशों के बीच मुद्रा की क्रय-शक्ति में कितना अंतर या फिर समता मौजूद है। 

संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकीय आयोग

यह राष्ट्रीय आँकड़ों के विकास को प्रोत्साहन देता है तथा उनको तुलना योग्य बनता है।20 अक्तूबर को विश्व सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है, इसकी शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी। इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग द्वारा की गई थी। जिसे पाँच वर्ष में एक बार मनाया जाता है। इस बार यह 20 अक्टूबर 2020 को मनाया जायेगा।  

गरीब कल्याण रोज़गार अभियान

देश के गांवों में स्थायी बुनियादी ढांचा तैयार करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘गरीब कल्याण रोजगार मिशन’ की शुरुआत की. इस अभियान को 6 राज्यों के 116 जिलों में 125 दिनों तक प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए मिशन मोड में चलाया जाएगा।

गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत गांवों के विकास के लिए, रोजगार देने के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं. इस राशि से गांवों में रोजगार के लिए, विकास के कामों के लिए करीब 25 कार्य-क्षेत्रों की पहचान की गई है. ये 25 काम या प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जो गांव की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े हैं, जो गांव के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हैं. ये काम अपने ही गांव में रहते हुए, अपने परिवार के साथ रहते हुए ही किए जाएंगे.

इस अभियान के तहत 50,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक कार्य कराए जाएंगे. कोरोना महामारी के समय लाखों की संख्या में प्रवासी मज़दूर महानगरों से वापस लौटकर अपने गृह राज्य/जिले में आए हैं. ऐसे में उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना अहम चुनौती है.

यह अभियान 12 विभिन्न मंत्रालयों/विभागों- ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, खान, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़क, दूरसंचार और कृषि का एक समन्वित प्रयास होगा.

अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम

स्टूडेंट्स को शहरी क्षेत्र में बेहतर ऑप्शन देने के मकसद से मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियल निशंक और आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने देश के पहले ‘द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम’ (TULIP) और उसका पोर्टल लॉन्च किया। इस प्रोग्राम के जरिए इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स को देश के 4500 निकायों और स्मार्ट सिटी में इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा। इस योजना को AICTE के द्वारा चलाया जाएगा। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस साल करीब 25,000 स्टूडेंट्स इस प्रोग्राम के तहत इंटर्नशिप कर सकेंगे। जबकि दो से तीन साल में यह संख्या बढ़कर एक करोड़ तक पहुंच जाएगी।

इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने वास्तविक समय पर बिजली खरीद-बिक्री का बाजार शुरू किया

बिजली कारोबार मंच इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने सोमवार को बिजली की मांग को तत्काल पूरा करने का बाजार (रीयल टाइम मार्केट) शुरू किया। इससे बिजली कंपनियां अपनी जरूरत के अनुसार केवल एक घंटे पहले बिजली की खरीद-बिक्री कर सकेंगी।

इस बाजार के माध्यम से वितरण कंपनियां और निजी उपयोग के लिये ऊर्जा लेने वाले थोक ग्राहक समेत अन्य उपभोक्ता आपूर्ति से ठीक एक घंटा पहले एक्सचेंज से बिजली खरीद सकेंगे। इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईएक्स) ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि बिजली की तुरंत खरीद-बिक्री का यह बाजार केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) के प्रयास का नतीजा है।

लाभ 

इस आरटीएम से देश का ऊर्जा बाजार विद्युत कारोबार के वैश्विक मानकों की ओर बढ़ रहा है। यह बिजली कंपनियों के लिये ग्रिड में उतार-चढ़ाव के मामले में निर्भरता में कमी लाने में मदद करेगा। इस बाजार का मुख्य उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों को अपनी बिजली मांग को बेहतरी तरीके से प्रबंधित करने, उतार-चढ़ाव की स्थिति में जुमार्ने से बचाव और नीवीकरणीय ऊर्जा के बेहतर तरीके से एकीकरण की अनुमति देता है।इस नये बाजार से बिजली क्षेत्र में लचीलापन, प्रतिस्पर्धा और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा और जो उभरती जरूरतें हैं, वे पूरी होंगी।

‘पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड’ भारत सरकार का उपक्रम है जो क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्रों (Regional Load Despatch Centres-RLDCs) और राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र (National Load Despatch Centre-NLDC) के संचालन और जनशक्ति की आवश्यकता से संबंधित सभी पहलुओं का पर्यवेक्षण तथा नियंत्रण करता है। इसमें 5 क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र और एक राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र शामिल है।‘राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र और क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र’ विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत कार्य करते हैं।

राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र के कार्य:केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग एवं केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गए दिशा-निर्देशों या नियमों के अनुसार प्रेषण प्रणाली के संचालन से संबंधित जानकारी का प्रसार करना।राष्ट्रीय ग्रिड का संचालन एवं उनकी सुरक्षा करना।अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा के विनिमय हेतु समन्वय करना।

भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पाने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल : रिपोर्ट

भारत 2019 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने वाले शीर्ष दस देशों में शामिल रहा.इस दौरान भारत में एफडीआई 16 प्रतिशत बढ़कर 49 अरब डॉलर रहा. इसके चलते दक्षिण एशिया में एफडीआई वृद्धि में तेजी आई.

संयुक्त राष्ट्र की अंकटाड (संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास संगठन) द्वारा तैयार वैश्विक निवेश रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक प्रतिशत गिरकर 1390 अरब डॉलर रहा. 2018 में यह 1410 अरब डॉलर पर था. इसमें कहा गया है कि वृहदआर्थिक प्रदर्शन में कमज़ोरी तथा व्यापार तनाव समेत नीतिगत मोर्चे पर अनिश्चितता से निवेश में गिरावट आई है.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 

किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है। आमतौर पर माना यह जाता है कि किसी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेशक को 10 फीसदी शेयर खरीदना पड़ता है। इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है।

एफडीआई दो तरह के हो सकते हैं-इनवार्ड और आउटवार्ड। इनवार्ड एफडीआई में विदेशी निवेशक भारत में कंपनी शुरू कर यहां के बाजार में प्रवेश कर सकता है। इसके लिए वह किसी भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम बना सकता है या पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी यानी सब्सिडियरी शुरू कर सकता है। अगर वह ऐसा नहीं करना चाहता तो यहां इकाई का विदेशी कंपनी का दर्जा बरकरार रखते हुए भारत में संपर्क, परियोजना या शाखा कार्यालय खोल सकता है। आमतौर पर यह भी उम्मीद की जाती है कि एफडीआई निवेशक का दीर्घावधि निवेश होगा। इसमें उनका वित्त के अलावा दूसरी तरह का भी योगदान होगा।

एफडीआई और एफआईआई निवेश में क्या अंतर है?

एफडीआई में किसी विदेशी कंपनी द्वारा देश में प्रत्यक्ष निवेश होता है जबकि एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशक शेयरों, म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। एफआईआई पार्टिसिपेटरी नोट, सरकारी प्रतिभूतियों, कमर्शियल पेपर वगैरह को निवेश माध्यम बनाते हैं। ज्यादातर एफडीआई की प्रकृति स्थायी होती है लेकिन बाजार में उथल-पुथल की स्थिति बनने पर एफआईआई जल्दी से बिकवाली कर निकल जाते हैं।

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ‘बेंचमार्किंग इंडियाज पेमेंट सिस्टम्स

 रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है की भारत को चेक आदि से किए जाने वाले भुगतान को कम करने और डिजिटल भुगतान के लिए बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत है. इस तरह के कदमों के जरिये देश में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा. भारत की काफी मजबूत नियामकीय प्रणाली है और साथ ही मजबूत मूल्य और खुदरा भुगतान प्रणाली है, जिसकी वजह से इन भुगतान प्रणालियों में लेनदेन की मात्रा बढ़ रही है. 

इस रिपोर्ट में भारत में भुगतान प्रणाली के पारिस्थितिकी तंत्र की अन्य देशों की भुगतान प्रणालियों से तुलना की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भुगतान प्रणाली की लागत के नियमन, डेबिट कार्ड जारी करने और आटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) और केंद्रीय बैंक की निगरानी के मामले में भारत अगुवा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आवश्यक कानूनों तथा प्रति व्यक्ति चलन में नकदी के मामले में मजबूत स्थिति में है.

ग्लोबल इकोनॉमिक प्राॅसपेक्ट्स

प्रति वर्ष विश्व बैंक ग्लोबल इकोनॉमिक प्राॅसपेक्ट्स रिपोर्ट जारी करता है। इस रिपोर्ट के अनुसार  महामारी के कारण आर्थिक विकास पर अल्पवधि और दीर्घकालिक दृष्टि से गंभीर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।वाणिज्यिक ऋणदाताओं द्वारा की जा रही देरी से कम आय वाले देश गरीबी की दलदल में फसतें जा रहे हैं। अधिकांश वाणिज्यिक ऋणदाता अमेरिका, यूरोप, जापान, चीन और खाड़ी के देशों जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से संबंधित हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्था (Emerging Market and Developing Economies- EMDEs) वाले देश स्वास्थ्य संकट, प्रतिबंध, व्यापार, निर्यात और पर्यटन में गिरावट इत्यादि जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

आयात करने वाले देशों की तुलना में निर्यात करने वाले देशों की संवृद्धि दर धीमी होने की संभावना है।आगामी पाँच वर्षों के दौरान औसत EMDEs वाले देश वित्तीय संकट के साथ ही उत्पादन में लगभग 8% तक की गिरावट दर्ज कर सकते हैं, जबकि औसत EMDEs ऊर्जा निर्यातक देशों में तेल की कीमत में गिरावट के कारण उत्पादन में 11% की कमी आने की संभावना है।

खाद्य सुरक्षा सूचकांक

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने हाल ही में वर्ष 2019-20 का खाद्य सुरक्षा सूचकांक लॉन्च किया है। गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

छोटे राज्यों में गोवा ने प्रथम स्थान हासिल किया है, इसके बाद मणिपुर और मेघालय के का स्थान है। केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली और अंडमान द्वीप समूह रैंकिंग में सबसे ऊपर हैं।

मुख्य बिंदु

यह सूचकांक पांच मापदंडों के आधार पर तैयार किया गया था :

  • खाद्य परीक्षण सुविधाएं

  • मानव संसाधन और संस्थागत डेटा

  • अनुपालन

  • प्रशिक्षण

  • उपभोक्ता सशक्तिकरण के अलावा क्षमता निर्माण

विषय

खाद्य सुरक्षा सूचकांक विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर निम्नलिखित थीम जारी किया गया था :

थीम: खाद्य सुरक्षा सबका व्यवसाय है.

सहकार मित्र योजना

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) की सहकार मित्र योजना इंटर्नशिप कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए गुरुवार को कहा कि इस कार्यक्रम से युवा पेशेवरों को सहकारिता का व्यवहारिक अनुभव मिलेगा। तोमर ने कहा, “यह योजना युवा पेशेवरों को पेड इंटर्नशिप के रूप में एनसीडीसी एवं सहकारिता के साथ काम करके व्यवहारिक रूप से काम करने एवं सीखने का अवसर प्रदान करेगी।” एनसीडीसी ने स्टार्ट-अप सहकारी उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए एक पूरक स्कीम भी शुरू की है।

सहकार मित्र, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की भूमिका निभाकर सहकारिता के माध्यम से व्यवसायिक शैक्षणिक संस्थानों के पेशेवरों को नेतृत्व एवं उद्यमशीलता को विकसित करने के लिए भी अवसर प्रदान करेगा। इस योजना के तहत कृषि व संबद्ध क्षेत्र और आईटी में ग्रेजुएट इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए पात्र होंगे। कृषि, व्यापार, सहकारिता, वित्त, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्य, ग्रामीण विकास, परियोजना प्रबंधन से एमबीए कर रहे या कर चुके युवा भी इसके योग्य होंगे। एनसीडीसी ने सहकार मित्र पेड इंटर्नशिप कार्यक्रम हेतु फंड बनाया है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक इंटर्न को चार माह की अवधि के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने एनसीडीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध इंटर्नशिप आवेदन ऑनलाइन पोर्टल को भी लांच किया।

भारत का पहला गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया

 देश का पहला राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन डिलीवरी पर आधारित गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, इंडियन गैस एक्सचेंज (आईजीएक्स) लांच होने के साथ भारत में गैस की ट्रेडिंग शुरू हो गई।

एनर्जी प्लेटफॉर्म इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के पूर्ण स्वामित्व में संचालित आईजीएक्स मानक गैस अनुबंधों में कारोबार सुगम बनाएगा और वेब के साथ ग्राहकों से जुड़ा यह पूरी तरह ऑटोमेटेड एक्सचेंज होगा, जो निर्बाध कारोबार का अनुभव दिलाएगा।

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने जारी किया  विश्व निवेश रिपोर्ट 2020

UNCTAD की विश्व निवेश रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि भारत 2019 में 51 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल करने के  साथ इस  साल के दौरान दुनियाभर में नौवें नंबर पर रहा. इससे पिछले साल 2018 में भारत को 42 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ था. तब भारत एफडीआई पाने वाले शीर्ष 20 देशों में 12वें नंबर पर रहा था.

विकासशील एशिया क्षेत्र में भारत सबसे ज्यादा एफडीआई प्राप्त करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में दुनियाभर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 40 फीसदी तक गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है. यह गिरावट 2019 में हुए 1,540 अरब डॉलर के प्रवाह के मुकाबले आ सकती है.

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार एवं विकास सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था है। इसकी स्थापना 1964 में की गयी थी। यह संस्था व्यापार, निवेश और विकास के मुद्दों से संबंधित उद्देश्य को लेकर चलती है।

फिच ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग का आउटलुक स्थिर से घटाकर नेगेटिव किया

प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत के सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को स्थिर से घटाकर नेगेटिव कर दिया है। एजेंसी ने कोरोना महामारी के कारण आर्थिक ग्रोथ कमजोर रहने और सार्वजनिक कर्ज की चुनौतियों को लेकर आउटलुक में यह कटौती की है। 

फिच रेटिंग्स की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा कि भारत के लिए लंबी अवधि की इश्यूअर डिफॉल्ट रेटिंग (आईडीआर) को बीबीबी- (BBB-) पर बरकरार रखा है। फिच ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक गतिविधियों में 5 फीसदी की कमी रहेगी। हालांकि, एजेंसी ने वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक गतिविधियों में तेजी रहने की बात कही है। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक ग्रोथ 9.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। 

उल्लेखनीय है की इससे पहले मूडीज़ ने भी भारत की रेटिंग को घटा दिया था। 

मई महीने में उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स गिरकर 63.70 अंक पर आया

कोरोनावायरस संक्रमण के कारण उपभोक्ता खर्च में बड़ी गिरावट आई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता खपत की 60 फीसदी हिस्सेदारी है। यह मंदी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर भारी दिख रही है। यह कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 4 दशक की सबसे बड़ी गिरावट की आशंका जताई जा रही है। 

मई में उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स गिरकर 63.70 अंक तक आ गया। उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स का 100 अंकों पर आंकलन किया जाता है। इससे ऊंची रैंकिंग को सकारात्मक और नीची रैंकिंग को नकारात्मक माना जाता है।

उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स क्या है ?

कॉन्फिडेंस इंडेक्स (सीसीआई) का संबंध किसी भी देश के उपभोक्ता से होता है। इससे पता चलता है कि उपभोक्ता का अर्थव्यवस्था के बारे में क्या सोचना है और उस पर विश्वास कितना है? इससे यह भी पता चलता है कि उपभोक्ता की सेविंग और खर्च की स्थिति क्या है और उसमें कितना सुधार या गिरावट हुई है?

उपभोक्ताओं का खर्च बढऩे का मतलब यह होता है कि अर्थव्यवस्था में उनका विश्वास बढ़ रहा है।लेकिन अगर वहीं उपभोक्ताओं के खर्च में गिरावट दर्ज की जाती है तो इसे अर्थव्यवस्था में उनके विश्वास में गिरावट का संकेत माना जाता है। अगर उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ता है तो इससे उपभोग ज्यादा होता है जिससे अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में बढ़ोतरी होती है। ब्याज दर निर्धारण में इसका महत्वपूर्ण स्थान होता है।

 

एयरटेल ने शिक्षा क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनी 'लट्टू मीडिया' में खरीदी 10 फीसदी की हिस्सेदारी

टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने शिक्षा क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनी लट्टू मीडिया (लट्टू किड्स) में 10 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। कंपनी ने अपने ‘एयरटेल स्टार्टअप एक्सीलरेटर’ कार्यक्रम के तहत यह निवेश किया है। कंपनी के अनुसार लट्टू किड्स बच्चों के लिए डिजिटल एजुकेशन पर काम करती है।

एयरटेल स्टार्टअप एक्सीलरेटर’ कार्यक्रम के तहत लट्टू से पहले तीन और कंपनी वॉयसजेन, स्पेक्टाकॉम ग्लोबल और वाहन जुड़ चुकी हैं। कंपनी इस प्रोग्राम के जरिए स्टार्टअप्स में निवेश कर रही है। 

अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना

कर्मचारी राज्य बीमा निगम की इस योजना के तहत नौकरी जाने पर सरकार की ओर से भत्ता दिया जाता है.इस स्कीम के तहत राहत के लिए क्लेम बेरोजगार होने के तीन महीने बाद देय होगा।

आप प्राइवेट सेक्टर (आर्गनाइज्ड सेक्टर) में नौकरी करते हैं और आपकी कंपनी PF/ESI हर महीने आपके वेतन से काटती है तो आपको इस योजना का लाभ मिलेगा। योजना का लाभ लेने के लिए निर्धारित 78 दिन का योगदान आवश्यक है। यानी बेरोजगारी के पहले अंशदान की अवधि में कम से कम 78 दिनों का अंशदान किया गया होना जरूरी है। इस स्कीम के तहत राहत के लिए क्लेम बेरोजगार होने के तीन महीने बाद देय होगा।

विश्व आर्थिक मंच (WEF) की सूची में शामिल हुए दो भारतीय स्टार्टअप 'स्टेलऐप्स' और 'जेस्टमनी'

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने 2020 के 100 टेक्नोलॉजी कंपनियों की लिस्ट जारी की जिसमें दो भारतीय स्टार्टअप कंपनियां 'स्टेलऐप्स' और 'जेस्टमनी' भी अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं। इससे पहले गूगल, एयरबीएनबी, किकस्टार्टर, मोजिला, स्पॉटिफाई, ट्विटर और विकीमीडिया जैसी कंपनियां भी इस प्रतिष्ठित सूची का हिस्सा रह चुकी हैं।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 100 संस्थाओं की सूची तैयार करता है जो अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ वैश्विक मुद्दों को संबोधित करते हैं। डब्ल्यूईएफ ने कहा कि चुने गए 100 फर्मों में से एक-चौथाई महिला-नेतृत्व वाली हैं। ये कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर कार्बन कैप्चर तक जलवायु की रक्षा के लिए इनोवेशन का उपयोग कर रही हैं, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर रही हैं और समाज को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने में मदद कर रही हैं।

जेस्टमनी

पांच साल पुराने स्टार्टअप जेस्टमनी की स्थापना लिजी चैपमन, प्रिया शर्मा और आशीष अनंथरमण ने की थी। यह स्टार्टअप कंज्यूमर को उधार प्रदान करता है। स्टार्टअप का लक्ष्य ऐसे यूजर्स को सक्षम बनाना है जिनके पास अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री न होने के कारण क्रेडिट कार्ड या किसी अन्य फॉर्मल फाइनेंसिंग ऑप्शन तक उनकी पहुंच नहीं है।

स्टेलऐप्स

बेंगलुरु स्थित मिल्क टेक स्टार्टअप स्टेलऐप्स है। स्टेलऐप्स एक डेटा ड्रिवन, IoT बेस्ड, फार्म-टू-कंज्यूमर डेयरी सप्लाई चेन स्टार्टअप है. यह प्लेटफार्म छोटे डेयरी किसानों को डिजिटल भुगतान और आसान लोन और बीमा की सुविधा भी देता है। कंपनी वर्तमान में हर रोज 34 लाख डॉलर के 90 लाख लीटर दूध का डिजिटलीकरण करता है। इससे सीधे तौर पर 28,000 से अधिक गांवों के 20 लाख डेयरी किसानों को प्रभाव पड़ता है।

विश्व आर्थिक मंच (WEF)

विश्व आर्थिक फोरम स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय जिनेवा में है। स्विस अधिकारीयों द्वारा इसे एक निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसका मिशन विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है.

हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के नियमों में बदलाव के लिए आरबीआई ने जारी किया प्रस्ताव

आरबीआई ने नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) से हाउसिंग फाइनेंस कम्पनियो का रेगुलेशन अपने हाथ में ले लिया है। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) के लिए सख्त नियमों का प्रस्ताव किया है। इस प्रस्ताव में हितों के टकराव (conflict of interest) को रोकने की बात कही है। इसमें ग्रुप की कंपनियों में लोन और निवेश पर लगाम लगाने की बात कही गई है। जबकि "हाउसिंग फाइनेंस" की परिभाषा को बदलना और मॉर्गेज इंडस्ट्री के लिए सिस्टमैटिक रूप से महत्वपूर्ण बड़ी कंपनियों की पहचान करने के लिए मैकेनिज्म स्थापित करना शामिल है।

आरबीआई "हाउसिंग फाइनेंस" की परिभाषा को बदल रहा है। इसमें अपने दायरे में रेसिडेंशियल यूनिट्स, स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण के लिए बिल्डरों को लोन शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी को इससे बाहर रखा गया है। आरबीआई ने कहा कि एचएफसी के नेट असेट्स का न्यूनतम 50 प्रतिशत "हाउसिंग फाइनेंस" होना चाहिए। इसमें इंडिविजुअल लोन पोर्टफोलियो बनाने के लिए कंपनियों को चार साल के समय का सुझाव दिया गया था। यह हाउसिंग फाइनेंस बुक का कम से 75 प्रतिशत होगा। इसे बनाए रखने में अगर कंपनी फेल होती है तो एचएफसी को एनबीएफसी -निवेश और क्रेडिट कंपनियों (एनबीएफसी-आईसीएस) के रूप में माना जाएगा।

आरबीआई ने यह भी कहा कि मौजूदा होम लोन कर्जदाताओं को दो साल में अपने न्यूनतम ओनरशिप वाले फंड को दोगुना कर 20 करोड़ रुपए करने की जरूरत होगी। "इस कदम का उद्देश्य कैपिटल बेस को मजबूत करना है। विशेष रूप से उन छोटी एचएफसी कंपनियों का जो एनएचबी एक्ट के तहत आती हैं। जिन्होंने रजिस्टर्ड कराने का प्रस्ताव रखा है।

भारत के लाखों गरीब परिवारों की आर्थिक मदद करने के लिए बीजिंग का एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी)  75 करोड़ डॉलर का देगा कर्ज

बीजिंग स्थित एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) भारत को 75 करोड़ डॉलर का कर्ज देगा। महामारी के प्रभाव के चलते मुश्किल में फँस चुके भारत के लाखों गरीब परिवारों की आर्थिक मदद के लिए यह लोन दिया जाएगा। एआईआईबी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि कोविड-19 क्राइसिस रिकवरी फैसिलिटी (सीआरएफ) के तहत यह दूसरा लोन है।

यह भारत को महामारी में हुई बीमारी का मुकाबला करने के लिए समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया (coordinated international response) के तौर पर दिया जा रहा है।

 एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी)

एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) चीन द्वारा प्रारम्भ किया गया एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जिसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण का समर्थन करना है।इसे पश्चिम–वर्चस्व वाले एशियाई विकास बैंक (ADB) और विश्व बैंक (WB) की एशिया की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है। यह दिसंबर 2015 में आधिकारिक तौर पर एशिया में और उसके बाद सामाजिक और आर्थिक परिणामों को बेहतर बनाने के मिशन के साथ स्थापित किया गया था और जनवरी 2016 में व्यापार के लिए खोला गया था।इसका मुख्यालय बीजिंग, चीन में है। इसका लक्ष्य एशिया–प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचा प्रदान करना और क्षेत्रीय सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देना है। यह एशिया में ऊर्जा, बिजली उत्पादन, परिवहन, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, पर्यावरण संरक्षण और रसद में निवेश को प्राथमिकता देता है।बैंक की शुरुआती पूँजी $ 100 बिलियन थी, जो एशियाई विकास बैंक की पूँजी की 2/3 थी और विश्व बैंक की लगभग एक तिहाई थी।

विश्व प्रतिस्पर्धा सूचकांक 2020 

भारतीय अर्थव्यवस्था इंस्टिट्यूट ऑफ  मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आईएमडी) तैयार किए जाने वाले वैश्विक प्रतिस्पर्धा-क्षमता सूचकांक में इस साल भी 43वें स्थान पर बनी रही। आईएमडी की रपट के अनुसार प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति के मामले में भारत की कुछ परंपरागत कमजोरियां मसलन कमजोर बुनियादी ढांचा और शिक्षा में अपर्याप्त निवेश अभी कायम हैं। कुल 63 देशों की इस सूची में सिंगापुर पहले स्थान पर बरकरार है। वहीं डेनमार्क दूसरे स्थान पर आ गया है। पिछले साल वह आठवें स्थान पर था। 


आईएमडी रैंकिंग में टॉप-20 देशों की स्थिति 

देश

2020 रैंकिंग

2019 रैकिंग

अंतर

सिंगापुर

1

1

0

डेनमार्क

2

8

+6

स्विट्ज़रलैंड

3

4

+1

नीदरलैंड

4

6

+2

हांगकांग

5

2

-3

स्वीडन

6

9

+3

नॉर्वे

7

11

+4

कनाडा

8

13

+5

यूएई

9

5

-4

यूएसए

10

3

-7

ताइवान

11

16

+5

आयरलैंड

12

7

-5

फ़िनलैंड

13

15

+2

कतर

14

10

-4

लक्समबर्ग

15

12

-3

ऑस्ट्रिया

16

19

3

जर्मनी

17

17

0

ऑस्ट्रेलिया

18

18

0

यूनाइटेड किंगडम

19

23

+4

चीन

20

14

-6

विश्व प्रतिस्पर्धा सूचकांक इसे प्रतिवर्ष विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी किया जाता है। 

मोबाइल एप आधारित पेमेंट 163 प्रतिशत बढ़ा, पिछले साल से देश में डिजिटल पेमेंट ने रफ्तार पकड़ी

साल 2019 में देश में मोबाइल एप आधारित पेमेंट 163 फीसदी बढ़कर 287 अरब डॉलर पर पहुंच गया। एप द्वारा किए जाने वाले मोबाइल पेमेंट में अकाउंट-टू-अकाउंट मनी ट्रांसफर और स्टोर वैल्यू अकाउंट यानी अकाउंट में रखी राशि शामिल है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) लेनदेन 24 प्रतिशत बढ़कर 204 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इनमें ऑनलाइन और एप के जरिए पेमेंट शामिल है।

देश के निर्यात में पिछले माह 36.47 फीसदी गिरावट रही, व्यापार घाटा घटकर 3.15 अरब डॉलर पर आया

देश का निर्यात मई में 36.47 फीसदी गिरकर 19.05 अरब डॉलर का रह गया। पेट्र्रोलियम, टेक्सटाइल्स, इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण सेक्टर ने निर्यात में गिरावट में अहम भूमिका निभाई। देश के निर्यात में लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का आयात भी मई में 51 फीसदी घटकर 22.2 अरब डॉलर पर आ गया। आयात और निर्यात दोनों में गिरावट आने से पिछले महीने देश का व्यापार घाटा गिरकर 3.15 अरब डॉलर रह गया। एक साल पहले की समान अवधि में देश का व्यापार घाटा 15.36 अरब डॉलर था।

तेल आयात पिछले महीने 71.98 फीसदी गिरकर 3.49 अरब डॉलर का हुआ। एक साल पहले की समान अवधि में भारत ने 12.44 अरब डॉलर का तेल आयात किया था। स्वर्ण आयात मई में 98.4 फीसदी गिरकर 7.631 करोड़ डॉलर का रहा।

पहली बार 500 अरब डॉलर के पार पहुंचा देश का फॉरेक्स रिजर्व

देश का (विदेशी पूंजी भंडार) फॉरेक्स रिजर्व पहली बार बढ़कर 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक 5 जून को समाप्त सप्ताह में देश का फॉरेक्स रिजर्व 8.22 अरब डॉलर बढ़कर 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार (एफसीए) में भारी बढ़ोतरी ने फॉरेक्स रिजर्व के उछाल में प्रमुख भूमिका निभाई।

विदेशी मुद्रा भंडार

इसे फोरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है भुगतान संतुलन में विदेशी मुद्रा भंडारों को आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूंजी खाते में होते हैं। ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इसमें केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें विशेष आहरण अधिकारों , सोने के भंडारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की 40 वीं बैठक

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की 40 वीं बैठक शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने की। इसमें पांच बड़े फैसले कारोबारियों के लिए हुए। 

  1. अगस्त 2017 से जनवरी 2020 तक के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने पर लगने वाली फीस को माफ कर दिया गया है। यह राहत उन व्यापारियों को मिलेगी जिनकी कोई टैक्स की देनदारी नहीं है।

  2. जिन छोटे व्यापारियों का कारोबार 5 करोड़ रुपए है, उनके लिए फरवरी, मार्च और अप्रैल 2020 के जीएसटी रिटर्न पर लेट फीस चार्ज को घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले यह 18 प्रतिशत था। इसका फायदा तभी मिलेगा जब 30 सितंबर 2020 तक रिटर्न भर दिया गया हो। 6 जुलाई तक इसे पूरा करने पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।

  3. 5 करोड़ रुपए तक के कारोबार वाले व्यापारी को लेट फीस और ब्याज में छूट दी जाएगी। अगर वे मई, जून और जुलाई 2020 की प्रभावित सप्लाई का जीएसटीआर 3 बी फॉर्म सितंबर 2020 तक भर देते हैं तो लेट फीस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।

  4. वित्तमंत्री ने बताया कि जिन लोगों पर टैक्स की देनदारी है और उन्होंने रिटर्न फाइल नहीं किया है तो उन पर अधिकतम लेट फीस 500 रुपए प्रति रिटर्न से ज्यादा नहीं होगी। यह राहत जनवरी 2020 तक रहेगी। एक जुलाई 2020 से 30 सितंबर 2020 तक सभी रिटर्न पर भी यही नियम होगा। जो व्यापारी पहला रिटर्न जीएसटीआर-3 बी नहीं भर पाए हैं वे आगे के रिटर्न भी नहीं भर सकते हैं।

  5. ऐसे व्यापारी जिनका जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैंसल नहीं हो पाया है, उन्हें 30 सितंबर 2020 तक इसे दोबारा अप्लाई करने का मौका मिलेगा।

टाटा समूह पहली बार 20 अरब डॉलर के ब्रांड वैल्यू को पार किया, रिलायंस तीसरा और एसबीआई पांचवां सबसे मूल्यवान ब्रांड

वैश्विक स्तर पर ब्रांड के वैल्यूएशन को जारी करनेवाले ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप का वैल्यूएशन 2019 में 19.5 अरब डॉलर था। जो 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक 20 अरब डॉलर को पार कर गई है। इसी तरह एलआईसी का वैल्यूएशन 2019 में 7.32 अरब डॉलर से बढ़कर 8.10 अरब डॉलर, रिलायंस का 6.33 अरब डॉलर से बढ़कर 7.92 अरब डॉलर और इंफोसिस का वैल्यूएशन 6.5 अरब डॉलर से बढ़कर 7.98 अरब डॉलर हो गया है।

सेक्टर के लिहाज से वैल्यूएशन देखें तो इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन का वैल्यूएशन 18.93 प्रतिशत है। बैंकिंग 15.86 प्रतिशत पर है तो ऑयल एवं गैस 13.48 प्रतिशत और आईटी सेवाएं 10.88 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर हैं। 

मोदी सरकार का बड़ा आर्थिक फैसला

कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सुस्त नजर आ रही देश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने नई योजनाओं की शुरुआत पर रोक लगा दी है। वित्त मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा मार्च 2021 तक स्वीकृत नई योजनाओं की शुरुआत को रोक दिया है। यह आदेश उन योजनाओं पर भी लागू होगा जिनके लिए वित्त मंत्रालय के खर्च विभाग ने सैद्धांतिक मंजूरी दे रखी है।

वित्त समिति प्रस्तावों (500 करोड़ रुपये से उपर की योजना) सहित वित्तीय वर्ष 2020-21 में पहले से ही स्वीकृत नई योजनाओं की शुरुआत एक वर्ष तक निलंबित रहेगी। खर्च बढ़ने के साथ-साथ सरकार को संसाधनों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। लेखा नियंत्रक जनरल (सीएजी) के अनुसार, अप्रैल में कुल राजस्व प्राप्तियां 27,548 करोड़ रुपए या बजट अनुमान का 1.2 प्रतिशत थीं। कुल खर्च 3.07 लाख करोड़ रुपए या बजट अनुमान का 10 प्रतिशत से अधिक था।सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने का फैसला किया है। 

सरकार को इस साल विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मुश्किल हो सकती है

सरकार को इस साल कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 2.10 लाख करोड़ रुपए पाने का लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल दिख रहा है। चालू वित्त वर्ष के दो महीनों में अभी तक सरकार को कुछ नहीं मिल पाया है। जून भी तकरीबन आधा बीत चुका है।

कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर जुटाई जाने वाली राशि को विनिवेश या डिसइनवेस्टमेंट कहते हैं। 1999-2004 के बीच सरकार ने इसके जरिए 24,620 करोड़ रुपए जुटाए थे। इसमें आईपीसीएल, वीएसएनएल, मारुति उद्योग, हिंदुस्तान जिंक और सीएमसी शामिल थीं। 2004 से 2009 तक सरकार ने 8,516 करोड़ रुपए जुटाए थे। इसमें एनटीपीसी, पावर ग्रिड और आरईसी शामिल थीं।

2009-14 के बीच सरकार ने सीपीएसई ईटीएफ, कोल इंडिया आईपीओ, सूटी विनिवेश के जरिये 1.05 लाख करोड़ रुपए जुटाए। 2014-2019 में भारत 22 ईटीएफ, एचपीसीएल, आरईसी विनिवेश के जरिये सरकार ने 2.80 लाख करोड़ रुपए जुटाए।

अडानी को मिला दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट प्रोजेक्ट

अडानी ग्रीन एनर्जी को मंगलवार को दुनिया का सबसे बड़ा पावर प्लांट प्रोजेक्ट मिला। इस प्रोजेक्ट के तहत अडानी ग्रीन एनर्जी 8,000 मेगावाट क्षमता के सौर प्रोजेक्ट लगाएगी। इस पूरी परियोजना में 45,300 करोड़ रुपए का निवेश होगा। कंपनी को यह प्रोजेक्ट भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) से मिला है।

इस प्रोजेक्ट के मिलने के बाद अडानी 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी रिन्यूएबल कंपनी बन सकती है। इससे कंपनी अतिरिक्त 2 गीगावॉट सोलर सेल के निर्माण कर सकेगी और उसकी मॉड्यूल निर्माण क्षमता भी बढ़ेगी। इस प्राेजेक्ट से 4 लाख डायरेक्ट और इनडायरेक्ट नौकरियाँ पैदा होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत अभियान (Self Reliant India Program) की शुरुआत के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।

कोरोनावायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरी मंदी : विश्व बैंक

विश्व बैंक ने कहा कि कोरोनावायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरी मंदी आएगी। इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी गिरावट आ जाएगी। विश्व बैंक के प्रेसिडेंट डेविड मलपास ने सोमवार को जारी ग्लोबल इकॉनोमिक प्रॉस्पैक्ट की भूमिका में कहा कि 1870 के बाद यह पहला मौका होगा, जब महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आएगी।विश्व बैंक ने कहा कि चालू कारोबारी साल में भारतीय अर्थव्यवस्था में 3.2 फीसदी गिरावट आएगी। भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण इस साल दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था में 2.7 फीसदी गिरावट आएगी। पाकिस्तान की इकॉनोमी 2.6 फीसदी और अफग़ानिस्तान की इकॉनोमी 5.5 फीसदी घट जाएगी। बांग्लादेश की विकास दर 2019-20 में घटकर 1.6 फीसदी रह जाएगी। नेपाल की विकास दर इस दौरान घटकर 1.8 फीसदी रह जाएगी।

रिपोर्ट के मुताबिक विकसित देशों की अर्थव्यवस्था इस साल 7 फीसदी सिकुड़ जाएगी। वहीं, उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की अर्थव्यवस्था में 2.5 फीसदी गिरावट आ सकती है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय में 3.6 फीसदी गिरावट आने की आशंका है। इसके कारण इस साल करोड़ों लोग भीषण गरीबी में फँस जाएंगे। जिन देशों में महामारी का सबसे ज्यादा प्रसार होगा और जहां की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार, पर्यटन, कमोडिटी निर्यात और एक्सटर्नल फाइनेंसिंग पर ज्यादा निर्भर होगी, वहां गरीबी सबसे ज्यादा बढ़ेगी।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1870 के बाद 14 बार मंदी आई है। ये मंदी 1876, 1885, 1893, 1908, 1914, 1917-21, 1930-32, 1938, 1945-46, 1975, 1982, 1991, 2009 और 2020 में आई हैं। महामारी के कारण वैश्विक पर कैपिटा जीडीपी में 6.2 फीसदी गिरावट आएगी। इस आंकड़े के साथ यह 1945-46 के बाद सबसे गहरी मंदी होगी। साथ ही आज की मंदी वैश्विक वित्तीय संकट के दिनों की मंदी के मुकाबले दोगुनी गहरी होगी।

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स मई महीने में 30.8 पर पहुंचा

आईएचएस मार्किट के आंकड़ों के मुताबिक निक्केई मैन्युफैक्चरिंग पर्चेंजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Manufacturing Purchasing Managers’ Index) पिछले महीने अप्रैल के 27.4 के रिकॉर्ड निचले स्तर से बढ़कर 30.8 हो गया। यह अभी भी 50 के मार्क से काफी नीचे है। देश में उत्पादकों के पास नए ऑर्डर में लगातार कमी के साथ मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की गतिविधियों में मई महीने में भी गिरावट का सिलसिला जारी है।

पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (पीएमआई) 

पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (पीएमआई) मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की आर्थिक सेहत को मापने का एक इंडिकेटर है। इसके जरिए किसी देश की आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाता है। पीएमआई सेवा क्षेत्र समेत निजी क्षेत्र की अनेक गतिविधियों पर आधारित होता है। इसमें शामिल तकरीबन सभी देशों की तुलना एक जैसे मापदंड से होती है। पीएमआई का मुख्‍य मकसद इकोनॉमी के बारे पुष्‍ट जानकारी को आधिकारिक आंकड़ों से भी पहले उपलब्‍ध कराना है, जिससे अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सटीक संकेत पहले ही मिल जाते हैं। पीएमआई 5 प्रमुख कारकों पर आधारित होता है। इन पांच प्रमुख कारकों में नए ऑर्डर, इन्‍वेंटरी स्‍तर, प्रोडक्‍शन,सप्‍लाई डिलीवरी और रोजगार वातावरण शामिल हैं.


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छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद