असम में बाढ़
इस समय असम के कुल 33 में से 27 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हुए है.पिछले साल के मुकाबले इस साल बाढ़ की स्थिति ज्यादा भयानक है.बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में 76 जानवरों की मौत हो गई है. जबकि 121 अन्य जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान में बचाया गया है.
कारण
ब्रह्मपुत्र नदी पर अध्ययन करने वाले जानकार बताते है कि बढ़ते प्रदूषण और तापमान से तिब्बत के पठार पर जमी बर्फ़ और हिमालय के ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं. इससे ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बांधों और नदी दोनों का जल-स्तर बढ़ेगा.
दरअसल तिब्बत में नदी के उद्गम स्थल पर तलछट इकट्ठा होना शुरू हो जाता है, क्योंकि ग्लेशियर पिघलकर मिट्टी को नष्ट कर देते हैं.
जैसे-जैसे पानी असम की ओर बढ़ता है, यह अधिक तलछट इकट्ठा करके अपने साथ लेकर आता है. जबकि ब्रह्मपुत्र की अन्य सहायक नदियाँ इस तलछट को नष्ट करने में अप्रभावी बताई जाती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आती है और मिट्टी का कटाव होता है. अपने साथ तलछट लाने वाली दुनिया की शीर्ष पांच नदियों में ब्रह्मपुत्र एक है.
असम में ब्रह्मपुत्र और बराक, दो प्रमुख नदियां हैं। इन दो के अलावा इनकी 48 सहायक नदियां और कई छोटी-छोटी नदियां हैं। इस वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है।
असम देश का ऐसा राज्य है जो पूरी तरह से नदी घाटी पर ही बसा हुआ है। नदी घाटी में बसे होने की वजह से यहां रहने की जगह बहुत ही कम है।
अकेली ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया भी लगातार बढ़ रहा है। असम सरकार ने 1912 से 1928 के बीच सर्वे किया था, तब ब्रह्मपुत्र नदी राज्य के 3 हजार 870 वर्ग किमी के एरिया को कवर कर रही थी। आखिरी बार 2006 में जब सर्वे हुआ, तो ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया बढ़कर 6 हजार 80 वर्ग किमी हो गया।
ब्रह्मपुत्र बेसिन की वजह से हर साल यहां सामान्य से 248 सेमी से 635 सेमी ज्यादा बारिश होती है। मानसून सीजन में यहां हर घंटे 40 मिमी से भी ज्यादा बारिश होती है। इतना ही नहीं, कई इलाकों में तो एक ही दिन में 500 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।
असम पहाड़ी इलाका है। इस कारण जब भी पहाड़ों पर बारिश होती है, तो वो बहकर ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में आ जाता है। इससे पानी नदियों के किनारे बहने लगता है और बाढ़ का कारण बनता है।
940-41 में असम में कई जिलों में ब्रह्मपुत्र घाटी में हर एक किमी के दायरे में 9 से 29 लोग रहते थे। लेकिन, अब यहां हर किमी में 200 लोग रहने लगे हैं। इससे घाटी में हर साल बाढ़ की समस्या बढ़ गई है।
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक, असम का कुल 31 हजार 500 वर्ग किमी का हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। यानी, असम का जितना एरिया है, उसका करीब 40% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। जबकि, देशभर का 10.2% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है।
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