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भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट का महत्त्व

प्रश्न- भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट के महत्व का उल्लेख करते हुए डिजिटल भारत के मार्ग में आने वाली चुनौतियों और अपेक्षित सुधारों का विश्लेषण कीजिए।

सामान्य अध्ययन-III
भारत के डिजिटलीकरण में इंटरनेट का  महत्त्व

भारत में इंटरनेट के ग्राहकों की संख्या 56 करोड़ हो गई है और 2018 में यहां 12.3 अरब ऐप डाउनलोड किए गए. दुनिया में केवल चीन ही इस मामले में उससे आगे है. दूसरे देशों के लोगों के मुक़ाबले भारतीय लोग ही सबसे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर खर्च कर रहे हैं. इंडोनेशिया को छोड़कर तमाम दूसरे देशों के मुक़ाबले भारत ही सबसे ज्यादा तेजी से डिजिटलीकरण कर रहा है. इंडोनेशिया ने 2014 के बाद से इसमें 90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की है. भारत में अभी और वृद्धि की काफी गुंजाइश है. 

डिजिटलीकरण में इंटरनेट का महत्व

  1. आधार, जियो, जन धन, और जीएसटी के कारण. जीएसटी के कारण 1.03 करोड़ व्यवसाय टैक्स भुगतान के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं.
  2. डिजिटल अर्थव्यवस्था 2025 तक 6 से लेकर 6.5 करोड़ तक रोज़गार पैदा कर सकती है.
  3. खेती में जानकारियों के कुशल उपयोग से लागत में 20 फीसदी की कमी आ सकती है, और ऑनलाइन नेटवर्क के जरिए फ़सलों आदि के बेहतर दाम मिलने से आमदनी में 15 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है और फसल कटाई के बाद के कचरे में भी कमी लाई जा सकती है. 
  4. दूसरे देशों के मुक़ाबले भारत में व्यवस्थागत लागत लगभग दोगुनी, जीडीपी की 14 फीसदी है. इसे भी कुशल ट्रैकिंग और ट्रकों की आवाजाही के जरिए कम किया जा सकता है (माल ढुलाई में लगने वाले समय में आधी कटौती की जा सकती है).
  5. स्वास्थ्य ही नहीं, शिक्षा के महकमे को भी डिजिटल टेक्नोलॉजी से भारी लाभ मिल सकता है.

डिजिटल भारत के समक्ष चुनौतियाँ 

सरकार का पहला लक्ष्य है ब्रॉडबैंड हाइवे. इसके तहत देश के आख़िरी घर तक ब्रॉडबैंड के ज़रिए इंटरनेट पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा है कि नेशनल ऑप्टिक फ़ाइबर नेटवर्क का प्रोग्राम, जो तीन-चार साल पीछे चल रहा है. 

सरकार का दूसरा लक्ष्य है सबके पास फोन की उपलब्धता, जिसके लिए ज़रूरी है कि लोगों के पास फ़ोन खरीदने की क्षमता हो.  लेकिन सरकार को ये सोचना होगा कि क्या सबके पास फोन खरीदने की क्षमता आ गई है. या फिर सरकार अगर ये सोच रही है कि वो खुद सस्ते फोन बनाएगी तो इसके लिए तकनीक और तैयारी कहां है?

ई-गवर्नेंस. यानी सरकारी दफ्तरों को डिजिटल बनाना और सेवाओं को इंटरनेट से जोड़ने का.इसे लागू करने का पिछला अनुभव बताता है कि दफ्तर डिजिटल होने के बाद भी उनमें काम करने वाले लोग डिजिटल नहीं हो पा रहे हैं. 

ई-क्रांति के लिए हमारा दिमाग, हमारी सोच, हमारा प्रशिक्षण और उपकरण सबकुछ डिजिटल होना ज़रूरी है.अगर हमने सरकार के ढांचे को इंटरनेट से नहीं जोड़ा तो फिर इसके तहत डिलीवरी कैसे करेंगे?

इंफ़ोर्मेशन फ़ॉर ऑल यानी सभी को जानकारियाँ मुहैया कराई जाएंगी.लेकिन सवाल उठता है कि एक्सेस टू इंफ़ॉर्मेशन के अभाव में यह कैसे संभव है?इसके लिए ज़रूरी है अच्छा एक्सेस इंफ्रास्ट्रक्चर होना ताकि लोग आसानी से जानकारियाँ पा सकें।

 भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन- इसके तहत उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए कल-पुर्जों के आयात को शून्य करना है.यह कभी भी संभव नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया चाहती है व्यापार करना.जहां तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के उत्पादन का सवाल है तो अभी तक हम इस मामले में शहरों तक ही सीमित हैं और गाँवों तक जा ही नहीं रहे हैं.

डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने में सरकार के प्रयास 

भारतनेट कार्यक्रम-परियोजना के तहत 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये हाईस्पीड ब्रॉडबैंड, किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाना है। इसके तहत ब्रॉडबैंड की गति 2 से 20 Mbps तक निर्धारित करने का लक्ष्य रखा गया।

राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन-राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन की शुरुआत वर्ष 2020 तक भारत के प्रत्येक घर में कम-से-कम एक व्यक्ति को डिजिटल साक्षर बनाने के उद्देश्य से की गई है।

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक-व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून एक व्यापक कानून है जो व्यक्तियों को इस बात पर अधिक नियंत्रण देने का प्रयास करता है कि उनका व्यक्तिगत डेटा कैसे एकत्रित, संग्रहीत और उपयोग किया जाता है।

राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति -यह नीति घरेलू निर्माताओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के हितों को भी ध्यान में रखती है, साथ ही ऑनलाइन बाज़ार को उनके लिये बराबरी का क्षेत्र बनाना चाहती है।

आगे की राह 
इंटरनेट स्पीड को बढ़ाया जाना चाहिए। 
टेलीकॉम सेक्टर में मोनोपॉली को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। 
साइबर सुरक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए। 
डिजिटल विभाजन को बढ़ने से रोकना चाहिए। 





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