मंगलयान की नई उपलब्धियाँ
इसरो ने 5 नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट से यह प्रक्षेपण किया था। 450 करोड़ रुपए की लागत वाले इस मिशन को मंगल की सतह और वातावरण का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था।
जिसे इसरो ने 24 सितंबर, 2014 को मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत मंगलयान को पहली कोशिश में ही मंगल की कक्षा में स्थापित किया था।
मंगलयान में पांच उपकरण लगे हैं
मंगलयान में पांच उपकरण लेमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी), मीथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम), मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर (एमईएनसीए), मार्स कलर कैमरा (एमसीसी) और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस) लगाए गए हैं। हाल ही में भारत के मंगलयान ने मंगल के सबसे बड़े चंद्रमा फोबोस की तस्वीरें खीची हैं। यह फोटो मंगलयान में लगे मार्स कलर कैमरा (एमसीसी) से 1 जुलाई को खींची गईं। तस्वीरें लेते समय मंगलयान मंगल गृह से 7200 किलोमीटर और फोबोज से 4200 किलोमीटर दूर था। मंगल के दो चंद्रमा हैं। एक का नाम फोबोस और दूसरे का डेमोस है। मंगल की पृथ्वी से दूरी 12 करोड़ किलोमीटर है।
इसरो के मुताबिक, इस फोटो में बड़े क्रेटर (गड्ढे) देखे जा सकते हैं। इसमें सबसे बड़ा क्रेटर स्टिकनी है। इसके अलावा तीन और क्रेटर स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग हैं। ये क्रेटर आकाशीय पिंडों के टकराने से बने थे। माना जाता है कि फोबोज कार्बोनेसियस कोंड्राइट्स पदार्थ से बना है।
स्रोत भास्कर डॉट कॉम
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