अगर हिंदू दुनिया के दूसरे हिस्सों में पहुंचते हैं, तो फिर भारतीय जाति विश्व समस्या बनेगी.’
उपरोक्त कथन डॉ. बीआर आंबेडकर का है जो उन्होंने वर्ष 1916 के मई महीने में कोलंबिया विश्वविद्यालय में मानव वंशशास्त्र विभाग में सेमिनार में डॉ. आंबेडकर ने ‘भारत में जाति- उनकी प्रणाली, उनका उद्गम और विकास’ (Castes In India- Their Mechanism, Genesis and Development) पर अपना पेपर पढ़ते हुए कहा था।
उनका यह कथन लगभग 100 वर्षो बाद सच होता हुआ दिख रहा है। हाल ही में कैलीफ़ोर्निया राज्य सरकार की तरफ से वहां की एक अग्रणी बहुदेशीय कंपनी सिस्को सिस्टम्स के खिलाफ दायर एक मुकदमे के बहाने यही बात नए सिरे से उजागर हुई है, जिसका फोकस वहां कार्यरत एक दलित इंजीनियर के साथ वहां तैनात दो कथित ऊंची जाति के इंजीनियर द्वारा जातिगत भेदभाव की घटना से है.
जब पीड़ित दलित इंजीनियर ने कंपनी से इस बात की शिकायत की तो कंपनी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए उस दलित इंजीनियर को राज्य सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ फेयर एम्प्लॉयमेंट की शरण लेनी पड़ी.कैलिफोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ फेयर एम्प्लॉयमेंट एंड हाउसिंग की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि किस तरह सेंट जोस स्थित सिस्को कंपनी के मुख्यालय में, जहां दक्षिण एशिया के लोग बहुलता में तैनात हैं, वहां उपरोक्त दलित इंजीनियर को प्रताड़ित किया गया तथा उसके खिलाफ बदले की कार्रवाई की गई क्योंकि वह दलित तबके से संबंधित है.
एक मोटे अनुमान के हिसाब से अमेरिका में दक्षिण एशियाई मूल के लोग एक प्रमुख एथनिक समूह के तौर पर मौजूद हैं, जिनकी तादाद 43 लाख के करीब है. पेनिसिल्वानिया विश्वविद्यालय ने 2003 में किये गए अध्ययन के अनुसार वहां बसे 25 लाख भारतीयों में 90 फीसदी ऊंची जाति से संबंधित हैं और लगभग डेढ़ फीसदी लोग दलित या अन्य पिछड़ी जातियों से हैं.
इक्वॉलिटी लैब्ज’ द्वारा अंजाम दिए गए एक सर्वेक्षण को देखें, जिसमें अमेरिका में बसे दक्षिण एशियाई मूल के 1,500 लोगों से संपर्क किया गया था, उसमें इस बात की पुष्टि की गई थी कि दक्षिण एशियाई बहुल अमेरिकी संस्थानों में दलितों को विभिन्न किस्म के जातिभेद का सामना करना पड़ता है.यह भेदभाव अपमानजनक जोक्स से लेकर भद्दी टिप्पणियों, शारीरिक हिंसा और यौनिक हमले तक फैला हुआ है.
आगे की राह
अगर भारत को विश्व गुरु बनना है तो यह आवश्यक है की हम भारतीय समाज के साथ साथ दुनिया में अन्य जगहों पर रहने वाले लोगो में जातिगत भेदभाव समाप्त करने के लिए जागरूकता को बढ़ाए। दुनिया में इस तरह के मामलों से भारत की छबि विदेशों में ख़राब होती है. अतः प्रत्येक भारतीय का यह कर्त्तव्य है की इस तरह की विचारधारा को न अपनाए।
स्रोत - द वायर हिंदी
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