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भारत ,ईरान तथा चाबहार पोर्ट

भारत ,ईरान तथा चाबहार पोर्ट 

भारत ,ईरान तथा चाबहार पोर्ट

हाल ही में ईरान ने चाबाहर रेल प्रोजेक्ट से भारत को अलग कर दिया। इसका कारण उसने भारत की तरफ से इस परियोजना में दिए जाने वाले धन को लेकर होने वाली देरी को बताया है। 
उल्लेखनीय है की पश्चिम एशिया में अमेरिका के साथ चल रही तनातनी के बीच ईरान और चीन जल्‍द ही एक महाडील पर समझौता कर सकते हैं। इसके तहत चीन ईरान से बेहद सस्‍ती दरों पर तेल खरीदेगा, वहीं इसके बदले में पेइचिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है। यही नहीं ड्रैगन ईरान की सुरक्षा और घातक आधुनिक हथियार देने में भी मदद करेगा।
न्यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान और चीन के बीच 25 साल के रणनीतिक समझौते पर बातचीत पूरी हो गई है।इस डील के 18 पन्‍ने के दस्‍तावेजों से पता चलता है कि चीन बहुत कम दाम में अगले 25 साल तक ईरान से तेल खरीदेगा। इसके बदले में चीन बैंकिंग, आधारभूत ढांचे जैसे दूरसंचार, बंदरगाह, रेलवे, और ट्रांसपोर्ट आदि में निवेश करेगा।

चाबहार रेल परियोजना 

ईरान और भारत के बीच चार साल पहले चाबहार से अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर ज़ाहेदान तक रेल लाइन बिछाने को लेकर समझौता हुआ था. अब ईरान ने अपने आप ही इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का फ़ैसला लिया है और इस पर काम शुरू कर दिया है.
628 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग को बिछाने का काम बीते सप्ताह शुरू हो गया है. ईरान के यातायात और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने इसका उद्घाटन किया है. ये पूरा प्रोजेक्ट मार्च 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके लिए अब ईरान के नेशनल डेवलपमेंट फंड का इस्तेमाल किया जाएगा.
उल्लेखनीय है की चार साल पहले जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान का दौरा किया था तब इस रेल परियोजना को लेकर समझौता हुआ था. भारत की ओर से इंडियन रेलवेज़ कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को इस रेल ट्रेक के निर्माण में शामिल होना था. ये भारत-अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के बीच हुआ समझौता था.

चाबहार बंदरगाह

चाबहार बंदरगाह को भारत, ईरान और अफगानिस्तान संयुक्त रूप से विकसित कर रहे हैं। इस परियोजना को तीन देशों के मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के सुनहरे अवसरों के लिए प्रवेश द्वार माना जाता है।चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित हैं. ओमान की खाड़ी में स्थित यह बंदरगाह  ईरान  के दक्षिणी समुद्र तट को  भारत के पश्चिमी समुद्री तट से जोड़ता है. चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी-पूर्वी समुद्री किनारे पर बना हैं. इस बंदरगाह को ईरान द्वारा व्यापार मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया हैं. यह पाकिस्तान के गवादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर हैं.
चाइना अपने राष्ट्रपति जी जिनपिंग के नेतृत्व में  बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव(BRI) को वन बेल्ट वन रोड (OBOR) प्रोजेक्ट के अंतर्गत आक्रामक रूप से बढ़ा रहा हैं और भारत का यह चाबहार बंदरगाह इसी का जवाब हैं. इस प्रोजेक्ट की मदद से चीन सडक के माध्यम से रूस,अफगानिस्तान,तुर्क, इटली केन्या और बांग्लादेश से होता हुआ पूरे भारत का घेराव कर लेगा. लेकिन भारत के पास अफगानिस्तान तक के लिए भी सडक का माध्यम नहीं होगा. ऐसे में चाबहार बंदरगाह जो कि भारत को अफगानिस्तान के सडक मार्ग से जोड़ेगा,और भविष्य में भारत इसके आगे भी अन्य देशों तक अपनी पहुँच बना सकेगा. इस तरह भारत की अफगानिस्तान तक सडक के माध्यम से पहुँचने के लिए  पाकिस्तान पर निर्भरता भी ख़त्म हो जाएगी.
भारत द्वारा 2015-20 में बनायी गयी विदेश नीति में इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कोरिडोर (INSTC) को महत्वपूर्ण माना गया हैं जिसमे भारत मध्य एशिया तक अपने व्यापारिक और राजनीतिक रिश्ते मजबूत करेगा. ऐसे में इस प्रस्तावित व्यापारिक गलियारे से भारत को मध्य एशिया और यूरेशिया तक अपने लिंक बनाने में बहुत मदद मिलेगी. और चाबहार बंदरगाह इस दिशा में एक सही कदम साबित होगा.
SOURCE THE HINDU, BBC HINDI, DEEPAWALI.COM, NAV BHARAT TIMES


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