स्किल इंडिया मिशन
आज विश्व युवा कौशल दिवस है। आज ही के दिन पांच वर्ष पहले स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत हुई थी।
2015 में, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने कौशल भारत कार्यक्रम का आगाज किया । इस मिशन के तहत, भारतीय युवाओं के लिए उनके पेशेवर कौशल को और बेहतर तरीके से पॉलिश करने का सर्वोत्तम मंच पेश किया । स्किल इंडिया का मकसद ही भारत भर में व्यावसायिक प्रशिक्षण देना है …इस योजना का मकसद भारत के युवाओं को अच्छी तरह से स्किल बनाने या कहें तैयार करना मकसद है। इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की शुरुआत की गई, ये योजना मूल रूप से उन छात्रों के लिए है, जो अपने कौशल प्रशिक्षण का खर्च नहीं उठा सकते।
स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत साल 2022 तक देश में करीब 400 मिलियन से ज्यादा महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग औद्योगिक और व्यापार कौशल में प्रशिक्षित किया जाएगा। जिससे औद्योगिक क्षेत्र को बल मिलेगा इसके साथ ही उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का भी अवसर मिलेगा और रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर सृजन होंगे।
कौशल भारत योजना की शुरुआत नरेन्द्र मोदी ने निम्नलिखित मिशन को ध्यान में रखकर की थी जो कि इस प्रकार है –
- कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति (National Policy for Skill Development and Entrepreneurship )
- राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (National Skill Development Mission)
- प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (Prime Minister Skill Development Scheme)
- कौशल ऋण योजना (Skill Loan Scheme )
- ग्रामीण भारत कौशल (Rural India Skill )
क्यों ज़रुरी है स्किल इंडिया ?
क्योंकि यही वो रास्ता है जिसपर चलकर भारत अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड या नौजवान आबादी का पूरा फायदा उठा सकता है। तरक्की के पायदान पर ऊपर खड़े देशों में जहां स्किल्ड वर्कफोर्स 60-90 फीसदी तक है, वहां भारत में ऐसे लोगों की गिनती 5 फीसदी से भी कम है, जो किसी एक हुनर पर भी अच्छी पकड़ रखते हों।
हमारे स्कूल और कॉलेजों की सबसे बड़ी खराबी यही बताई जा रही है कि यहां पढ़ना लिखना तो सीखा दिया जाता है, मगर उससे आगे कुछ भी नहीं। इसीलिए पूरा सिस्टम बदलकर एक ऐसा इंतजाम खड़ा करने की जरूरत महसूस हो रही है कि लोग पढ़ने लिखने के अलावा कुछ ऐसा भी सीखें जो उन्हें किसी नौकरी या खुद के ही किसी काम के लिए एकदम तैयार कर दे।
नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने स्किल की कमी और जरूरत पर एक रिपोर्ट तैयार की है जिसके अनुसार साल 2022 तक देश के चौबीस अहम सेक्टरों में करीब बारह करोड़ नए स्किल्ड लोगों की जरूरत होगी। भारत सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक देश में आज सालाना सिर्फ 35 लाख लोगों के लिए स्किल ट्रेनिंग का इंतजाम है, जबकि चीन में हर साल नौ करोड़ लोग हुनरमंद बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। तो अगर देश को स्किल कैपिटल बनाना है तो स्किल सेंटर्स का एक पूरा महासागर तैयार करना होगा।
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