हागिया सोफिया संग्रहालय से सम्बन्धित विवाद
दुनियाभर में प्रसिद्ध इस्तांबुल की हागिया सोफिया संग्रहालय को अदालत ने फिर से मस्जिद में तब्दील करने का फैसला सुनाया है। तुर्की में छठी सदी में इसे गिरजाघर के रूप में बनाया गया था। कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने हागिया सोफिया को मस्जिद के रूप में खोलने की घोषणा भी कर दी।
संक्षिप्त इतिहास
हागिया सोफिया या आयासोफ़िया मस्जिद (Holy Wisdom या पवित्र ज्ञान), तुर्की के इस्तानबुल नगर में स्थित छठी शताब्दी में निर्मित एक पूजास्थल है जो मूलतः एक पूर्वी आरथोडोकस चर्च था।इसका निर्माण रोमन सम्राट जस्टिनियन प्रथम के काल में सन ५३७ ई में हुआ था। उस समय यह संसार का सबसे बड़ा आन्तरिक स्थानयुक्त गुम्बद था।
1453 में जब इस शहर पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य का कब्जा हुआ तो इस इमारत में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।साल 1930 में जब आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमाल अता तुर्क ने सत्ता संभाली तो उन्होंने अपने देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने की खूब कोशिश की। इसी दौरान इस मस्जिद को संग्रहालय में बदल दिया गया। 1935 में हागिया सोफिया को संग्रहालय बनाकर आम जनता के लिए खोल दिया गया।
यूनेस्को ने तुर्की को दी चेतावनी
हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदले पर यूनेस्को ने तुर्की को चेतावनी दी है। यूनेस्को ने कहा कि सरकार किसी भी निर्णय से पहले उनसे जरूर बातचीत करे। 1500 साल पुरानी यह इमारत यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल है। यूनेस्को के प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन से पहले तुर्की को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके सार्वभौमिक मूल्य प्रभावित न हों। इसके लिए विश्व धरोहर समिति की जांच भी जरूरी है।
हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदले पर यूनेस्को ने तुर्की को चेतावनी दी है। यूनेस्को ने कहा कि सरकार किसी भी निर्णय से पहले उनसे जरूर बातचीत करे। 1500 साल पुरानी यह इमारत यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल है। यूनेस्को के प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन से पहले तुर्की को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके सार्वभौमिक मूल्य प्रभावित न हों। इसके लिए विश्व धरोहर समिति की जांच भी जरूरी है।
विपक्ष
जाने माने इतिहासकार इरफ़ान हबीब के अनुसार "हागिया सोफ़िया कई बार जा चुका हूँ और इसकी शानदार स्थापत्य कला और इतिहास का आनंद ले चुका हैं. कभी नहीं लगा कि इस जगह को एक सक्रिय मस्जिद में तब्दील हो जाना चाहिए. पूरी दुनिया में इतिहास से छेड़छाड़ करना दक्षिणपंथ के लिए नशे जैसा है. धर्म के ग़लत प्रयोग से ही वे अपना अस्तित्व बचाए रख पाते हैं."
स्रोत नवभारत टाइम्स ,बीबीसी हिंदी
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